आज तू अपने आप से एक प्रश्न पूछ कि क्या तुझमे 'चाहत' है :-
अगर तुझमे चाहत है कुछ करने की तो बिना एक पल रुके शुरू हो जा !
अगर तूझमें चाहत है कुछ पाने की तो बिना एक पल देर किये उसकी तरफ एक कदम बड़ा दे !
अगर तूझमें चाहत है कुछ बनने की तो दुनिया को बनके दिखा दे !
अगर तूझमें चाहत है तेज दौड़ती दुनिया के साथ दौड़ने की तो उस रफ़्तार के साथ दौड़ के दिखा दे !
अगर तुझमे चाहत है आसमान छूने की तो किसका इंतजार कर रहा है !
अगर तुझमे चाहत है दुनिया बदलने की तो जा बदल दे दुनिया क्योंकि दुनिया इंतजार कर रही है बदलाव का !
अगर तुझमे चाहत है दुनिया से बुराई मिटाने की तो तू शुरुवात तो कर फिर देख तेरी चाहत कितने लोगो की चाहत बनती है !
तू चाहत रख किसी को अपना बनाने की , तू चाहत रख किसी का बनने की !
तू चाहत रख अपने तन मन में कुछ करने की जिस दिन तुझमे यह चाहत नही रही उस दिन तेरा इस दुनिया में होना या न होना कुछ मायने नही रखेगा इसलिए चाहत रख अपनी पहचान बनाने की !
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