Friday 1 July 2016

किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती

दो सहेलिया आपस में बात कर रही थी। एक ने कहा , मेरे पति दिनभर बक बक करते रहते है।  मेरे तो सिर में दर्द हो जाता है। दूसरी सहेली बोली मेरे पति तो हमेशा चुप रहते है , जैसे न बोलने की कसम खा रखी हो। उन दोनों ने एक दूसरे का दर्द सुनने के बाद तय किया की  समस्या को किसी महात्मा को बताएगी। हो सकता हो की कोई रास्ता निकल जाये।  वे एक महात्मा के पास गई और महात्मा को पूरी बात सुनाई। महात्मा ने दोनों को अपने पतियों को साथ लाने को कहा।  अगले दिन दोनों सहेलिया अपने पतियों के साथ महात्मा के पास आई। महात्मा ने कम बोलने वाले पति को अधिक बोलने की तथा अधिक बोलने वाले पति को कम बोलने की प्रतिज्ञा दिलवाई। दोनों ने महात्मा जी की बात मान ली.
                                                                   इस तरह  कम बोलने वाला पति ज्यादा बोलने लगा तथा ज्यादा बोलने वाला पति चुप रहने लगा।  लेकिन इससे भी उन सहेलियों की समस्या खत्म नहीं हुई। और एक बार फिर दोनों अपने पतियों को लेकर महात्मा के पास पहुंची।  पहली सहेली ने कहा की पहले ठीक था अब तो लगता है जैसे घर में अकेली में ही रहती हु मेरे पति तो चुप बैठे रहते है। दूसरी सहेली ने कहा पहले ठीक था कम  बोलते थे अब तो मेरे पति दिनभर बक बक करके मेरा दिमाग खराब कर देते है। यह सुनकर महात्मा ने सहेलियों और उनके पतियों को समझाया, देखो किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती है न ज्यादा बोलना अच्छा है और न ज्यादा चुप रहना अच्छा है। जीवन में समय और आवश्यकता के हिसाब से बोलना चाहिए और उसी के हिसाब से चुप रहना चाहिए। सहेलियों के पति इस बात को समझ गए। दोस्तों इसी प्रकार से हमे भी अपने जीवन में किसी भी चीज की अति नहीं करनी चाहिए अर्थात हमे अपने जीवन में चीजों के बीच संतुलन बनाकर रखना चाहिए। 

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