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Tuesday 23 February 2021
Sunday 23 April 2017
Worlds smallest countries in Hindi
दुनिया के सबसे छोटे देश
1. वैटिकन सिटी(Vatican City)
क्षेत्रफल - 0.44 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 1000
कुछ शानदार इमारते
2. मोनाको (Monaco)
क्षेत्रफल - 2.02 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 38000
समुन्द किनारे बसा शानदार देश
3. नॉरू (Nauru)
क्षेत्रफल - 21.3 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 10000
इस देश की अपनी कोई सेना नही
4. तुवालु (Tuvalu)
क्षेत्रफल - 26 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 10000
यह देश चार आइलैंड से मिलकर बना है
5. सेन मैरिनो (San Marino)
क्षेत्रफल - 61 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 32200
यूरोप का सबसे पुराण गणराज
6. लिक्टनस्टीन (Liechtenstein)
क्षेत्रफल - 160.4 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 37800
इसकी राजथानी वादुज है
7. मार्शल आइलैंड (Marshall Islands)
क्षेत्रफल - 181 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 54600
1156 द्वीपों में बटा हुआ है
8. सेंट किट्स एंड नेविस (Sain kitts and Nevis)
क्षेत्रफल - 261 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 56000
उतरी अमेरिका का सबसे छोटा देश
9. मालदीव (Maldives)
क्षेत्रफल - 298 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 371300
पर्यटको की पसंदीदा जगह
10. माल्टा(Malta)
क्षेत्रफल - 316 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 420400
एक विकसित देश
1. वैटिकन सिटी(Vatican City)
क्षेत्रफल - 0.44 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 1000
कुछ शानदार इमारते
2. मोनाको (Monaco)
क्षेत्रफल - 2.02 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 38000
समुन्द किनारे बसा शानदार देश
3. नॉरू (Nauru)
क्षेत्रफल - 21.3 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 10000
इस देश की अपनी कोई सेना नही
4. तुवालु (Tuvalu)
क्षेत्रफल - 26 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 10000
यह देश चार आइलैंड से मिलकर बना है
5. सेन मैरिनो (San Marino)
क्षेत्रफल - 61 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 32200
यूरोप का सबसे पुराण गणराज
6. लिक्टनस्टीन (Liechtenstein)
क्षेत्रफल - 160.4 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 37800
इसकी राजथानी वादुज है
7. मार्शल आइलैंड (Marshall Islands)
क्षेत्रफल - 181 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 54600
1156 द्वीपों में बटा हुआ है
8. सेंट किट्स एंड नेविस (Sain kitts and Nevis)
क्षेत्रफल - 261 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 56000
उतरी अमेरिका का सबसे छोटा देश
9. मालदीव (Maldives)
क्षेत्रफल - 298 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 371300
पर्यटको की पसंदीदा जगह
10. माल्टा(Malta)
क्षेत्रफल - 316 वर्ग किलोमीटर
जनसँख्या - लगभग 420400
एक विकसित देश
Monday 16 January 2017
China Great Wall In Hindi//चीन की विशाल दीवार का इतिहास और किस्से
चीन की विशाल दीवार
चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शाशको द्वारा उत्तरी हमलारो से रक्षा के लिए पांचवी शताबदी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस मानव निर्मित ढांचे को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है इस दीवार के हिस्सो /शाखाओ को आपस में जोड़ दिया जाये तो यह अंदाजा लगाया गया है की इस महान विशाल दीवार के निर्मांण कार्य में 20 से 30 लाख लोगो ने अपना जीवन लगा दिया था और इस दीवार पर मिग वंस की सुरक्षा हेतु 10 लाख से अधिक लोग नियुक्त रहते थे। इस विशाल दीवार की ऊँचाई हर जगह एक जैसी नही है इसकी सबसे ज्यादा ऊंचाई 35 फुट जबकि कुछ जगह तो 8 से 9 फुट ही ऊँचाई है। इस दीवार को चीन के लोग "वान ली छांग छंग " कहते है जिसका अर्थ होता है "चीन की विशाल दीवार "
चीन की महान दीवार हमेशा अजेय नही रह सकी सन 1211 ईस्वी में चंगेज खान ने इस दीवार पर हमला किया था और इसे तोड़ कर चीन में दाखिल हुआ था। चीन की महान दीवार को बनाते समय जो मजदुर काम करते करते कमजोर पड़ जाते थे और उनकी मोत हो जाती थी उन्हें उसी जगह पर दफना दिया जाता था और माना जाता है की इस दीवार को बनाने में लगभग 3000 मजदूरो की जान गई और कैयो ने अपनी पूरी जिंदगी इस दीवार को बंनाने में लगा दी। इसलिये इस दीवार को लम्बे कब्रिस्तान भी कहा जाता है
चीन में राज्य की रक्षा करने के लिए दीवार बनाने की शुरुआत आठवी शताब्दी ईसापूर्व में हुई उस समय कुई , यान और जाहो राज्यो ने तीर और तलवारो से होने वालो आक्रमणों से बचने के लिए मिट्टी और कंकड़ की सहायता से ईंटे बनाई और फिर इन ईटो से दीवार का निर्माण कार्य शुरू किया गया आगे चलकर चिन कीन
साम्रज्य के अंतर्गत आ गया और किन साम्रज्य ने सभी छोटे राज्यो को एक एक करके एक अंखड चीन की रचना की और विभिन्न राज्यो द्वारा बनाई गई दीवारों को एक करके विशाल चीन की दीवार का निर्माण किया गया। आज यह दीवार विश्व में चीन का नाम ऊँचा करती है और यूनेस्को द्वारा 1987 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया। इतना ही नही चीन की इस दीवार को सात अजूबो में भी गिना जाता है।
चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शाशको द्वारा उत्तरी हमलारो से रक्षा के लिए पांचवी शताबदी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस मानव निर्मित ढांचे को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है इस दीवार के हिस्सो /शाखाओ को आपस में जोड़ दिया जाये तो यह अंदाजा लगाया गया है की इस महान विशाल दीवार के निर्मांण कार्य में 20 से 30 लाख लोगो ने अपना जीवन लगा दिया था और इस दीवार पर मिग वंस की सुरक्षा हेतु 10 लाख से अधिक लोग नियुक्त रहते थे। इस विशाल दीवार की ऊँचाई हर जगह एक जैसी नही है इसकी सबसे ज्यादा ऊंचाई 35 फुट जबकि कुछ जगह तो 8 से 9 फुट ही ऊँचाई है। इस दीवार को चीन के लोग "वान ली छांग छंग " कहते है जिसका अर्थ होता है "चीन की विशाल दीवार "
चीन की महान दीवार हमेशा अजेय नही रह सकी सन 1211 ईस्वी में चंगेज खान ने इस दीवार पर हमला किया था और इसे तोड़ कर चीन में दाखिल हुआ था। चीन की महान दीवार को बनाते समय जो मजदुर काम करते करते कमजोर पड़ जाते थे और उनकी मोत हो जाती थी उन्हें उसी जगह पर दफना दिया जाता था और माना जाता है की इस दीवार को बनाने में लगभग 3000 मजदूरो की जान गई और कैयो ने अपनी पूरी जिंदगी इस दीवार को बंनाने में लगा दी। इसलिये इस दीवार को लम्बे कब्रिस्तान भी कहा जाता है
चीन में राज्य की रक्षा करने के लिए दीवार बनाने की शुरुआत आठवी शताब्दी ईसापूर्व में हुई उस समय कुई , यान और जाहो राज्यो ने तीर और तलवारो से होने वालो आक्रमणों से बचने के लिए मिट्टी और कंकड़ की सहायता से ईंटे बनाई और फिर इन ईटो से दीवार का निर्माण कार्य शुरू किया गया आगे चलकर चिन कीन
साम्रज्य के अंतर्गत आ गया और किन साम्रज्य ने सभी छोटे राज्यो को एक एक करके एक अंखड चीन की रचना की और विभिन्न राज्यो द्वारा बनाई गई दीवारों को एक करके विशाल चीन की दीवार का निर्माण किया गया। आज यह दीवार विश्व में चीन का नाम ऊँचा करती है और यूनेस्को द्वारा 1987 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया। इतना ही नही चीन की इस दीवार को सात अजूबो में भी गिना जाता है।
Sunday 8 January 2017
Mysterious earth facts in Hindi /धरती के बारे में कुछ अजीबो गरीब पहलू
धरती के बारे में कुछ अजीबो गरीब पहलू
1. गोल नही है हमारी धरती यु तो धरती गोलाकार है लेकिन गुरत्वाकर्षण के कारण यह एक परफेक्ट सर्कल नही है भूमध्य रेखा के आसपास गुरुत्वाकर्षण के कारण कुछ उभर निकले हुए है धरती की ध्रुवीय तिरज्या (पोलर रेडियस ) 3949.99 मील है जबकी भूमध्य रेखा (इक्वाटोरियल रेडियस ) 3963.35 मील है इसलिए जो भी चीजे भूमध्य रेखा पर है वे धरती के केंद्र से ज्यादा दुरी पर है
2. धरती का था जुड़वाँ ग्रह -वैज्ञानिक मानते है की किसी समय हम सौर मंडल में अकेले ऐसे ग्रह नही थे जिस पर जीवन था हमारा एक जुड़वाँ ग्रह थिया था जो मंगल के आकार का था और करीब 4.533 बिलियन साल पहले थिया धरती से टकरा गया और इसका अधिकतर हिस्सा धरती में अवशोषित हो गया और सम्भव है बच्चे हिस्से से ही चन्द्रमा बना।
1. गोल नही है हमारी धरती यु तो धरती गोलाकार है लेकिन गुरत्वाकर्षण के कारण यह एक परफेक्ट सर्कल नही है भूमध्य रेखा के आसपास गुरुत्वाकर्षण के कारण कुछ उभर निकले हुए है धरती की ध्रुवीय तिरज्या (पोलर रेडियस ) 3949.99 मील है जबकी भूमध्य रेखा (इक्वाटोरियल रेडियस ) 3963.35 मील है इसलिए जो भी चीजे भूमध्य रेखा पर है वे धरती के केंद्र से ज्यादा दुरी पर है
2. धरती का था जुड़वाँ ग्रह -वैज्ञानिक मानते है की किसी समय हम सौर मंडल में अकेले ऐसे ग्रह नही थे जिस पर जीवन था हमारा एक जुड़वाँ ग्रह थिया था जो मंगल के आकार का था और करीब 4.533 बिलियन साल पहले थिया धरती से टकरा गया और इसका अधिकतर हिस्सा धरती में अवशोषित हो गया और सम्भव है बच्चे हिस्से से ही चन्द्रमा बना।
Interesting Facts About Moon in Hindi/चंद्रमा से जुड़े रोचक तथ्य
चाँद से जुड़े मजेदार तथ्य :-
चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है यह सौर मंडल का पांचवा सबसे बड़ा विशाल उपग्रह है पृथ्वी से चंद्रमा की दुरी 384400 किलोमीटर है चन्द्रमा पर गुरत्वाकर्षण पृथ्वी से 0.16666 है यह पृथ्वी की परिक्रमा 27.3 दिन में पूरी करता है इसलिए चंद्रमा का केवल एक हिस्सा ही पृथ्वी की ओर होता है और हम पृथ्वी से चन्दमा का केवल एक ही हिस्सा देख पाते है और पृथ्वी पर समुंद्री ज्वार भाटा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आते है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में घूमता हुआ सूर्य और पृथ्वी के बीच में होकर गुजरता है और सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है तो उसे सूर्यग्रहण कहते है।
सोवियत राष्ट्र का लूना-1 पहला अन्तरिक्ष यान था जो चंद्रमा के पास से गुजरा था लेकिन लूना -2 पहला यान था जो चन्द्रमा की जमीन पर उतरा था। सन 1968 में केवल नासा अपोलो कार्यक्रम ने उस समय मानव मिशन चन्द्रमा पर भेजने की उपलब्धि हासिल की थी सन 1961 से 1972 के बीच छह मानवयुक्त यानो ने चंद्रमा की धरती पर कदम रखा जिसमे से अपोलो -11 ने सबसे पहले कदम रखा। इस यानो ने वापसी के दौरान 680 किलो से ज्यादा चन्द्र चटाने लेकर वापस लोटे जिसका इस्तेमाल करके चन्द्रमा की उतपत्ति उसकी आंतरिक सरंचना के बारे में खोज की जा सकी। वेज्ञानिको का मानना है की आज से 450 करोड़ साल पहले थिया नामक उल्का धरती से टकरा गया और थिया का अधिकतर हिस्सा धरती में अवषोसित हो गया शेष बच्चे हिस्से से ही चन्द्रमा बना। चन्द्रमा के रोचक तथ्य इस प्रकार है :-
1. चाँद 27.3 दिनों में धरती का चक्कर पूरा करता है
2. अब तक सिर्फ 12 मनुष्य चाँद पर गए है पिछले 41 वर्षो से चाँद पर कोई आदमी नही गया
3. नील आर्मस्ट्रांग ने चाँद पर जब अपना पहला कदम रखा तो उससे जो निशान चाँद की जमीन पर बना वह अब तक है और अगले लाखो सालो तक रहेगा क्योकि चाँद पर हवा तो है ही नही जो इसे मिटा दे।
4. चाँद धरती के आकार के सिर्फ 27%हिस्से के बराबर है
5. चाँद है साल धरती से 4 सेंटीमीटर दूर खिसक रहा है अब से 50 अर्ब साल बाद चाँद धरती का एक चक्कर 47 दिन में पूरा करेगा जो अभी 27 दिनों में करता है
6. चाँद पर पानी भारत की खोज है भारत से पहले कई वैज्ञानिको का मानना था की चाँद पर पानी होगा परन्तु किसी ने खोजा नही
7. अगर चाँद गायब हो जाये तो धरती पर दिन मात्र 6 घण्टे का रह जायेगा
8. चाँद का सिर्फ 59% हिस्सा ही धरती से दिखता है।
चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है यह सौर मंडल का पांचवा सबसे बड़ा विशाल उपग्रह है पृथ्वी से चंद्रमा की दुरी 384400 किलोमीटर है चन्द्रमा पर गुरत्वाकर्षण पृथ्वी से 0.16666 है यह पृथ्वी की परिक्रमा 27.3 दिन में पूरी करता है इसलिए चंद्रमा का केवल एक हिस्सा ही पृथ्वी की ओर होता है और हम पृथ्वी से चन्दमा का केवल एक ही हिस्सा देख पाते है और पृथ्वी पर समुंद्री ज्वार भाटा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आते है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में घूमता हुआ सूर्य और पृथ्वी के बीच में होकर गुजरता है और सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है तो उसे सूर्यग्रहण कहते है।
सोवियत राष्ट्र का लूना-1 पहला अन्तरिक्ष यान था जो चंद्रमा के पास से गुजरा था लेकिन लूना -2 पहला यान था जो चन्द्रमा की जमीन पर उतरा था। सन 1968 में केवल नासा अपोलो कार्यक्रम ने उस समय मानव मिशन चन्द्रमा पर भेजने की उपलब्धि हासिल की थी सन 1961 से 1972 के बीच छह मानवयुक्त यानो ने चंद्रमा की धरती पर कदम रखा जिसमे से अपोलो -11 ने सबसे पहले कदम रखा। इस यानो ने वापसी के दौरान 680 किलो से ज्यादा चन्द्र चटाने लेकर वापस लोटे जिसका इस्तेमाल करके चन्द्रमा की उतपत्ति उसकी आंतरिक सरंचना के बारे में खोज की जा सकी। वेज्ञानिको का मानना है की आज से 450 करोड़ साल पहले थिया नामक उल्का धरती से टकरा गया और थिया का अधिकतर हिस्सा धरती में अवषोसित हो गया शेष बच्चे हिस्से से ही चन्द्रमा बना। चन्द्रमा के रोचक तथ्य इस प्रकार है :-
1. चाँद 27.3 दिनों में धरती का चक्कर पूरा करता है
2. अब तक सिर्फ 12 मनुष्य चाँद पर गए है पिछले 41 वर्षो से चाँद पर कोई आदमी नही गया
3. नील आर्मस्ट्रांग ने चाँद पर जब अपना पहला कदम रखा तो उससे जो निशान चाँद की जमीन पर बना वह अब तक है और अगले लाखो सालो तक रहेगा क्योकि चाँद पर हवा तो है ही नही जो इसे मिटा दे।
4. चाँद धरती के आकार के सिर्फ 27%हिस्से के बराबर है
5. चाँद है साल धरती से 4 सेंटीमीटर दूर खिसक रहा है अब से 50 अर्ब साल बाद चाँद धरती का एक चक्कर 47 दिन में पूरा करेगा जो अभी 27 दिनों में करता है
6. चाँद पर पानी भारत की खोज है भारत से पहले कई वैज्ञानिको का मानना था की चाँद पर पानी होगा परन्तु किसी ने खोजा नही
7. अगर चाँद गायब हो जाये तो धरती पर दिन मात्र 6 घण्टे का रह जायेगा
8. चाँद का सिर्फ 59% हिस्सा ही धरती से दिखता है।
Saturday 24 December 2016
समझे डॉक्टर्स की लिखावट को
अगर गोर से देखे तो आप भी डॉक्टर की भाषा यानी कि उनकी लिखी पर्ची समझ सकते है वे अक्सर पर्ची पर लिखी गई दवा के आगे , पास या ऊपर की तरह कुछ शॉटकट लिखते है जिन्हें आप समझने की कोशिश कर सकते है यदि आप को डॉक्टरो द्वारा लिखे जाने वाले कुछ शॉटकट पता हो जैसे
AC ; खाने से पहले
PC : खाने के बाद
OD : दिन में एक बार
BD/BDS : दिन में दो बार
TD/TDS : दिन में चार बार
SOS : जब जरूरत लगे
Tab : टैबलेट
Cap : कैप्सूल
Amp : इंजेक्शन
Ad Lib : जरूरत हो उतना ले
G OR Gm : ग्राम
Gtt : ड्रॉप्स
H : .... घण्टे बाद
Mg : मिलीग्राम
MI : मिलीलीटरPO : मुँह से
Thursday 22 December 2016
10 Tips for Secure Cashless Transactions In Hindi
1 online payment करने के लिये जो आप aaps डाउनलोड करते है वे एप्स केवल Official Stores से डाऊनलोड करे
2. एप्स के publisher को वेरीफाई करे
3. एप्स को install करते समय उसकी शर्तो को ध्यान से पढ़े
4. ईमेल या टेक्स्ट मैसेज से प्राप्त होने वाले लिंक पर क्लिक न करे
5. ऑनलाइन भुगतान केवल अच्छी वेबसाइट होने पर ही करे
6. हमेशा ऑनलाइन भुगतान करते समय 2 फैक्टर ऑथेंटिकेशन को अपनाये
7. आपका पासवर्ड मजबूत होना आवश्यक है
8 कभी भी साइबर कैफ़े से ऑनलाइन भुगतान न करे
9. कभी भी फ्री Wi-Fi नेटवर्क से ऑनलाइन भुगतान न करे
10 अपने मोबाइल और कंप्यूटर में एंटीवायरस को जरूर इनस्टॉल करे
Tuesday 29 November 2016
आप नही जानते Youtube की ये पाँच महत्वपूर्ण बाते
आप नही जानते Youtube की ये पाँच महत्वपूर्ण बाते
1. यूट्यूब का निर्माण Paypal कम्पनी के तीन भूतपूर्व कर्मचारियों ने किया था जिनका नाम Chad Hurley , Steve Chen तथा Jawed Karim है
2. नवंबर 2006 में Youtube को Google ने 1.65 बिलियन डॉलर में खरीद लिया था
3. यूट्यूब पर अभी तक का सबसे ज्यादा देखा गया विडियो का नाम है " गंगनम स्टाइल " इस विडियो को 2696 मिलियन व्यू मिले
4. यूट्यूब पर सबसे ज्यादा जिस चैनल को सब्सक्राइबर मिले है उस चैनल का नाम है PewDiepie इस चैनल को स्वीडन देश के मेकर स्टूडियो ने बनाया है इसे 49 मिलियन से भी ज्यादा लोगो ने सब्सक्राइब किया है
5. जुलाई 2016 में Alexa Internet ने इस वेबसाइट को दुनिया की फेमस वेबसाइड में दूसरा स्थान दिया
ht
Friday 25 November 2016
भारत के ये तथ्य जानकर आप रह जायेगे हैरान
1. इंडिया नाम की उत्पति इंडयूस नाम की नदी से हुई है जो कि इंडुयस वैली की घाटियों में बहा करती थी
2. भारत विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टि में सबसे बड़े देशो की लिस्ट में सातवें नंबर पर आता है
3. विश्व की सबसे बड़ी डाक व्यवस्था सिर्फ भारत में है
4. देश की पवित्र नगरी वाराणसी विश्व का सबसे पुराना शहर है
5. भारत में हिंदी के बाद सबसे ज्यादा अंग्रेजी बोली जाती है
6. विश्व का सबसे बड़ा रोड नेटवर्क भारत में ही है
7. भारत में 50% से ज्यादा लोग 25 साल से छोटे है तो वही 65% लोग 35 साल से छोटे है भारत जनंसख्या के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
8. शून्य यानी की जीरो की अवधारणा भारत ने ही दुनिया को दी।
9. दुनिया में सोना(गोल्ड) खरीदने में सबसे आगे भारत है
10. विश्व में सबसे जायद शाकाहारी भारत में रहते है।
जय हिन्द। मेरा भारत महान
Friday 11 November 2016
World's Top Ten Gold Mines in Hindi दुनिया की सबसे बड़ी सोने की खाने
देश - उज़्बेकिस्तान (Uzbekistan)
2015 में उज्बेकिस्तान की इस खान से 61 टन सोना निकाला गया
2 . ग्रासबर्ग खान (Grasberg)
देश - इंडोनेशिया (Indonesia)
2015 में इंडोनेशिया की इस खान से 42.3 टन सोना निकाला गया
3. गोल्डस्ट्राइक खान(Goldstrike)
देश - यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका (United State of America)
2015 में यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका की इस खान से 32.8 टन सोना निकाला गया
5. प्यूब्लो वैजो (Pueblo Viejo)
7. कार्लिन ट्रेड (Carlin)
10. बोडिंगटन (Boddington )
देश - ऑस्ट्रेलिया (Australia)
2015 में ऑस्ट्रेलिया की इस खान से 24.7 टन सोना निकाला गया
Thursday 25 August 2016
Saturday 2 July 2016
WHAT IS SEX LIMIT in Hindi सेक्स लिमिट
एक कार्यक्रम में सद्गुरु से एक व्यक्ति ने प्रश्न किया
प्रश्न:- गुरूजी सेक्स हमारे समाज में इतना निंदनीय क्यों माना जाता है ?
गुरु जी ने उतर दिया :- सेक्स किसी प्रकार से निंदनीय नहीं यह तो जीवन का हिस्सा है परन्तु इसको एक सीमा में बाँधने के लिए अलग अलग उपाय खोजे गए। प्रत्येक कार्य एक सीमा (limit) में होना चाहिए अति हर कार्य की बुरी होती है उसी प्रकार सेक्स की भी एक सीमा बांधना जरूरी था क्योकि सेक्स करने की इच्छा अत्यधिक प्रबल होती है। अगर समाज सेक्स को निंदनीय नहीं मानता तो समाज का , मानव जाती का ,तकनीकी का , विज्ञान आदि का विकास असम्भव होता। क्योकि मानव भोग विलास की सीमाएं पार कर जाता और अपने अंदर उत्पन होने वाली सर्व शक्तिशाली ऊर्जा को व्यर्थ में बहाता रहता और मानव जाती पशुओं और जानवरों की तरह होती। इसलिए समाज ने सेक्स को निंदनीय कार्य माना है ताकि मानव विकास की और अग्रसर हो तथा अपनी शक्ति का दुरूपयोग न करें ,मानव हर समय भोग विलाश में न डूबा रहे। इंसान अपनी मर्यादा में रहे और सेक्स को एक समय के बाद समाज की स्वीकृति से मर्यादा में रहकर लिमिट में करें ताकि उस व्यक्ति के स्वय के विकास के साथ साथ समाज का भी विकास हो सके।
प्रश्न:- गुरूजी सेक्स हमारे समाज में इतना निंदनीय क्यों माना जाता है ?
गुरु जी ने उतर दिया :- सेक्स किसी प्रकार से निंदनीय नहीं यह तो जीवन का हिस्सा है परन्तु इसको एक सीमा में बाँधने के लिए अलग अलग उपाय खोजे गए। प्रत्येक कार्य एक सीमा (limit) में होना चाहिए अति हर कार्य की बुरी होती है उसी प्रकार सेक्स की भी एक सीमा बांधना जरूरी था क्योकि सेक्स करने की इच्छा अत्यधिक प्रबल होती है। अगर समाज सेक्स को निंदनीय नहीं मानता तो समाज का , मानव जाती का ,तकनीकी का , विज्ञान आदि का विकास असम्भव होता। क्योकि मानव भोग विलास की सीमाएं पार कर जाता और अपने अंदर उत्पन होने वाली सर्व शक्तिशाली ऊर्जा को व्यर्थ में बहाता रहता और मानव जाती पशुओं और जानवरों की तरह होती। इसलिए समाज ने सेक्स को निंदनीय कार्य माना है ताकि मानव विकास की और अग्रसर हो तथा अपनी शक्ति का दुरूपयोग न करें ,मानव हर समय भोग विलाश में न डूबा रहे। इंसान अपनी मर्यादा में रहे और सेक्स को एक समय के बाद समाज की स्वीकृति से मर्यादा में रहकर लिमिट में करें ताकि उस व्यक्ति के स्वय के विकास के साथ साथ समाज का भी विकास हो सके।
Friday 24 June 2016
Study Planing
Dear friends,
Me mere experience ke base per aap ko study planning kaise kare taki aap ka result bhot hi Acha rhe ke bare me batuga.
Mene study planning ko class wise categary me bata h jo iss type se h: -
1. Class 1 to 5th
2. Class 6 to 8th
3. Class 9 to 10th
4. Class 11 to12th
1. Class 1 to 5th :-
Class 1 se 5th me study karne wale bacho ko study iss type se karwaiye ki bacho ko study ek khel (game) lage n ki borring lage .
agar aap chahte ho ki aap ka bacha school me ache number laker aaye to aap ko kuch baato ka dhyan rakhjna padega jo ki is niche likh raha hu:-
(1) apne bache ko yesa kabhi bhi mat kahiye ki study karna muskil h kyoki start me agar aapne apne bache ke mind me yah baat dal di ki study muskil h to fir uske man me study ko lekar dar beth jayega aap apne bache ko payar se smjhaye ki study karna bhut aasan h or study karne me bhot maja aata h
(2) Aap apne bache ko study iss type se kanwaiye ki study use mnorjan ke rup me lage n ki bhoj .
(3) Aap apne bache ko roj 1-2 hours uske pass bethkar study karwaye uska homework complete karne me uski help kare.
(4) Use thoda dusre bacho ke sath khelne de .
(5) Aap apne bache ko computer or mobile per jayda game khelne n de iss se uski eye or mind pe bura asar padta h .
(6) Agar aap ko apne bache ko koi baat samjani h to use payar se samjaye n ki gusse se payar se samjoge to bache jaldi smj jate h.
2. Class 6 to 8th :-
Jab aap ka bacha class 6th se 8th me hota h h to use dhire -dhire smaj aane lag jati h or wo study me interest lene lag jata h
(1) Aap apne bache ka ek shedule banye or use smaja de ki subh udhkar kya karna h ,school se waps aakar kya karna h, khelene kab jana h ,TV kab dekhni h etc.
(2) Aap apne bache ke sath jayda time spend kare or uski study me help karne .
3. Class 9th to 10th:-
Jab ek bacha class 9th se 10th me hota h tab use dhire-dhire duniyadari ki smaj aane lag jati h. yah ek yesi age hoti h jisme bache me mansik or saririk rup se changes aana start ho jate h or aap ke bache kusngati me jane ki problitiy bhi jada ho jati h ab aap agar chahte ho ki aap aap ka bacha ekdam sahi sangat me jaye or board exam me ache number lakar pass hoye to aap niche di gai baato pe dhyn jarur de:-
(1) Aap apne bache ke sath ek friend jesa behaviour kare .
(2) Kabhi Kabhi ( weak me 1 bar) use payuar se sahi or galt me kya diference hota h bataye or uske aage jake kya effect ho sakte h use jarur bataye .
(3) Aap apne bache ko ek question jarur puche ki aage jakr woi kya banna chata h jese Doctor , CA etc or jo wo banna chahta h aap use kahe ki ha tu jarur banega bs sbse pehle tuje 10th ache percent se pass hona padega or iske liye ache se study karni padegi or ye sb kanr "BHOT HI AASAN H" use motivate karte rahe .
(4) Aap apne bache ke dosto ke bare me time to time jankari lete rahe ki kahi uski sangati galt to nhi h .
(5) Aap apne bache ko roj 4-5 hours study karwaye .
(6) Aap use T.V dekhne de per limt rakhe.
(7) Jis subject me uski ruchi h wah subject to wo self hi prepare kar sakta h per jis subject me uski ruchi nahi h to aap us subject ki prepartion kane me uski help kare .
(8) Aap apne bache pe jayda rok tok n kare balki use payar se smajaye .
(9) Agar aap ke bache ki study se jyda kisi khel (game) me ruchi ho to aap use us khel ko khelne de ho sakta h wo us khel me aap ka or khud ka name rosan kare . isliye use moka jarur de.
(10) Aap apne bache ko age ke hisab se jesa jaruri ho information dete rahe .
4. Class 11 to 12
Jb aapka bacha 10th board exam pass krke aage badhta h to uske ache %bne ho to uski ruchi anusar subject dilvaye or agr uske ache % n bane ho to ho to use himt mat harne de use motivate kare . mera yah anubhv h adhiktar bache 10th padai me ruchi nhi lete prntu 11 me aate hi unme change aa jata h or ve pdhai me ruchi lene lag jate h bs aap use motivate kre or uski ruchi anusar subject dilva de . aap us se kahiye beta tere pass me board exam me ache % lane ka ek or moka h or wo h 12th board . or use motivate kijiye yakin maniye wah aap ko 12th baord me bhot ache % lakr dikha dega .
agr ek 11 or 12 class ka student niche di gai baato pr aml kre to uske 12th board exam me 80% se jyada banege :-
1. Agr 12th board me 80% se jyada lane h to aapko subject ka base bhut acha hona chahiye matlb niv paki honi chahiye .
2. yah niv h 11th class aap 11th class me mehnt krke har ek subject me perfect ho jaye iska profit 12th board me milega.
3. Aap roj school jaye , homework or class work note book me complete rakhe .
4. Gar pe daily 4 hrs study kre.
5. tv or filmy, mobile , whatsaap , facebook , games me bilkul time khrab n kre agr game khelne ho to park jaye .
6. School me hone wale daily test me full marks lane ka koshis kare . ek bar agr pure number aagye to fir jo kushi milegi uska alg hi maja hota h or fir aap ka fir se full marks lane ka man krega . or yese bar bar full marks lane pr aap ka confidence bad jayga .
7. Hamesa achi sangti me rhe kyoki jiska sang bigda uska sb kuch bigda or jiska sang sudhra uska sb kuch sudhra .
8. Morning me jaldi uth jaye or night me time pe soye .
Friday 22 January 2016
Thursday 10 December 2015
अंकेक्षण का अर्थ (meaning of Audit)
अंकेक्षण का अर्थ
एक स्वतंत्र जाँच
संस्था
वितीय विवरणों / सूचनाओ
राय प्रकट करना
अर्थात किसी भी संस्था के वितीय विवरणों / वितीय सूचनाओ की स्वतंत्र जाँच करके उस पर राय व्यक्त करना अंकेक्षण कहलाता है।
लेखांकन अनिवार्यता और अंकेक्षण विलासिता के रूप में
लेखांकन अनिवार्यता के रूप में
किसी भी व्यवसाय के जीवित रहने के लिए उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने तथा सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए लेखांकन अनिवार्य है इसे निम्न बिन्दुओ के माध्यम से समझा जा सकता है।
(१) व्यवसाय को जीवित रखने के लिए = किसी व्यवसाय के लाभ या हानि का सही सही ज्ञान लेखांकन के बिना पता नही लगाया जा सकता। अगर किसी संस्था में कई विभाग हो तो यह पता लगाने के लिए की कोनसा विभाग लाभ दे रहा है तथा कोनसा हानि दें रहा है इस लिए लेखांकन अनिवार्य हो जाता है।
(2) व्यवसाय की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए= लेखांकन के माध्यम से व्यवसाय द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओ की कार्यक्षमता का माप करके उसे बढ़ा सकता है !
(3) व्यवसाय की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए= बिना लेखांकन के व्यवसाय की प्रतिष्ठा नही बन पायेगी क्योकि आयकर , बिक्रीकर और बैंक ऐसे व्यवसाय पर विश्वास नही करेंगे !
अंकेक्षण एक विलासिता के रूप में
धन + शक्ति + समय + कार्यक्षमता = दुरूपयोग
अंकेक्षण का विलासिता न होना
(1) कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि = कर्मचारी अपना कार्य अधिक सावधानी व ईमानदारी के साथ करते है क्योकि उन्हें मालूम होता है कि उनके कार्य का अंकेक्षण किया जायेगा।
(2) प्रबंधको की कार्यक्षमता में वृद्धि = प्रबंधको को भी यह पता होता है कि उनके कार्य के सम्बन्ध में रिपोर्ट व्यवसाय के स्वामियों को दी जानी है इसलिए वह भी अपना कार्य पूरी क्षमता के साथ करते है।
(3) प्रक्रियाओ की कार्यक्षमता में वृद्धि = अंकेक्षण से व्यवसाय की प्रक्रियाओ की कमजोरियों को दूर करके उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है।
(4) प्रतिष्ठा की कार्यक्षमता में वृद्धि = अंकेक्षित खातों पर सभी जगह विश्वास किया जाता है इसलिए बैंकिंग कम्पनी , बीमा कम्पनी , सरकार , आयकर विभाग में व्यवसाय की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
(5) प्लांट एव मशीन की कार्यक्षमता में वृद्धि = लागत लेखांकन से यह ज्ञात हो जाता है कि प्लांट एवं मशीन कब-कब और किन -किन कारणों से बेकार रहती है उन कारणों को दूर करके उनकी कार्यक्षमता बढ़ाई जा सकती है।
(6) तुलना द्वारा कार्यक्षमता में वृद्धि = पिछले वर्षो के अंकेक्षित खातों की तुलना करके उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है।
अशुद्धियों के प्रकार
(1) सैद्धांतिक अशुद्धियाँ = जैसे आयगत खर्चो को पूँजीगत खर्चो में लिखना।
(2) भूल की अशुद्धियाँ = सौदों का लेखा पुस्तको में करने से भूल जाना
(3) क्षतिपुरक अशुद्धियाँ = जब दो या दो से अधिक अशुद्धियाँ एक दूसरे के प्रभाव को तलपट पर प्रकट होने से छिपा लेती है।
(4) दोहराव की अशुद्धियाँ = एक ही सौदे की पुस्तको में एक से अधिक बार प्रविष्ठी कर दी जाये
(5) हिसाब की अशुद्धियाँ = जैसे पुस्तको की जोड़ गलत लगा देना या खातों का शेष आगे ले जाते समय गलती करना।
एक स्वतंत्र जाँच
संस्था
वितीय विवरणों / सूचनाओ
राय प्रकट करना
अर्थात किसी भी संस्था के वितीय विवरणों / वितीय सूचनाओ की स्वतंत्र जाँच करके उस पर राय व्यक्त करना अंकेक्षण कहलाता है।
लेखांकन अनिवार्यता और अंकेक्षण विलासिता के रूप में
लेखांकन अनिवार्यता के रूप में
किसी भी व्यवसाय के जीवित रहने के लिए उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने तथा सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए लेखांकन अनिवार्य है इसे निम्न बिन्दुओ के माध्यम से समझा जा सकता है।
(१) व्यवसाय को जीवित रखने के लिए = किसी व्यवसाय के लाभ या हानि का सही सही ज्ञान लेखांकन के बिना पता नही लगाया जा सकता। अगर किसी संस्था में कई विभाग हो तो यह पता लगाने के लिए की कोनसा विभाग लाभ दे रहा है तथा कोनसा हानि दें रहा है इस लिए लेखांकन अनिवार्य हो जाता है।
(2) व्यवसाय की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए= लेखांकन के माध्यम से व्यवसाय द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओ की कार्यक्षमता का माप करके उसे बढ़ा सकता है !
(3) व्यवसाय की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए= बिना लेखांकन के व्यवसाय की प्रतिष्ठा नही बन पायेगी क्योकि आयकर , बिक्रीकर और बैंक ऐसे व्यवसाय पर विश्वास नही करेंगे !
अंकेक्षण एक विलासिता के रूप में
धन + शक्ति + समय + कार्यक्षमता = दुरूपयोग
अंकेक्षण का विलासिता न होना
(1) कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि = कर्मचारी अपना कार्य अधिक सावधानी व ईमानदारी के साथ करते है क्योकि उन्हें मालूम होता है कि उनके कार्य का अंकेक्षण किया जायेगा।
(2) प्रबंधको की कार्यक्षमता में वृद्धि = प्रबंधको को भी यह पता होता है कि उनके कार्य के सम्बन्ध में रिपोर्ट व्यवसाय के स्वामियों को दी जानी है इसलिए वह भी अपना कार्य पूरी क्षमता के साथ करते है।
(3) प्रक्रियाओ की कार्यक्षमता में वृद्धि = अंकेक्षण से व्यवसाय की प्रक्रियाओ की कमजोरियों को दूर करके उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है।
(4) प्रतिष्ठा की कार्यक्षमता में वृद्धि = अंकेक्षित खातों पर सभी जगह विश्वास किया जाता है इसलिए बैंकिंग कम्पनी , बीमा कम्पनी , सरकार , आयकर विभाग में व्यवसाय की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
(5) प्लांट एव मशीन की कार्यक्षमता में वृद्धि = लागत लेखांकन से यह ज्ञात हो जाता है कि प्लांट एवं मशीन कब-कब और किन -किन कारणों से बेकार रहती है उन कारणों को दूर करके उनकी कार्यक्षमता बढ़ाई जा सकती है।
(6) तुलना द्वारा कार्यक्षमता में वृद्धि = पिछले वर्षो के अंकेक्षित खातों की तुलना करके उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है।
अंकेक्षण के उद्देश्य
(1) अंतिम खातों की सचाई एवं शुद्धता की जाँच।
(2) अशुद्धियों का पता लगाना।
(3) कपट का पता लगाना।
(4) कपट एवं अशुद्धियों को रोकना।
(5) प्रबंधको को सलाह देना।
(6) कम्पनी की सही वितीय स्थिति का पता लगाना।
अशुद्धियाँ एवं कपट
अशुद्धियों के प्रकार
(1) सैद्धांतिक अशुद्धियाँ = जैसे आयगत खर्चो को पूँजीगत खर्चो में लिखना।
(2) भूल की अशुद्धियाँ = सौदों का लेखा पुस्तको में करने से भूल जाना
(3) क्षतिपुरक अशुद्धियाँ = जब दो या दो से अधिक अशुद्धियाँ एक दूसरे के प्रभाव को तलपट पर प्रकट होने से छिपा लेती है।
(4) दोहराव की अशुद्धियाँ = एक ही सौदे की पुस्तको में एक से अधिक बार प्रविष्ठी कर दी जाये
(5) हिसाब की अशुद्धियाँ = जैसे पुस्तको की जोड़ गलत लगा देना या खातों का शेष आगे ले जाते समय गलती करना।
कपट के प्रकार
रोकड़ का ---- माल का ---- श्रम का ---- सम्पति का --- सुविधाओ का --- हिसाब किताब का
कपट गबन गबन गबन गबन गबनअंकेक्षण को नियंत्रित करने वाले आधारभूत सिद्धांत
(1) सत्यनिष्ठा , वस्तुनिष्ठता तथा निष्पक्षता = अंकेक्षक को अपने पेशेवर कार्य के प्रति सत्यनिष्ठ, वस्तुनिष्ट तथा निष्पक्ष होना चाहिए।
(2) गोपनीयता = अंकेक्षक को अपने नियोक्ता की सूचनाये बिना अनुमति के अन्य तीसरे पक्ष के सामने प्रकट नही करनी चाहिए
(3) दक्षता = अंकेक्षक प्रशिक्षित , अनुभवी तथा दक्ष व्यक्ति होना चाहिए।
(4) दुसरो द्वारा निष्पादित कार्य = अंकेक्षक को अपने सहयोगियों द्वारा किये गए कार्य पर तब तक विश्वास करना चाहिए जब तक विश्वास न करने का कारण उनके पास न हो।
(5) प्रपत्रिकरण= अंकेक्षक को उन विषयो का प्रपत्रिकरण कर लेना चाहिए जो सबूत जुटाने में महत्वपूर्ण हो।
(6) नियोजन = अंकेक्षक को अपना कार्य नियोजित तरीके से करना चाहिए।
(7) अंकेक्षण = अंकेक्षक को अंकेक्षण करते समय विभिन्न प्रविधियों को लगाकर उचित तथा पर्याप्त अंकेक्षण जुटाने चाहिए।
(8) आंतरिक नियंत्रण = अंकेक्षण को लेखांकन के साथ - साथ आंतरिक नियंत्रण की भी अच्छी समझ होनी चाहिए ताकि वह संस्था के आंतरिक नियंत्रण का सही मूल्यांकन कर सके।
(9) अंकेक्षण निष्कर्ष व प्रतिवेदन = अंकेक्षक को अंकेक्षण सबूत से प्राप्त परिणामों का मूल्यांकन करके प्रतिवेदन तैयार करना चाहिए।
चालू अंकेक्षण
चालू अंकेक्षण से आशय उस अंकेक्षण से है जिसमे संस्था के खातो की जाँच लगातार वर्ष में अंकेक्षक या उसके सहयोगियों द्वारा होती है। चालू या निंरंतर अंकेक्षण का आशय वास्तव में उस अंकेक्षण से है जो वितीय वर्ष के प्रारम्भ होने से शुरू होता है और लगातार वर्ष भर होता रहता है या वितीय वर्ष में समयांतर ( जैसे साप्ताहिक , अर्धमासिक , मासिक या त्रैमासिक ) पर अंकेक्षक का स्टाफ अंकेक्षण करता रहता है।
चालू अंकेक्षण के लाभ
(1) विस्तृत एवं गहरी जाँच।
(2) अशुद्धियों एवं कपट के प्रकट होने की संभावना।
(3) अशुद्धियों एवं कपट का शीघ्र प्रकट हो जाना
(4) अंकेक्षक द्वारा अधिक उपुक्त सलाह।
(5) अंतिम खातों की शीघ्र तैयारी
(6) अंतरिम खाते तैयार होने में सहायता।
(7) लेखांकन में शीघ्र सुधार।
(8) भावी योजनाये शीघ्र बन जाती।
(9) कर्मचारियों पर अधिक नैतिक प्रभाव।
चालू अंकेक्षण से हानियाँ
(1) अधिक खर्चीला।
(2) कार्य में बाधा।
(3) कार्य का तांता टूटने का भय।
(4) कार्य में स्थिलता।
(5) कर्मचारियों पर नैतिक प्रभाव में कमी।
(6) जाँच किये हुए हिसाब में परिवर्तन की संभावना।
सामयिक अंकेक्षण / अंतिम अंकेक्षण / वार्षिक अंकेक्षण
जब कोई वितीय काल समाप्त हो जाता है और उसके अंतिम खाते तैयार हो जाते है तो उस वर्ष के हिसाब - किताब के जाँच का कार्य आरम्भ किया जाता है। जाँच कार्य तब तक चलता रहता है जब तक कि समाप्त
नही कर लिया जाये।
यह अंकेक्षण वितीय वर्ष की समाप्ति पर प्रारम्भ किया जाता है और एक बार में ही पुरे कार्य को पूर्ण कर लिया जाता है। इसलिए इसे पूर्णकृत अंकेक्षण भी कहते है। यह अंकेक्षण अंतिम खाते तैयार होने के बाद किया जाता है इसलिए इसको अंतिम अंकेक्षण भी कहते है। इस अंकेक्षण का एक नाम चिठा अंकेक्षण भी है , क्योंकि इसे चिठा बन जाने के पश्चात प्रारम्भ जाता है।
सामियक अंकेक्षण के लाभ
(1) अंक परिवर्तन का भी नही।
(2) कार्य में बाधा नही।
(3) मितव्ययी ( कम खर्चीला )
(4) सुविधाजनक
(5) कम समय में
(6) कार्य का ताँता है
सामियक अंकेक्षण के हानियाँ
(1) विस्तृत व् गहरी जाँच का आभाव
(2) अशुद्धियों का देर से ज्ञान
(3) कपट का देर से प्रकट होना
(4) नैतिक प्रभाव में कमी
(5) अंतिम खाते तैयार होने में विलम्ब
(6) देर से सलाह मिलना
औचित्य अंकेक्षण
प्रबंधको के द्वारा समय -समय पर लिए गए निर्णयों की जाँच करना औचित्य अंकेक्षण कहलाता है जाँच तीन आधारो पर की जाती है -
(1) बुद्धिमानी
(2) निष्ठां
(3) मितव्यता
निष्पति अंकेक्षण
इस अंकेक्षण के अंतर्गत यह जाँच की जाती है कि कार्य का सम्पादन व्यवसाय के निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप है अथवा नही।
अंकेक्षण की महत्वपूर्ण अवधारणाएँ
(1) अंकेक्षक की स्वतंत्रता की अवधारणा = किसी भी पेशे में स्वतंत्रता एक अनिवार्यता होती है बिना स्वतंत्रता के अंकेक्षक निष्पक्ष रूप से अंकेक्षण कार्य नही पायेगा। अंकेक्षक को कम्पनी के प्रबंधको , कर्मचारियों से आवश्यक अंकेक्षण सामग्री प्राप्त करने की स्वतंत्रता होती है अंकेक्षक की स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए कम्पनी अधिनियम ,2013 की धारा में निम्नलिखित व्यक्तियों को अंकेक्षण करने के लिए अयोग्य बताया गया है
(१) कम्पनी का अधिकारी अथवा कर्मचारी
(२)
(३)
(४)
(2) सारभूतता की अवधारणा - यह बहुत ही आवश्यक व उचित है की अंकेक्षक ऐसी मदो के बारे में निर्णय करे कि वे मदे एक अंकेक्षक के लिए सारभूत है या तुछ। एक अंकेक्षक को सारभूत मदो के उचित व विश्वसनीय आंकड़े एकत्र लेने चाहिए। सारभूत मदो को वित्तीय विवरणों उचित तरीके के प्रदर्शित करना चाहिए।
कम्पनी अधिनियम 1956 के अनुसार सारभूत मदे वे खर्चे है जो
कुल खर्चे का 1% हो
या
5000 रूपये
दोनो में से जो अधिक हो = उसे अलग से लाभ- हानि खाते में दिखाया जायेगा
अंकेक्षक को ही मूल्यांकन करना होता है कि मदे सारभूत है या नही। अंकेक्षक को या भी निश्चित करना पड़ता है कि जो मदे सारभूत प्रकृति की है उनको अलग से प्रकट किया गया है या नही।
कम्पनी अधिनियम 1956 के अनुसार सारभूत मदे वे खर्चे है जो
कुल खर्चे का 1% हो
या
5000 रूपये
दोनो में से जो अधिक हो = उसे अलग से लाभ- हानि खाते में दिखाया जायेगा
अंकेक्षक को ही मूल्यांकन करना होता है कि मदे सारभूत है या नही। अंकेक्षक को या भी निश्चित करना पड़ता है कि जो मदे सारभूत प्रकृति की है उनको अलग से प्रकट किया गया है या नही।
(3) सही एव उचित की अवधारणा
सही व उचित शब्द स्पष्ट करते है कि संस्था के लेखांकन विवरणों में दिखाए गए परिणाम संस्था की सही आर्थिक स्थिति को बताते है।
सही व उचित की सुनिश्चितता करने के लिए अंकेक्षक को देखना चाहिए कि :-
(१)लेखांकन सिद्धांतो के अनुसार सम्पतियों का अधिमूल्यन व अवमूल्यन किया गया है या नही।
(२)किसी भी सारभूत सम्पति को नही छोड़ा गया हो।
(३)किसी भी सारभूत दायित्व को नही छोड़ा गया हो।
(४)आर्थिक चिठ्ठा कम्पनी अधिनियम ,2013 की अनुसूची -(३) के अनुसार बनाया गया है।
(५) लेखांकन नीतियों का पालन किया गया है।
(4) लेखांकन नीतियों के प्रकटीकरण की अवधारणा
महत्वपूर्ण लेखांकन नीतियों का प्रकटन बहुत अनिवार्य व महत्वपूर्ण है। यदि लेखांकन नीतियों में कोई भी परिवर्तन किया जाता है जिसका सारभूत प्रभाव होता है तो उसे प्रकट किया जाना चाहिए
कुछ महत्वपूर्ण प्रकटीकरण निम्नलिखित है :-
(१)हास (Dep.) की विधियों में परिवर्तन।
(२)विदेशी मुद्रा की मदों के विनिमय के लेखांकन में परिवर्तन।
(३)स्टॉक मूल्यांकन की विधि में परिवर्तन।
(४)विनियोग के मूल्यांकन में परिवर्तन।
(५)ख्याति का उपचार
अंकेक्षण से लाभ
(1) अनुशासन कायम रखना
(2) अनियमिताए ,चोरी व गबन प्रकट होना
(3) कर्मचारियों एवं प्रबंधको को सावधान करना
(4) व्यापार की सही स्थिति बनाना
(5) सच्चाई व ईमानदारी का प्रमाण पत्र
(6) कर्मचारीयो की योग्यता का प्रमाण मिलना
(7) बहुमूल्य सलाह मिलना
(8) अंकेक्षित हिसाब-किताब का अधिक विश्वस्त होना
(9) विनियोजको की रखवाली करना
अतिरिक्त प्रश्न
प्रश्न 1. पुस्तपालन व लेखांकन में अंतर बताये ?
प्रश्न 2. पुस्तपालन व अंकेक्षण में अंतर बताये ?
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