Su-vichar:- The duty of every son is such that even if the father has not spoken but wishes for something in his heart. A son must fulfil event at the cost of life.
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हर पुत्र का यह धर्म है की पिता मुख से न भी कुछ कहे फिर भी अपने पिता के मन में इछा हों तो उसे प्राण देकर भी पूरी करे !
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हर पुत्र का यह धर्म है की पिता मुख से न भी कुछ कहे फिर भी अपने पिता के मन में इछा हों तो उसे प्राण देकर भी पूरी करे !
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