Thursday, 13 August 2015

चाहत



आज तू अपने आप से एक प्रश्न पूछ कि क्या तुझमे 'चाहत' है :-

अगर तुझमे चाहत है कुछ करने की तो बिना एक पल रुके शुरू हो जा !

अगर तूझमें चाहत है कुछ पाने की तो बिना एक पल देर किये उसकी तरफ एक कदम बड़ा दे !

अगर तूझमें चाहत है कुछ बनने की तो दुनिया को बनके दिखा दे !

अगर तूझमें चाहत है तेज दौड़ती दुनिया के साथ दौड़ने की तो उस रफ़्तार के साथ दौड़ के दिखा दे !

अगर तुझमे चाहत है आसमान छूने की तो किसका इंतजार कर रहा है !

अगर तुझमे चाहत है  दुनिया बदलने की तो जा बदल दे दुनिया क्योंकि दुनिया इंतजार कर रही है  बदलाव का !

अगर तुझमे चाहत है दुनिया से बुराई मिटाने की तो तू शुरुवात तो कर फिर देख तेरी चाहत कितने लोगो की चाहत बनती है !

तू चाहत रख किसी को अपना बनाने की , तू चाहत रख किसी का बनने की !


तू चाहत रख अपने तन मन में कुछ करने की जिस दिन तुझमे यह चाहत नही रही उस दिन तेरा इस दुनिया में होना  या न होना कुछ मायने नही रखेगा इसलिए चाहत रख अपनी पहचान बनाने की !

No comments:

Post a Comment