Thursday, 10 December 2015

अंकेक्षण का अर्थ (meaning of Audit)

अंकेक्षण का अर्थ

    एक स्वतंत्र जाँच
    संस्था
    वितीय विवरणों / सूचनाओ
    राय प्रकट करना

 अर्थात किसी भी संस्था के वितीय विवरणों / वितीय सूचनाओ की स्वतंत्र जाँच करके उस पर राय व्यक्त करना अंकेक्षण कहलाता है।

                                          लेखांकन अनिवार्यता और अंकेक्षण विलासिता के रूप में 

     लेखांकन अनिवार्यता के रूप में 

   किसी भी व्यवसाय के जीवित रहने के लिए उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने तथा सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए लेखांकन अनिवार्य है इसे निम्न बिन्दुओ के माध्यम से समझा जा सकता है।

(१) व्यवसाय को जीवित रखने के लिए = किसी व्यवसाय के लाभ या हानि का सही सही ज्ञान लेखांकन के बिना पता नही लगाया जा सकता।  अगर किसी संस्था में कई विभाग हो तो यह पता लगाने के लिए की कोनसा विभाग लाभ दे रहा है तथा कोनसा हानि दें रहा है इस लिए लेखांकन अनिवार्य हो जाता है।

(2) व्यवसाय की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए= लेखांकन के माध्यम से व्यवसाय द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओ की कार्यक्षमता का माप करके उसे बढ़ा सकता है !

(3) व्यवसाय की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए= बिना लेखांकन के व्यवसाय की प्रतिष्ठा नही बन पायेगी क्योकि आयकर , बिक्रीकर और बैंक ऐसे व्यवसाय पर विश्वास नही करेंगे !

      अंकेक्षण एक विलासिता के रूप में 

  धन           +      शक्ति        +     समय      +       कार्यक्षमता     =    दुरूपयोग 






अंकेक्षण का विलासिता न होना 

(1) कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि = कर्मचारी अपना कार्य अधिक सावधानी व ईमानदारी के साथ करते है क्योकि उन्हें मालूम होता है कि उनके कार्य का अंकेक्षण किया जायेगा।

(2) प्रबंधको की कार्यक्षमता में वृद्धि = प्रबंधको को भी यह पता होता है कि उनके कार्य के सम्बन्ध में रिपोर्ट व्यवसाय के स्वामियों को दी जानी है इसलिए वह भी अपना कार्य पूरी क्षमता के साथ करते है।

(3) प्रक्रियाओ की कार्यक्षमता में वृद्धि = अंकेक्षण से व्यवसाय की प्रक्रियाओ की कमजोरियों को दूर करके उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है।

(4) प्रतिष्ठा की कार्यक्षमता में वृद्धि = अंकेक्षित खातों पर सभी जगह विश्वास किया जाता है इसलिए बैंकिंग कम्पनी , बीमा कम्पनी , सरकार , आयकर विभाग में व्यवसाय की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।

(5) प्लांट एव मशीन की कार्यक्षमता में वृद्धि = लागत लेखांकन से यह ज्ञात हो जाता है कि प्लांट एवं मशीन कब-कब और किन -किन कारणों से बेकार रहती है उन कारणों को दूर करके उनकी कार्यक्षमता बढ़ाई जा सकती है।

(6) तुलना द्वारा कार्यक्षमता में वृद्धि = पिछले वर्षो के अंकेक्षित खातों की तुलना करके उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है।


                                                    अंकेक्षण के उद्देश्य 


(1) अंतिम खातों की सचाई एवं शुद्धता की जाँच। 
(2) अशुद्धियों का पता लगाना। 
(3) कपट का पता लगाना। 
(4) कपट एवं अशुद्धियों को रोकना। 
(5) प्रबंधको को सलाह देना। 
(6) कम्पनी की सही वितीय स्थिति का पता लगाना। 



                                               अशुद्धियाँ एवं कपट 


अशुद्धियों के प्रकार 

(1) सैद्धांतिक अशुद्धियाँ = जैसे आयगत खर्चो को पूँजीगत खर्चो में लिखना।

(2) भूल की अशुद्धियाँ = सौदों का लेखा पुस्तको में करने से भूल जाना

(3) क्षतिपुरक अशुद्धियाँ = जब दो या दो से अधिक अशुद्धियाँ एक दूसरे के प्रभाव को तलपट पर प्रकट होने से छिपा लेती है।

(4) दोहराव की अशुद्धियाँ = एक ही सौदे की पुस्तको में एक से अधिक बार प्रविष्ठी कर दी जाये

(5) हिसाब की अशुद्धियाँ = जैसे पुस्तको की जोड़ गलत लगा देना या खातों का शेष आगे ले जाते समय गलती करना।


कपट के प्रकार 

 रोकड़ का ----  माल का ----   श्रम का ----   सम्पति का ---  सुविधाओ का   ---    हिसाब किताब का 
   कपट               गबन            गबन                गबन                   गबन                      गबन



                           अंकेक्षण को नियंत्रित करने वाले आधारभूत सिद्धांत 

(1) सत्यनिष्ठा , वस्तुनिष्ठता तथा निष्पक्षता = अंकेक्षक को अपने पेशेवर कार्य के प्रति सत्यनिष्ठ, वस्तुनिष्ट तथा निष्पक्ष होना चाहिए। 

(2) गोपनीयता = अंकेक्षक को अपने नियोक्ता की सूचनाये बिना अनुमति के अन्य तीसरे पक्ष के सामने प्रकट नही करनी चाहिए 

(3) दक्षता = अंकेक्षक प्रशिक्षित , अनुभवी तथा दक्ष व्यक्ति होना चाहिए। 

(4) दुसरो द्वारा निष्पादित कार्य = अंकेक्षक को अपने सहयोगियों द्वारा किये गए कार्य पर तब तक विश्वास करना चाहिए जब तक विश्वास न करने का कारण उनके पास न हो। 

(5) प्रपत्रिकरण= अंकेक्षक को उन विषयो का प्रपत्रिकरण कर लेना चाहिए जो सबूत जुटाने में महत्वपूर्ण हो। 

(6) नियोजन  = अंकेक्षक को अपना कार्य नियोजित तरीके से करना चाहिए। 

(7) अंकेक्षण      = अंकेक्षक को अंकेक्षण करते समय विभिन्न प्रविधियों को लगाकर उचित तथा पर्याप्त अंकेक्षण          जुटाने चाहिए। 

(8) आंतरिक नियंत्रण = अंकेक्षण को लेखांकन के साथ - साथ आंतरिक नियंत्रण की भी अच्छी समझ होनी चाहिए ताकि वह संस्था के आंतरिक नियंत्रण का सही मूल्यांकन कर सके। 

(9) अंकेक्षण निष्कर्ष व प्रतिवेदन = अंकेक्षक को अंकेक्षण सबूत से प्राप्त परिणामों का मूल्यांकन करके प्रतिवेदन तैयार करना चाहिए। 

                         

                                                  चालू अंकेक्षण 


              चालू अंकेक्षण से आशय उस अंकेक्षण से है जिसमे संस्था के खातो की जाँच लगातार वर्ष में अंकेक्षक या उसके सहयोगियों द्वारा होती है।  चालू या निंरंतर अंकेक्षण का आशय वास्तव में उस अंकेक्षण से है जो वितीय वर्ष के प्रारम्भ होने से शुरू होता है और लगातार वर्ष भर होता रहता है या वितीय वर्ष में समयांतर ( जैसे साप्ताहिक , अर्धमासिक , मासिक या त्रैमासिक ) पर अंकेक्षक का स्टाफ अंकेक्षण करता रहता है। 

चालू अंकेक्षण के लाभ 

(1) विस्तृत एवं गहरी जाँच। 
(2) अशुद्धियों एवं कपट के प्रकट होने की संभावना। 
(3) अशुद्धियों एवं कपट का शीघ्र प्रकट हो जाना 
(4) अंकेक्षक द्वारा अधिक उपुक्त सलाह। 
(5) अंतिम खातों की शीघ्र तैयारी 
(6) अंतरिम खाते तैयार होने में सहायता। 
(7) लेखांकन में शीघ्र सुधार। 
(8) भावी योजनाये शीघ्र बन जाती। 
(9) कर्मचारियों पर अधिक नैतिक प्रभाव। 


                                             चालू अंकेक्षण से हानियाँ 

(1) अधिक खर्चीला। 
(2) कार्य में बाधा। 
(3) कार्य का तांता टूटने का भय। 
(4) कार्य में स्थिलता। 
(5) कर्मचारियों पर नैतिक प्रभाव में कमी। 
(6) जाँच किये हुए हिसाब में परिवर्तन की संभावना। 


                           सामयिक अंकेक्षण / अंतिम अंकेक्षण / वार्षिक अंकेक्षण 


    जब कोई वितीय काल समाप्त हो जाता है और उसके अंतिम खाते तैयार हो जाते है तो उस वर्ष के हिसाब - किताब के जाँच का कार्य आरम्भ किया जाता है।  जाँच कार्य तब तक चलता रहता है जब तक कि समाप्त  
नही कर लिया जाये। 






   यह अंकेक्षण  वितीय वर्ष की समाप्ति पर प्रारम्भ किया जाता है और एक बार में ही पुरे कार्य को पूर्ण कर लिया जाता है। इसलिए इसे पूर्णकृत अंकेक्षण भी कहते है।  यह अंकेक्षण अंतिम खाते तैयार होने के बाद किया जाता है इसलिए इसको अंतिम अंकेक्षण भी कहते है।  इस अंकेक्षण का एक नाम चिठा अंकेक्षण भी है , क्योंकि इसे चिठा बन जाने के पश्चात प्रारम्भ  जाता है। 

सामियक अंकेक्षण के लाभ 
(1) अंक परिवर्तन का भी नही। 
(2) कार्य में बाधा नही। 
(3) मितव्ययी ( कम खर्चीला )
(4) सुविधाजनक 
(5) कम समय में 
(6) कार्य का ताँता  है 

सामियक अंकेक्षण के हानियाँ 

(1) विस्तृत व् गहरी जाँच का आभाव 
(2) अशुद्धियों का देर से ज्ञान 
(3) कपट का देर से प्रकट होना 
(4) नैतिक प्रभाव में कमी 
(5) अंतिम खाते तैयार होने में विलम्ब 
(6) देर से सलाह मिलना 


                                             औचित्य अंकेक्षण 

                   प्रबंधको के द्वारा समय -समय पर लिए गए निर्णयों की जाँच करना औचित्य अंकेक्षण  कहलाता है जाँच तीन आधारो पर की जाती है -
(1) बुद्धिमानी 
(2) निष्ठां 
(3) मितव्यता 


                                                   निष्पति अंकेक्षण 


                    इस अंकेक्षण के अंतर्गत यह जाँच की जाती है कि कार्य का सम्पादन व्यवसाय के निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप है अथवा नही। 


                                   अंकेक्षण की महत्वपूर्ण अवधारणाएँ 


(1) अंकेक्षक की स्वतंत्रता की अवधारणा = किसी भी पेशे में स्वतंत्रता एक अनिवार्यता होती है बिना स्वतंत्रता के अंकेक्षक निष्पक्ष रूप से अंकेक्षण कार्य नही  पायेगा।  अंकेक्षक को कम्पनी के प्रबंधको , कर्मचारियों से आवश्यक अंकेक्षण सामग्री प्राप्त करने की स्वतंत्रता होती है अंकेक्षक की स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए कम्पनी अधिनियम ,2013 की धारा में निम्नलिखित व्यक्तियों को अंकेक्षण करने के लिए अयोग्य बताया गया है 
  (१) कम्पनी का अधिकारी अथवा कर्मचारी 
  (२) 
  (३)
  (४)






(2) सारभूतता की अवधारणा - यह बहुत ही आवश्यक व उचित है की अंकेक्षक ऐसी मदो के बारे  में निर्णय करे कि वे मदे एक अंकेक्षक के लिए सारभूत है या तुछ।  एक अंकेक्षक को सारभूत मदो के  उचित व विश्वसनीय आंकड़े एकत्र  लेने चाहिए।  सारभूत मदो को वित्तीय विवरणों उचित तरीके के प्रदर्शित करना चाहिए।

      कम्पनी अधिनियम 1956 के अनुसार सारभूत मदे वे खर्चे है जो

                                       कुल खर्चे का 1% हो
                                                या
                                         5000 रूपये
                                  दोनो में से जो अधिक हो = उसे अलग से लाभ- हानि खाते में दिखाया जायेगा


अंकेक्षक को ही मूल्यांकन करना होता है कि मदे सारभूत है या नही।  अंकेक्षक को या भी निश्चित करना पड़ता है कि जो मदे सारभूत प्रकृति की है उनको अलग से प्रकट किया गया है या नही।

                                       (3) सही एव उचित की अवधारणा 

     सही व उचित शब्द  स्पष्ट करते है कि संस्था के लेखांकन विवरणों में दिखाए गए परिणाम संस्था की सही आर्थिक स्थिति को बताते है। 
     सही व उचित की सुनिश्चितता करने के लिए अंकेक्षक को देखना चाहिए कि :- 
(१)लेखांकन सिद्धांतो के अनुसार सम्पतियों का अधिमूल्यन व अवमूल्यन किया गया है या नही। 
(२)किसी भी सारभूत सम्पति को नही छोड़ा गया हो। 
(३)किसी भी सारभूत दायित्व को नही छोड़ा गया हो। 
(४)आर्थिक चिठ्ठा कम्पनी अधिनियम ,2013  की अनुसूची -(३) के अनुसार बनाया गया है। 
(५) लेखांकन नीतियों का पालन किया गया है। 


                             (4) लेखांकन नीतियों के प्रकटीकरण की अवधारणा 


  महत्वपूर्ण लेखांकन नीतियों का प्रकटन बहुत अनिवार्य व  महत्वपूर्ण है।  यदि लेखांकन नीतियों में कोई भी परिवर्तन किया जाता है जिसका सारभूत प्रभाव होता है तो उसे प्रकट किया जाना चाहिए 
कुछ महत्वपूर्ण प्रकटीकरण निम्नलिखित है :-

(१)हास (Dep.) की विधियों में परिवर्तन। 
(२)विदेशी मुद्रा की मदों के विनिमय के लेखांकन में परिवर्तन। 
(३)स्टॉक मूल्यांकन की विधि में परिवर्तन। 
(४)विनियोग के मूल्यांकन में परिवर्तन। 
(५)ख्याति का उपचार 

   

                                             अंकेक्षण से लाभ 

(1) अनुशासन कायम रखना 
(2) अनियमिताए ,चोरी व गबन प्रकट होना 
(3) कर्मचारियों एवं प्रबंधको को सावधान करना 
(4) व्यापार की सही स्थिति बनाना 
(5) सच्चाई व ईमानदारी का प्रमाण पत्र 
(6) कर्मचारीयो की योग्यता का प्रमाण मिलना 
(7) बहुमूल्य सलाह मिलना 
(8) अंकेक्षित हिसाब-किताब का अधिक विश्वस्त होना 
(9) विनियोजको की रखवाली करना 




अतिरिक्त प्रश्न 
प्रश्न 1. पुस्तपालन व लेखांकन में अंतर बताये ?
प्रश्न 2. पुस्तपालन व अंकेक्षण में अंतर बताये ?






















Thursday, 13 August 2015

15 August 1947








चाहत



आज तू अपने आप से एक प्रश्न पूछ कि क्या तुझमे 'चाहत' है :-

अगर तुझमे चाहत है कुछ करने की तो बिना एक पल रुके शुरू हो जा !

अगर तूझमें चाहत है कुछ पाने की तो बिना एक पल देर किये उसकी तरफ एक कदम बड़ा दे !

अगर तूझमें चाहत है कुछ बनने की तो दुनिया को बनके दिखा दे !

अगर तूझमें चाहत है तेज दौड़ती दुनिया के साथ दौड़ने की तो उस रफ़्तार के साथ दौड़ के दिखा दे !

अगर तुझमे चाहत है आसमान छूने की तो किसका इंतजार कर रहा है !

अगर तुझमे चाहत है  दुनिया बदलने की तो जा बदल दे दुनिया क्योंकि दुनिया इंतजार कर रही है  बदलाव का !

अगर तुझमे चाहत है दुनिया से बुराई मिटाने की तो तू शुरुवात तो कर फिर देख तेरी चाहत कितने लोगो की चाहत बनती है !

तू चाहत रख किसी को अपना बनाने की , तू चाहत रख किसी का बनने की !


तू चाहत रख अपने तन मन में कुछ करने की जिस दिन तुझमे यह चाहत नही रही उस दिन तेरा इस दुनिया में होना  या न होना कुछ मायने नही रखेगा इसलिए चाहत रख अपनी पहचान बनाने की !

Friday, 7 August 2015

छोटा और बड़ा दुख

         
एक बार एक नवयुवक अपने गुरु से बोला, ' गुरु जी मै अपनी जिंदगी से बहुत परेशान हूँ , कृपया इस परेशानी से निकलने का उपाय बताए ! गुरूजी बोले, ' पानी से भरे इस लोटे में एक मुठी नमक डालो और उसे 
पियो !' युवक ने ऐसा ही किया ! 'इसका स्वाद कैसा लगा ? ' गुरु ने पूछा ! युवक थूकते हुए बोला बहुत ही खारा ! गुरूजी मुस्कराते हुए बोले, ' एक बार फिर अपने हाथ में एक मुठी नमक लेलो और मेरे पीछे-पीछे आओ !' दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी झील के सामने रुक गए ! 'चलो अब इस नमक को पानी में डाल दो !' गुरूजी ने निर्देश दिया ! युवक ने ऐसा ही किया ! गुरूजी बोले अब इस झील का पानी पियो ! युवक पानी पिने लगा ! एक बार फिर गुरूजी ने पूछा, 'बताओ इसका स्वाद कैसा है ? क्या अब भी तुम्हे ये खारा लग रहा है ?'  युवक बोला, 'नही ,ये तो मीठा है , बहुत अच्छा है। ' गुरूजी युवक का हाथ थामते हुए बोले 'जीवन के दुख बिलकुल नमक की तरह है।  न इससे कम और न ज्यादा !'  ये इस पर निर्भर करता है कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे है।  इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते हो कि खुद को बड़ा कर लो !लोटा मत बने रहो, झील बन जाओ। 

मेटी मेकोनेंन एसएमएस सर्विस के जनक

                 26 अप्रैल 1952 को जन्मे मेटी को मोबाइल नेटवर्क के जरिये एसएमएस (शॉर्ट मैसेज सर्विस ) शुरू करने का विचार 1984 में पहली बार आया ! उन्होंने यह कॉन्सेप्ट लंच के दौरान पिज्जा खाते -खाते टेलीकॉम एक्स्पर्ट के सामने रखा ! हालाँकि पहला टेक्स्ट मैसेज 3 दिसम्बर 1992 को भेजा गया था ! वे एसएमएस का विकास एक सयुक्त प्रयास मानते थे ! इस सेवा को लोकप्रिय बनाने में वे नोकिआ का योगदान मानते थे क्योंकि एसएमएस लिखने की सुविधा वाला पहला फ़ोन (नोकिया 2010 ) 1994 में इसी कंपनी ने पेश किया था ! इनका 30 जून 2015 को 63 वर्ष की उम्र में निधन हो गया ! वे 1989 में दूरसंचार फिनलैंड मोबाइल संचार इकाई के अध्यक्ष रहे !

Thursday, 6 August 2015

गरीब बच्चो के लिए छोड़ दी 6.37 करोड़ की नौकरी

       टाइटेनिक , ब्रेवहार्ट , एक्समैन ,इंडिपेंड्स डे और ऐसी ही सेकड़ो ब्लॉकबस्टर फिल्मो की प्रोडक्शन कम्पनी फॉक्स इंटरनेशनल के एग्जक्यूटिव रह चुके और सोनी पिक्चर के लिए काम कर चुके स्कॉट नेसन ने साल 2003 में अपने एशिया दौरे के दौरान कंबोडिया में बच्चों की गरीबी देख कुछ इस तरह विचलित हुए की उन्होंने लौटने के बाद अपनी एक मिलियन डॉलर लगभग 6 करोड़ 37 लाख रुपए सालाना की नौकरी छोड़ दी ! वह कंबोडिया में जाकर बस गए ! वहा गरीब बच्चो को भोजन, घर और शिक्षा मुहैया कराने के लिए कम्बोडियन चिल्ड्रन फण्ड बनाया !

कूड़े में पड़े तीन बच्चो को देख बदली सोच 

     53 वर्षीय स्कॉट को एशिया दौर के दौरान युद्ध की मार झेल रहे कंबोडिया में एक 86 वर्षीय महिला एक ऐसी जगह ले गई जहाँ तीन छोटे बच्चे कूड़े में पड़े हुए थे और टाइफाइड से बीमार थे ! वही दूसरे बच्चे कूड़े से खाना उठाकर खा रहे थे ! तभी अचानक उनके फ़ोन की घंटी बजी जिस पर दूसरी ओऱ उनकी फिल्म का एक बड़ा अभिनेता प्राइवेट जेट प्लेन में पीने और खाने की चीजो न होने की शिकायत कर रहा था ! इसके बाद ही उनकी जिंदगी बदल गई और उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ इन गरीब बच्चो की मदद करने की ठान ली !

     स्कॉट इसे अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा फैसला मानते है ! उनका कहना है कि इन बच्चो की जिंदगी में बदलाव लाना मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे कामो में से एक है ! उनका संगठन फ़िलहाल 1500 बच्चो को कपड़े , भोजन, शिक्षा और रहने की सुविधा दे रहा है, उनके स्वास्थ्य के लिए क्लीनिक और कम्युनिटी सेंटर भी खोला है !

ऐसे महान स्कॉट को मेरा सलाम !  

ईश्वर हमे देखता है

       एक गुरु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम में से सबसे अधिक योग्य को मै अपनी कन्या सौपना चाहता हु ! अतः पन्द्रह दिन के भीतर तुम में से जो मेरी पुत्री के लिए उसकी पसन्द का कपड़ा और गहना लेकर लौटेगा , उसी के हाथ में अपनी कन्या का हाथ सौप दुगा ! परन्तु एक शर्त यह की इस कपड़े और गहने लाने का पता केवल लाने वाले को छोड़कर किसी और को यहाँ तक तुम्हारे माता - पिता को भी न चले !" सभी शिष्य उत्साह में भरकर गर्दन हिलाते हुए चल पड़े !

      पन्द्रह दिन बाद सभी शिष्य सुन्दर - सुन्दर कपड़े और कीमती आभूषण लेकर गुरु जी के सामने उपस्थित हो गए ! सबने विश्वास दिलाया की इस सामान के विषय में माता-पिता को रती भर ज्ञान नहीं है ! किन्तु यह क्या कि एक शिष्य खाली हाथ लोट रहा है ! गुरु जी ने उसी से पहले पूछा , " तुम तो खाली हाथ आये हो ! क्या तुम्हारे घर में कुछ नही था !" शिष्य बोला , " गुरुदेव  घर में तो बहुत कुछ है ! माता - पिता से छिपाकर बहुत कपड़े और आभूषण ला सकता था किन्तु आप ने तो कहा था कि ईश्वर सर्वत्र है , वह हमारे प्रत्येक काम को देखता है ! उससे हमारा कुछ छिपा नहीं है ! तो यदि मै चुराकर लाता तो माता -पिता भले ही न देखते , वह ईश्वर देख ही लेता ! इसलिए में कुछ नहीं  ला सका  !

     गुरूजी ने कहा , " यह पाठ तो इन शिष्यों को भी पढ़ाया था ! ये तो पाठ को भूल गए ! किन्तु तुम्हे याद रहा ! तो अपनी कन्या का हाथ मै तम्हे ही सौपता हूँ !"
  

नशा INTOXICATION

   
   'नशा ' बीसवीं शताब्दी का सबसे लोकप्रिय शब्द जिसने करोड़ो व्यक्तियों को दीवाना बना रखा है ! धनी-निर्धन  बालक-वृद्ध, शिक्षित- अशिक्षित, स्त्री- पुरुष और मालिक- मजदूर सभी इसके शिकंजे में ऐसे फसे हुए है कि उनका बाहर निकलना संभव नही ! 
  
      नशे के अनेक साधन है ! जैसे शराब , गांजा , अफीम , चरस आदि ! कुछ नशे के इंजेक्शन भी प्रचलित है ! इसके अलावा स्प्रिट, अल्कोहल से तैयार कई प्रकार की विषैली मदिरा भी खूब उपयोग में लाई जाती है ! और इसको पीने से कई बार कई लोगो की एक साथ मोत हो जाती है !

     नशा बड़ा विचित्र होता है ! इसमें अपार आकर्षण होता है ! आरम्भ में व्यक्ति शोक से पीते है किन्तु धीरे-धीरे इसके आदि हो जाते है ! एक बार अगर लत लग गई तो समझो बेचारा गयासे  काम ! कुछ घर में खाने को हो या न हो, नशा अवश्य होना चाहिए ! घर में बच्चे भूखे ही क्यों न रहे , श्रीमान जी तो जरूर पियेंगे ! न जाने कितने घर इस नशे के कारण तबाह हो चुके है और कितने ही रोज घर तबाह हो रहे है किन्तु फिर भी नशेड़ी शाम आने पर अपने सारे वादे भूलकर फिर उस पाप की भटी में कूदकर अपने दिल-दिमाग़ को जला डालते है ! जेब में पैसे होने पर नशेबाज बादशाह होता है और जेब खली होने पर यही बादशाह भिखारी ,चोर ,डाकू ,जेबकतरा यहाँ तक की कभी - कभी खुनी तक बन जाता है ! कई लोग अपने नशे की आदत के कारण अपनी बीवी और बेटी की इज्जत को बेच डालते है ऐसे लोगो के साथ क्या किया जाये ? मेरे देश का भविष्य इस नशे के कारण केसा होगा?

    वैसे तो सारे नशे एक से बढ़कर एक है जो इंशान को हैवान ही नही बल्कि शैतान बना देती है , परन्तु इन सब में शराब अव्वल है ! क्योकि यह एक ऐसा नशा है जिसकी मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है और धीरे -धीरे इन्शान का पूरा विनाश हो जाता है !

    आज के युग में नशे की गोलियों का प्रचलन बड़ी तीव्र गति से बढ़ रहा है ! कितने ही युवा इसकी चपेट में आ चुके है ! वाह रे नशे तूने मेरे भारत के नागरिको का सर्वनाश कर डाला है ! 
     
        संभलो  मेरे देशवाशियो ! छोड़ो इस राक्षश नशे की मित्रता ! रक्षा करो इस बहुमूल्य जीवन की जो कि तुम्हे परमात्मा ने दिया है ! कल के भारत की कल्पना करो हे मेरे देश के युवाओ तुम में दुनिया बदलने की ताकत है तुम इस ताकत को नशे में मत गवाओ ! आगे बढ़ो और इस देश को नशे से मुक्ति दिलाओ ! इसमें ही हम सब का कल्याण है !

धन्यवाद 










सच्चा तपस्वी

        एक साधु थे ! तप करते- करते बाल भी सफेद हो चुके थे ! एक दिन वे एक पेड़ के निचे बैठे अपने शिष्यों को उपदेश दे रहे थे , " मनुष्य में अहंकार अर्थात घमंड नही होना चाहिए ! उसका सच्चा रूप तो विनम्रता है !" कुछ देर बाद एक शिष्य ने पूछा , "गुरूजी , कहते है - ज्ञान की कोई सीमा नही है ! आप से ज्ञान प्राप्त करने के बाद हमे ऐसे कौन से तपस्वी के पास जाना चाहिए जो आपसे अधिक ज्ञानी हो !
    
         साधु को शिष्य की यह वाणी कड़वी लगी , बोले " मैने जीवन भर तप किया है ! मेरे सूखे और सफेद बालो से तुम इसका अनुमान लगा सकते हो ! फिर भला मुझसे बढ़कर तपस्वी और ज्ञानी और कौन हो सकता है ?

          जिस वृक्ष के नीचे यह साधु उपदेश दे रहे थे , उस पर तोता-मैना भी बैठे साधु की यह बात सुन रहे थे ! बोले - "यह कैसा साधु है ? अभी कह रहा थे की घमंड कभी नही करना चाहिए जबकि स्वयं की तपस्या पर इतना घमण्ड है ! शायद इसे पता नही कि विनम्रता क्या होती है ? अगर यह पुष्कर साधु के पास जाए तो पता चल जाए कि कौन सच्चा और बड़ा तपस्वी है ?"

           यह साधु पक्षियों को बोली समझते थे ! सुनते ही क्रोध में पुष्कर के साधु से मिलने चल पड़े जब यह साधु पुष्कर के उस आश्रम में पहुंचे तो देखा की वह साधु एक चबूतरे पर बैठे शिष्यों को उपदेश दे रहे है  ! साधु निकट पहुंचकर क्रोध से बोले , तुम मुर्ख हो , धूर्त और पाखण्डी हो ! एक अनजान साधु के मुख से ये शब्द सुनकर शिष्य तो क्रोधित हो गए परन्तु शिष्य कुछ कहते , इससे से पूर्व ही साधु चबूतरे से नीचे आकर बोले, महात्मन !सचमुच ज्ञानी तो आप है आपने मुझे नया ज्ञान दिया है ! मेरे आसन पर तो आपको बैठना चाहिए ! मेरा स्थान तो नीचे है ! पुष्कर के साधु की विनम्रता को देखकर वह साधु पानी - पानी हो गए और बोले , जो क्रोध में भी ज्ञान का दीप जला ले , उससे महान भला और कौन हो सकता है ? सच्चे तपस्वी तो आप है ! 

खुद में बदलाव लाने का तरीका

दोस्तों आप ने अपनी लाइफ में यह बात कई बार सुनी होगी की पहले खुद सुधर जा फिर दुसरो को सुधारना ! परन्तु आप को यह जानकर ख़ुशी होगी की जब अपन  किसी भी व्यक्ति को कुछ उपदेश देते है या उसे कुछ अच्छी सलाह देते है या फिर उसे गलत रास्ते पर चलने से मना करते है और उसे कहते है की मेरे भाई ऐसा मत कर , ऐसा कर, यह सही है , वो गलत है !बहुत कुछ, हर इन्शान अपनी लाइफ में हर दिन किसी न किसी को उपदेश देता रहता है ! परन्तु अगर किसी अन्य व्यक्ति को अपने में कुछ कमी मिल जाये तो वह सीधा यही कहेगा की पहले खुद तो सुधर जा !
    
         दोस्तों जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कुछ उपदेश देता है और भले ही वह खुद उनका पालन नही करता है तो उसे टोको  मत क्योकि वह व्यक्ति जब किसी को उपदेश दे रहा होता है  तो वह सामने वाले व्यक्ति को समझाने को पूरा प्रयास करता है ऐसा करने से एक बहुत बड़ा फायेदा उपदेश देने वाले को मिलता है  वह यह की सामने वाले व्यक्ति उस उपदेश को सुनकर भले ही थोड़ी देर में भूल जाये परन्तु जो उपदेस दे रहा होता है वह व्यक्ति उन बातो को कभी नही भूलता और वह अपने जीवन में उन उपदेशो पर अमल करता है !

     इस बात को हम एक लाइफ के वास्तविक अनुभव से समझ सकते है !  मेरी रिश्तेदारी में दो व्यक्ति थे एक का नाम था अजय और दूसरे का नाम थे विजय ! दोनों की उम्र लगभग 40 वर्ष थी !  दोनों शराब बहुत पीते थे ! दोनों के परिवार इस बात से बहुत दुखी थे ! पहले तो दोनों रोज रात को शराब पीते थे परन्तु कुछ दिनों से विजय दिन को भी शराब पिने लगा और इस बात से विजय का परिवार  बहुत दुखी था ! अजय और विजय दोनों एक दूसरे के रिश्तेदार थे इसलिए एक दूसरे की इज्जत करते थे ! 

     एक दिन विजय का परिवार अजय के पास गया और अजय को कहा की आप के मित्र विजय सुबह से रात हर समय शराब पीते रहते है और इस बात से हम सब बहुत परेशान है कृपया करके आप विजय को समझाए की वो शराब न पिये परन्तु अजय तो खुद शराब पिता था फिर भी उसने विजय को उसके घर जाकर समझाया खूब समझाया की शराब पीना गलत है अपने परिवार को परेशान मत कर ! अजय के समझाने से विजय तो थोड़ा बहुत समझ पाया ! परन्तु ऐसा करने के बाद अजय की लाइफ में परिवर्तन आने लग गया उसने शराब पीना पहले तो कम कर दिया और फिर बंद कर दिया !

     इसलिए दोस्तों जब अपन किसी व्यक्ति को अच्छी शिक्षा देते है तो सामने वाला समझें या न समझे अपन खुद समझ जाते है और अपने में सुधार होना शुरू हो जाता है ! इसलिए दोस्तों जब किसी को अच्छी शिक्षा देनी हो तो दीजिये क्योकि सामने वाला समझे या न समझें खुद को अक्ल जरूर आ जाती है !

Thanks 













Wednesday, 5 August 2015

How To Remove Negative Thought From Your Mind ( अपने दिमाग से नकारात्मक विचार कैसे हटाये)


                    दोस्तों अगर आप को आप के दिमाग से नकारात्मक विचार (Negative Thought ) हटाने है तो आप एक काम कीजिये आप नकारात्मक विचार को अपने दिमाग से हटाने की कोशिश मत कीजिये बिलकुल भी नही क्योकि आप जितना नकारात्मक विचारो को अपने दिमाग से दूर करने की कोशिश करेंगे नकारत्मक विचार उतने ही ज्यादा आप के दिमाग में आयेगे ! इसलिए सबसे पहले तो नकारात्मक विचारो को अपने दिमाग से हटाने की कोशिश बंद कर दीजिये ! अब आप सोच रहे होंगे तो करना क्या है ?  आप को सिर्फ यह करना है  की नकारात्मक विचारो को दिमाग से दूर करने की कोशिशि करने की जगह सिर्फ सकारात्मक विचारो को अपने दिमाग में लेकर आना है और आप उस काम में मन लगाये जिस काम को आप बिना रुके, थके 12 घंटे तक लगातार कॉन्सेंट्रशन के साथ कर सकते हो !
                   ऐसा करते ही आपके नकारात्मक विचार अपने आप गायब हो जायेंगे ! अगर आप हर हाल में खुश रहे , मस्त रहे तो फिर नकारात्मक विचार आने का प्रश्न ही नही उठता इसलिए वह काम करने जो आप दिल से मन लगाकर कई घंटो तक लगातार कर सकते है ! मेरा कहने का मतलब है अपने आप को अपने मनपसंदीदा काम में व्यस्त रखिये !

Thanks       

Concentration Power (एकाग्रता) Motivational

Concentration Power (एकाग्रता ) अपनी लाइफ में होनी बहुत जरूरी है ! जिसकी लाइफ में एकाग्रता नही होती वो अपनी पूरी लाइफ में कोई काम कभी सही और श्रेष्ठ तरीके से न तो कर पाया होगा और न कर पायेगा! इसलिए दोस्तों आप अपनी लाइफ में कोई भी काम करे उसे एकाग्रता के साथ करे आप तभी उसे सफल हो पाओगे !
        
        मै आप को एक Example से समझाता हुँ एक बार एक स्कूल में दो लड़के पढ़ते थे एक ही क्लास में ! दोनों लड़के मेहनती थे दोनों बराबर पढ़ाई करते थे जितने घंटे दिन में पहला पढ़ाई करता थे उतने घंटे दूसरा लड़का भी पढाई करता था और दोनों ने साथ में ही Exam दिए परन्तु जब रिजल्ट आया तब पहला लड़का तो पूरी Class में First आया और दूसरा बहुत कम नंबर्स लाकर पास हुआ ! 
    
          ऐसा क्यों हूआ ? ऐसा इसलिए हुआ क्यों की जब दोनों लड़के पढ़ाई करते थे न तब पहला लड़के का Concentration पूरा उसकी पढाई पर रहता था और दूसरा लड़का पढाई तो करता था पर उसका Concentration पूरी तरह से उसकी पढ़ाई में नही रहता था  वह किताबे सामने रखकर पढ़ाई करता था तब उसके दिमाग में ओर भी कई विचार चलते रहते थे जिसकी वजह से वह पूरी तरह से समझ नही पाता था और उसके नंबर्स पहले लड़के से बहुत काम आये ! मेहनत तो दोनों ने की पर दोनों का रिजल्ट अलग-अलग था क्योंकि एक पूरी कंसंट्रेशन के साथ पढ़ाई करता था और दूसरे का कंसंट्रेशन उसकी पढ़ाई में नही होता था ! इसलिए दोस्तों जब भी कुछ काम करे तो उस काम के अलावा कुछ भी विचार अपने दिमाग में न लाये !

          यही चीज हम सब पर भी लागु होती है आप ने कई लोग देखे होंगे जो बहुत आगे निकल जाते है और कुछ बहुत पीछे रह जाते है लाइफ के किसी भी हिस्से में ! यह अंतर कंसेंट्रेशन की वजह से होता है ! इसलिए दोस्तों कुछ भी काम करो जो भी आपका लक्ष्य है जो भी आप की मंजिल है उसे पाने के लिए जब काम करे मेहनत करे तो Full Concentration के साथ करे ! अगर आप ने ऐसा किया न तो आप अपने आप को कुछ समय बाद सबसे आगे खड़ा पाओगे !

Thanks  

Tuesday, 4 August 2015

हार कब होती है ?

"हार तब नही होती जब आप गिर जाते है  हर तब होती है जब आप गिरकर वापस खड़े नही होते !"

इसलिए दोस्तों आप अपनी लाइफ में कभी हारिये मत हमेशा खड़े हो जाइये एक दिन हार खुद ही हार जाएगी  और आप जीत जाओगे और अपनी मंजिल , अपने लक्ष्य को हासिल कर लोगे !

Thanks 

"जब तक जीना , तब तक सीखना ...."  अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है !
                                                                               स्वामी विवेकानन्द 

Thought Power (विचार (सोचने ) की शक्ति)/ Motivational

हेलो दोस्तों में आज आपको Thought Power के बारे में बताउगा ! Thought Power एक ऐसी शक्ति है जिसके माध्यम से आप वो हर वस्तु को प्राप्त कर सकते हो जो आप को चाहिए! आप को सुनने में अजीब लग रहा होगा परन्तु यही सच है 100% सच ! दोस्तों आपने अपने जीवन में कई बार यह महसूस किया होगा की जो आप ने कुछ समय पहले सोचा था वो सोचा हुआ हकीकत बन गया ! ऐसे तो आप कई चीजे सोचते है  पर वो सब आप के साथ होता तो नही है इसका जवाब आपको मेरी ये पोस्ट पूरी पढ़ने के बाद स्वतः ही मिल जायेगा !

यह तो आप मानेगे ही की जब एक इंसान कुछ नई वस्तु का आविष्कार करता है या कोई नया Idea या कोई नई चीज बनाता है तब वो इंसान उस वस्तु को दो बार बनाता है पहली बार अपने दिमाग में और दूसरी बार बाहरी दुनिया के लिए ! तो जब पहली बार उसने दिमाग में वस्तु कैसे बनाई ? विचार करके बनाई उसके दिमाग में खूब  Thought आये और उन  Thought  के माध्यम से ही वह एक नई वस्तु को बना पाया !दोस्तों अगर आप को भी अपनी मंजिल को पाना है अगर आपको अपने लक्ष्य् को पाना है  आपको भी सफल होना है लाइफ में कुछ बनाना है अपने सपने सच करने है तो इसकी शुरुवात आप अभी मेरे साथ कर सकते है !

आप को कुछ नही करना है सिर्फ उठते, बैठते, सोते ,जागते एक ही काम करना है और वो काम है विचार करना आप आज से ही जिस भी मंजिल को पाना चाहते हो उसके बारे में आप को विचार करना है सिर्फ कुछ दिनों तक ! पर इन कुछ दिनों में आप को इस काम के आलावा और कुछ नही करना ! सिर्फ अपनी मंजिल के बारे में सोचना है ! जैसे आप अगर डॉक्टर या वकील या इजीनियर या CA या Business Man या जो भी आपका लक्ष्य् है वो हासिल करना चाहते है तो विचार करे ! आप को अपने लक्ष्य् के बारे में सोचकर उदास बिलकुल नही होना है अगर आपने ऐसा किया तो आपको कुछ भी हासिल नही होगा ! आपको सिर्फ अपनी मंजिल के बारे में अच्छा सोचना है ! और खुश होना है आप ऐसा सोचिये जैसे आप ने अपनी मंजिल को प्राप्त कर लिया है और फिर खुश होइए आप विचार कीजिये की आप डॉक्टर बन गए या इंजीनियर बन गए और फिर सोचिये की अगर आप को आपकी मंजिल मिल जाये तो आप की हर जगह इज्जत बढ़ जाएगी आप के पास पैसा , बंगला , दौलत  सब कुछ होगा जो आपको चाहिए वो सब मिल गया है  

ऐसा सोचते ही आप भावनाये खुशी में बदल जाएगी और कुछ दिनों तक ऐसा सोचिये अब अगर आप ने ऐसा करने में ज्यादा समय लिया या फिर अगर सच में खुश नही हुए तो जो में अब बताने जा रहा हु वो आप के साथ नही होगा परन्तु अगर आप सच में रात- दिन अपने लक्ष्य् के बारे में सोचकर अंदर से खुश हुए हो तो आप के साथ वह सब होगा जो में अब बताउंगा !दोस्तों अगर आप ने पहला पड़ाव पर कर लिया न तो आप का  दिमाग अपना काम करना शुरू कर देगा आप का दिमाग अब आप से बहुत कुछ करवाएंगे ! आप का दिमाग आप के सामने आप की मंजिल को पाने के हजारो तरीके आप के सामने लाकर रख देगा और आप से उन रास्तो पर जाने के लिए प्रोत्साहित करेगा अगर आप उस रास्ते पर नही चल पाये तो आप का दिमाग आप के सामने और नए नए रास्ते लाकर  रख देगा और आप को लालच देगा की अगर तू इसपर चलेगा न तो तुझे तेरी मंजिल मिल जाएगी और आप उन रास्तो पर चलने लग जाओगे जो आप को आपको मंजिल तक ले जायेगे और रास्ते  में आप का दिमाग आप से कई काम करवाएगा जो आपकी मंजिल को पाने के लिए जरुरी होगे अब आपको उस मंजिल तक जाने से कोई नही रोक पायेगा चाहे इसके लिए कितनी ही मेहनत क्यों न करनी पड़े आप अपने लक्ष्य को पाने में लग जाओगे आप बाकि सब भूल जाओगे आप को सिर्फ आप का लक्ष्य दिखाई देगा ! 

दोस्तों और एक दिन आप अपनी मंजिल को प्राप्त कर लोगे जो आप ने विचार किये थे वो सब सच हो जायेगे अगर आप को यकीन नही है  तो करके देखिये क्योकि जो सपने देखता है न उसके ही सपने सच होते है ! यहाँ पर सिर्फ इतना ध्यान रखना है की जितना आप जिस वस्तु के बारे में सोचोगे न उतना ही वह वस्तु आप के पास आती जाएगी ! क्योकि हम खुद ही हर पल विचार करते है कुछ सोचते रहते है और उन्ही विचारो से हमारे भविष्य का निर्माण होता है  यही प्रकृति का नियम है ! तो अब आप निर्णय लीजिये की आप का सोचना चाहते हो अच्छा या कुछ बुरा ! ध्यान रखियेगा इससे आपका भविष्य का निर्माण होगा ! 













Monday, 3 August 2015

सुविचार :-

 कोई चीज इंसान दो बार बनाता है पहले अपने दिमाग में और दूसरी बाहर की दुनिया में !


इसे हम एक Example से समझ सकते है किसी इंसान ने हवाई जहाज को पहले अपने दिमाग में बनाया फिर बाहर की दुनिया के लिये !

Wednesday, 29 July 2015

एक अटूट सत्य

             आप इस समय जो सोच रहे है , उससे आप अपने भावी जीवन की रचना कर रहे है ! आप अपने विचारो से अपने जीवन का निर्माण कर रहे है ! चूँकि आप हमेशा सोच रहे है , इसलिए आप हमेशा निर्माण कर रहे है ! आप जिसके बारे में सबसे ज्यादा सोचते है या जिस पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करते है , वही आपके जीवन में प्रकट होगा !
प्रकृति के सभी नियमो की तरह ही यह नियम भी बिलकुल सटीक है ! आप अपने जीवन की रचना करते है ! आप जो बोयेंगे , वही काटेंगे ! आपके विचार बीज  है और आप जो फसल काटेंगे , वह आपके बोये बीजो पर निर्भर करेगी !

Thursday, 23 July 2015

सुविचार :-

जिंदगी में इतनी गलतियाँ मत करो की पेन्सिल से पहले रबर घिस जाये और रबर को इतना मत घिसो की जिंदगी का पेज ही फट  जाये !

Thursday, 16 July 2015

सु-विचार :-

सफलता का असली मजा उसी ने लिया है जो असफल होकर सफल हुआ है !

Wednesday, 15 July 2015

सुविचार




हम उन्हे रूलाते हैं, जो हमारी परवाह करते हैं.
(माता पिता)
हम उनके लिए रोते हैं, जो हमारी परवाह नहीं करते...
(औलाद )
और, हम उनकी परवाह करते हैं, जो हमारे लिए कभी नहीं रोयेगें !...
(समाज)
We do care, they are our rulate.
(Parents) we don't care for them are screeching our ...
(Aulad) and, we care, we never for rogen! ...
(Society)

सु-विचार :-

                   सत्य परेशान होता है पराजित नहीं 

Monday, 6 July 2015

सुविचार :-


 सीढ़िया उनके लिए बनी है,जिन्हे सिर्फ छत पर जाना है ! आसमाँ पर हो जिनकी नजर, उन्हें तो रास्ता खुद बनाना है !

सुविचार :-

   लोग शायद ही कभी सफल होते है जब तक की जो वो कर रहे है  उसमे आनदं न ले ! 

Saturday, 4 July 2015

सुविचार :-

               अच्छे से अच्छे इंसान में भी बुराई का कुछ अंश होता है !
               और बुरे से बुरे इंसान में भी कुछ अच्छाई होती है !

Friday, 3 July 2015

सफलता से अधिक विफलता सिखाती है !

 

                   विफलता का मतलब हार कभी नही होता , यदि इंसान इस बात को ठीक से समझ ले , तो जिंदगी में आने वाली छोटी छोटी परेशानियां उसका कुछ भी नही बिगाड़ सकती , बल्कि हर बार इंसान और मजबूत होकर आगे बढ़ता है ! 
                   अपने अंदर हमेशा कुछ न कुछ Improve करने के लिए तैयार रहना चाहिए, अक्सर कुछ नया करने का मौका प्रदान करती है ! जी हा, यह पूरी तरह सच है  कि लोग जितना अपनी सफलता से नही सीखते , उससे ज्यादा उनको अपनी विफलता से सिखने को मिलता है ! आप कोई काम करते है और उसमे विफलता मिलती है , तो इससे आपकी Fiting खत्म नही होती, बल्कि यह आपको दोबारा ऐसी स्थति आने से पहले ही तैयार होने का अवसर प्रदान करती है ! आपको सोचना और समस्या का हल निकालना सिखाती है !

संतोष

            संतोष वह महागुण है , जिसकी साधना से व्यक्ति शिखर तक पहुचता है ! इस पूँजी के आगे धन भी धूल के समान लगता है !
   
            दोस्तों संतोष बहुत आवश्यक है ! हम मनुष्य प्रजाति में संतोष की कमी है ! हम किसी चीज को पाकर संतुष्ट नही होते है ! अगर एक चीज मिल जाती है ! तो दूसरी चीज की तरफ ध्यान चला जायेगा और उसे प्राप्त करने में लग जाते है ! इसी वजह से कुछ चीजो को प्राप्त करने के चककर में हम अपना और हमारी अाने वाली पीढ़ी का नुकसान करने में लगे हुए ! अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारी आने वाले पीढ़ी के लिए बहुत सारे संकट हम पैदा करके रख देंगे ! संतोष आभाव के कारण ही मानव प्रकृति का अंधाधुन दोहन कर रहा है और यही कारण है  कि प्रकृति मानव को भूकप , बाढ़ , तूफान आदि के माध्यम से दंडित भी कर रही है ! 

Thursday, 2 July 2015

ईश्वर

                        




  भगवान महावीर से पूछा गया कि ईश्वर क्या है ?
  उन्होंने कहा कि उसे बताने के लिए शब्द नही है !सारे शब्द वहा से टकराकर लौट आते है ! तर्क वहां ठहरता नहीं, बुद्धि उसे ग्रहण नही कर पाती ! वह न गंध है , न रूप , न रस, न शब्द और न स्पर्श ! ग्रंथो की भाषा में वह नेति-नेति यानि ऐसा , वैसा भी नही !कैसा है, उसे बताया नहीं  जा सकता ! आत्मा-परमात्मा को शब्दों के माध्यम से बताने के प्रयास होते रहे है !

अभिलाषा

1. अभिलाषाओं से उपर  उठ जाओ  तो अभिलाषाएं पूरी हो जाएगी , परन्तु यदि उसे मांगोगे तो उसकी पूर्ति तुमसे और दूर चली जाएगी ! इसलिए अपनी अभिलाषाओं पर अंकुश लगाना सीखो !
                                                                                                                           रामतीर्थ 
2. अभिलाषा घोडा बन सकती तो प्रत्येक मनुष्य घुड़सवार हो जाता !
                                                                                                                           शेक्सपीयर 
3. फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला मनुष्य ही मोक्ष प्राप्त करता है ! कर्म ही जीवन का सार है ! कर्म करने वाला मनुष्य ही सफलता को प्राप्त करता है !
                                                                                                                           गीता 
4. हमारी अभिलाषा जीवन रूपी भाप को इन्द्रधनुष के रंग देती है !
                                                                                                                           टैगोर
5 . गरीब वह है जिसकी अभिलाषाए बढ़ी हुई है ! सुखी और प्रसन्न वह मनुष्य है जो कम अभिलाषाएं रखता है
                                                                                                                           डेनियल                                                   




Tuesday, 30 June 2015

Mind (दिमाग)

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दिमाग हमारी शरीर रूपी गाड़ी का ड्राइवर है जब हम जाग रहे होते है तो दिमाग हमारे निर्देशानुसार गाड़ी चलाता है और जब हम नींद में होते है तो दिमाग अपनी इच्छानुसार गाड़ी चलाता है !

आकर्षण का नियम

आकर्षण का नियम अपने दिमाग के विचारो के आधार पर काम करता है जिस चीज को आप सोचोगे वह आपकी और आकर्षित होगी ! आकर्षण का नियम "नहीं " शब्द को नहीं समझता जो आप सोचोगे वैसा आप के साथ होगा !

अगर आप दुखी होगे और दुःख के बारे में सोचोगे  दुख आप के पास आएगा अगर आप कुछ सोचकर खुश होते हो तो आप के साथ अच्छा ही होगा यही आकर्षण का नियम है  !

एहसास के माध्यम से पता चल जाता है  कि क्या सोचना अच्छा है  और क्या सोचना बुरा !

महसूस कीजिए की आप सेहतमंद है

महसूस कीजिए की आप दौलतमंद है

महसूस कीजिए की आप खुसनुमा है

तो आप के यह सब हो जायेगा !

जो दिमाग सोचता है वही शरीर करता है !

जीवन का सार

मन की सारी व्रतियों को रोककर एक हो केंद्र पर मन का ध्यान लगाने को योग कहते है ! योग से मन काबू में आता है  अगर योग से मन पे काबू पा लिया जाये तो सारी सिद्धिया मिल जाती है  क्योकि मन ही इस संसार में सबसे बलवान है ! वही इंसानो के बंधन और मोक्ष का कारण होता है वही पाप और पुण्य का कर्ता है !

किसी जीव का दुःख दूर करना उसे सुख पहुचना उससे प्रेम करना यही पुण्य है यही धर्म है और किसी का मन दुखाना किसी को पीड़ा पहुचाना यही अधर्म है यही पाप है प्रेम ही पुण्य है घिर्णा ही पाप है !

इन्ही पाप पुण्यो में घिरा हुआ जीव एक योनि से दूसरी योनि में जन्म लेता मरता और फिर जन्म लेता रहता है !

प्राणी जब किसी शरीर में आता है तो उसे जन्म कहते है  और इस शरीर को छोड़कर किसी और स्थान पर चला जाता है  तो उसे मरण कहते है ! असल में केवल शरीर मरता है आत्मा नही मरती !

हमारे अंदर जो जीवित है वह जीव आत्मा है हम सब जीव आत्मा ज्योति कणो की तरह समय की अनंत लहरो पर बहते चले जा रहे है बहते चले जा रहे है !

असल में हर जीव आत्मा इस अनंत पथ पर अकेली ही सफर करती है  रस्ते में दिव्पो की तरह कई धरतीया कई लोक आते है जहाँ हम जन्म लेते है और दूसरे जीवो के साथ मिलने-बिछड़ने ,दोस्ती -दुश्मनी का खेल खेलते है  ! फिर एक दिन वहाँ का शरीर भी छोड़कर हम समय की लहरो पर अकेले ही आगे चल देते है ! बिछडने वालो का मोह थोड़ी दूर तक पिछा करता है परन्तु जीव तो नये नये रूप धारण कर लेता है ! लोको के बीच वह अकेला ही भटकता रहता है , भटकता रहता है !

इसका अंत केवल मुक्ति है और इंसान मुक्ति तभी पा सकता है  जब वह पाप और पुण्य दोनों से परे हो जाये ! क्योंकि पाप और पुण्य दोनों जी जंजीरे है एक लोहे की और एक सोने की ! परन्तु जब कर्म निष्काम कर्म हो जाता है फल की इच्छा से रहित हो जाता है तो जीव इस कर्म फल से मुक्त हो जाता है !


 IN ENGLISH


To stop the mind wandering and concentrate all faculties on one point is called yoga. When yoga controls the mind, all power can be gained becase the mind is the most powerful force in the world, IT binds as well as liberates man. IT is the doer of virtuous action or sin.

 

To relieve the pain of any being to give happiness and love this is virtue and Dharma and to injure someone and cause emotional pain is sin and againt Dharma.

SO LOVE IS VIRTUE AND HATRED IS SIN

 

A soual caught in the cycle of sin and virtue dies and reborn again and again in various wombs. When a soul enters any body it is called taking birth , when the soul departs from the body to go else where is death. In truth , only the body dies not the soul.

 

What is alive in us is the soul all individual souls are like atoms of light flow etenally on the stream of time. In truth each individual soul on this infinite path journeys alone like islands in the stream pass many worlds , many earths where we are born to meet others souals and part from them and play out games of friendship and enemity . And then the soul leaves this body too , to journey alone on the stream of time again love for those left behing again love for those left behind follows in its wake awhile the soul takes many new forms . Till it is reborn, it wanders among new beings the soul keeps wandering in loneliness the soul keeps wandering.

Only the souls salvation is the end man finds salvation only when he is free of sin and virtue because both sin and virtue are chains that bind one is Iron, the other is Golden. But when the action is deviod of desire for reward it is freed from desire the being is freed from the results of karma. 

सुर्य वन्दना


 

सुर्य वन्दना आध्यात्मिक  भी है और वैज्ञानिक भी सूर्य उदय के  समय  सुर्य  की  तरफ  मुँह करके वंदना करने से शरीर सवस्थ होता है  मन में प्रकाश आता है और जीव के अंदर ऊर्जा बढ़ती है ! यही समय योगसाधना के लिए भी उत्तम होता है !



Friday, 19 June 2015

Ye khuda tu baata tera kya naam h

    Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai
Kya Hai Teri Hakikat Jo Gumnaam Hai
Tujhpe Khud Ko Chhupane Ka Ilzaam Hai



Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai
Kya Hai Teri Hakikat Jo Gumnaam Hai
Tujhpe Khud Ko Chhupane Ka Ilzaam Hai

Tune Duniya Banayee Kyu Maksad Bata
Tune Duniya Banayee Kyu Maksad Bata

Roohe Isme Basai Kyu Matalab Jata
Roohe Isme Basai Kyu Matalab Jata

Tere Jalwo Se Roshan Zameen Aasma
Kyu Kisi Ko Nazar Tu Naa Aata Yaha

Teri Pardanaseeni Ka Anzaam Hai
Doodhta Aaj Bhi Tujhko Insaan Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai

Dharmo Mazahab Me Hai Tere Charche Baya
Shaan Me Teri Likhte Hai Parche Vaha
Dharmo Mazahab Me Hai Tere Charche Baya
Shaan Me Teri Likhte Hai Parche Vaha

Sabke Bhagwan Apne Hi Apne Jaha
Naa Samajh Tujh Ko Samjhe Ladke Yaha
Tu Samjhadar Ho Ke Bhi Anjaan Hai
Hai Badi Karte Insaan Ko Badnaam Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai

Tune Jannat Banane Ki Mehant Bhi Ki
Phir Ye Dojakh Ko Laane Ki Jahamat Kyu Ki
Tune Jannat Banane Ki Mehant Bhi Ki
Phir Ye Dojakh Ko Laane Ki Jahamat Kyu Ki

Khel Kaisa Sa Gajab Tha Gajab Dhaa Diya
Nekiyo Ko Badi Se Mila Jo Diya

Lena Kab Tak Tumhe Sab Ka Imtihaan Hai
Ab Sabhi Ke Dilo Me Ye Armaan Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai

Very good song plz watch on YouTube 

Monday, 15 June 2015

Nature Taught The Love

Su-vichar:- Nature taught the love example where mother an child, brother and brother and waves of the sea learn to love the moon. In life, the father and son or brotherly relationship are not decided by men they pre-destined. Similarly, the one destination to be your wife. When and how will meet her. All this is pre determined by GOD. That is why a man must when he meets her offer up to her all his love and complete trust. So, that, afterwards you don't even think of another in all life.
Thanks.

प्रेम करना प्रकति सिखाती है जैसे माँ को बालक से , भाई को भाई से और सागर की लहरो को चन्द्रमा से ! संसार में पिता -पुत्र का नाता इंसानो के बनाने से नहीं बनता यह पहले से ही निर्धारित होता है उसी प्रकार जीवन में किसे तुम्हारी पत्नी बनंना ह और कब और कहा उस से भेट होनी है यह भी विधाता पहले से ही निश्चित का देता है ! इसलिए इंसान को चाहिए की जब उससे भेट हो तो अपना सम्पूर्ण विश्वास सम्पूर्ण प्रेम उसे सौप दे जिससे उसके पश्चात जीवन में किसी दूसरी और ध्यान ही न जाये।
धन्यवाद !

Duty of Son

Su-vichar:- The duty of every son is such that even if the father has not spoken but wishes for something in his heart. A son must fulfil event at the cost of life.
Thanks

हर पुत्र का यह धर्म है की पिता मुख से न भी कुछ कहे फिर भी अपने पिता के मन में इछा हों तो उसे प्राण देकर भी पूरी करे !
        

Friday, 12 June 2015

God (Bhagwan) ka Awtar

सु विचार

हर एक इंसान भगवान का अवतार है पर इंसान अपने ही मायाजाल में फस कर उलज कर अपने आप को नही पहचान पाता !

Kisi Insan Ko Dhan (Money) Ke Alawa Bhi Kuch Diya Ja Sakta h....

Su-vichar:-     Aap kisi ko Dhan (money) ke alawa bhi kuch de sakte ho wo h ek payar bhra akhsar(word) ek mithi muskan (smile) or iska mol to Dhan se bhi jayda h
Thanks.

Achi Baat (अच्छी बात )

पत्थर पर लिखा कभी नही मिटता परन्तु पानी पर लिखा पल भर भी नही ठहरता इसलिए मन में क्रोध और दुश्मनी को उतनी देर ही रखना चाहिए जितनी देर पानी पर लिखा रह सकता है ! 

Thanks.

Gyan Ka Effect Har Ek Insan Per Alag Rup Se Padta h.


जैसे वर्षा का पानी सब पेड़ पोधो पर एक समान गिरता है पर किसी के लाल फूल निकलते है तो किसी के पीले पते , इसी प्रकार से एक ही ज्ञान का अलग अलग इंसानो पर उनके संस्कारो और भावनाओ के अनुसार अगल अलग प्रभाव पड़ता है !

KARMA

Su-vichar :-    Apne karm ki achai or burai ko har time parkhte rehna chahiye Aapne karam ko perkhne ke liye insano ke pass ek hi ksoti(upaye) h ki we yah soche ki me agar Abhi Mar jayu to mera yah karam Kis ginti (category) me aayega. Isliye koi bhul ho jaye to use usi time sudhar leni chahiye yah kbhi n soche ki aaj ki bhul kal sudhar lunga kyoki kbhi kbhi kaal kal ka time nhi deta.
Thanks 

Man Ki Sakti

Su-vichar :-  Sbse badi sakti man ki hoti h per man ek ghode ki tarh hamesa bhagta rehta h YOGA ki help se jo man pe kabu kar leta h wah sansar ki sabhi saktiyo per adhikar kar leta h.

सिद्ध पुरुष


    जैसे धुप में बैठने से सूरज की किरणे हमारे शरीर में आ जाती है उसी प्रकार से ज्ञानी पुरुष सिद्ध पुरुष के पास बैठने से उनके आत्म ज्ञान उनकी भावनाए , उनकी शक्तियों का प्रकाश हमारे शरीर में सूक्ष्म रूप से प्रवेश करता है ऐसे ज्ञानी पुरुष  बिना कुछ कहें ही बहुत कुछ दे देते है !

MUKTI

Su-vichar:-  Jaha jiveen h wahi mirtiyu h Jaha mngal h waha Amangal bhi sath khda hota h. Kewal sukh pakdne jaoge to usi ki chaya me dukh ko bhi pakda paoge isliye jo sukh or dukh dono ko chodkar aatma me leen hota h wahi saswat aanand ko pata h usi ko mukti kehte h

दुःख और सुख


  1.  वस्तु दुःख नही देती अज्ञानता दुःख देती है ! 

   2.  इस दुनिया में दुःख- सुख जैसी कोई वस्तु नही होती ,
       दुःख सुख तो इंसानो की भावनाओ का खेल है 
       क्योकि एक ही वस्तु एक इन्शान के सुख का कारन 
       बन जाती है और वही वस्तु दूसरे के दुःख का कारण बनती है !

Thursday, 11 June 2015

VAQT

                                          VAQT (TIME)

 SU-VICHAR:-   Iss duniya me sbse kimati hota h VAQT (TIME)

                               ( kyoki gujra hua ek second bhi hum waps nhi la sakte ).                                     Dear Frinds ,
                       Me waqt ki impotance aap ko iss poem ki help se batane ki kosish kruga

Vaqt ki raftar ko apno to,
                                Nihal kar dega Vaqt .
Vaqat se pichad jaoge to,
                                Behal kar dega ye Vaqt.
Vaqt ki yaaarrii agar ho jati h,
                               Aap ke sath dosto.
To chand taro ki ser aapko,
                               Kara layega ye vaqt.
Yaha vaqt ki njakqt ko ,
                               Pehchan kar jo chalta h.
Gulam bankar unki khidmat me ,
                               Lag jata h vaqt.
Vaqt ke sath agar n jamta ho,
                              Aapka mel kbhi to.
Bana banaya khel aapka ,
                               Nakam kar deta h vaqt
Vaqt ka lihaj karna sikha ,
                               Aapne agar to
Har din aap per khusiya ki ,
                              Barish kar deta h vaqt.
Vaqt ki kimat agar pehchani nhi,
                              Aap ne kabhi to
Duniya se aap ki pehchan ,
                              Kam kara dega ye vaqt.
Vaqt isu h, vaqt Rub  h, vaqt hamara,
                              Khuda h.
Vaqt ke rup me bhgwan ne hame tofa,
                              Diya h vaqt.
Vaqt chabi h us khjane ki jo,
                              Mehnat se najar aata h .
Vaqt ko psine se nehlo to,
                              Malamal kar deta h vaqt.

Sacha Guru

Su-vichar :- Humari galtiya hame dikhane lag jaye, fir kisi guru ki aawskata nhi. 



Dear friends,
             Aap ka Sacha guru aap khud hi h bs aap ki galtiya aap ko dikhane lag jaye to fir kisi guru ki aawskata nhi hoti h.
            Hamare pehle guru to Hamare mata pita hote h uske baad jo humare guru hote h unka swbhaw sarel hona chahiye unme krodh, moh, maya, lobh nam ki koi chij nhi honi chahiye or jo har musibat me hame rasta dikhaye yese guru hi sache guru hote per aaj ke time me sache guru ko pehchan pana muskil h per agar aap ko apni galtiya dikhane lag jaye to fir kisi guru ki aawskata nhi hoti kyoki iswar ne hame bhi sahi or galt ko perchance ki sakti di h.
Thanks.

Wednesday, 10 June 2015

SANSAR KA NIYAM

Su-vichar:-    Jesa do wesa lo.

Dear friends 

                   Iss sansar ka niyam h Jesa aap doge wesa aap ko waps mileage 100 percent milega isliye agar koi insan aap ko gali de ya thpad mare to  use apne account me credit kar dijiye  kyoki Aapne jo diya h wahi aap ko waps mila h aap jo kuch Iss sansar ko denge wo waps mile bina nhi rahega isliye kisi ko kuch dene se pehle 100 bar soch lijiye kyoki jo aap de rahe h wo aap ko waps jaru milega. Ab ye aap per depend karta h ki aap ko kya chahiye jo aap ko chahiye wo hi dusro ko dijiye.
Yah sansar bura nhi h or n hi hum sansar ko sudhar sakte h hum ise ek example se smaj sakte h man lo aap ke bal bikhre huye h or ab aap darpan ke samne jakr khade ho jao aap ke bal jese bikhre huye h aap ko wese hi dikhenge ab agr aap bal sahi karna chahte ho to kya aap darpan per kanga ghumayenge ? Nhi n aap ko bal sahi krne ke liye apne sir pe kanga ghumana padega. 
 Yah sansar ek darpan h jise hum suthar nhi sakte per hum apne aap ko jarur sudhar  sakte h or agr aap apne aap ko sudhar Le to sansar apne aap sudhr jayega.
 Thanks
          

Sangati ka asar

Su-vichar:- Jiska sang bigda, Uska sb kuch bigda.



Dear friends kusangati ek jehar h kusangati se hamesa bhot dur rehna chahiye. Kusangati ka asar man per hota h, dimag per hota h, chit per hota h, puri body per hota h.
Kusangati se dil bigdta h, dil bigdta h to dimag bigdta h or is se us insan ka present to bigdta h hi future bhi bigdta h isliye kusangati se dur rahiye.
Kusangati or bura rasta dikhane wale to bhot mil jayenge unse bachiye or un insano ke sath jakr judiye jinka sang sudhra hua h kyoki jiska sang sudhra uska sb kuch sudhra..
Thanks



My First Blog

su-vichar

Aavaskta hi Aaviskar ki Janni hoti h

 

 

ye upper likhi line bhot choti si h per rukiyo thoda isko dhayn se padiye muje yakin h aap dhyan se padke iske bare me thoda vichar karoge to aap ko pura smaj me aa jayega ki pura world is choti si line ke adhar se hi bana hua h kyoki insan ne apni Aavaskra ko pura karne ke liye hi Aaviskar kiye h or yah abhi bi jari h to aap bhi jara sa sochiye mind devlop kijiye or apni Aawsktao ki purti ke liye Aawiskar kijiye ....In this world everything is possible so please thing about and change your life .