Thursday 13 August 2015

15 August 1947








चाहत



आज तू अपने आप से एक प्रश्न पूछ कि क्या तुझमे 'चाहत' है :-

अगर तुझमे चाहत है कुछ करने की तो बिना एक पल रुके शुरू हो जा !

अगर तूझमें चाहत है कुछ पाने की तो बिना एक पल देर किये उसकी तरफ एक कदम बड़ा दे !

अगर तूझमें चाहत है कुछ बनने की तो दुनिया को बनके दिखा दे !

अगर तूझमें चाहत है तेज दौड़ती दुनिया के साथ दौड़ने की तो उस रफ़्तार के साथ दौड़ के दिखा दे !

अगर तुझमे चाहत है आसमान छूने की तो किसका इंतजार कर रहा है !

अगर तुझमे चाहत है  दुनिया बदलने की तो जा बदल दे दुनिया क्योंकि दुनिया इंतजार कर रही है  बदलाव का !

अगर तुझमे चाहत है दुनिया से बुराई मिटाने की तो तू शुरुवात तो कर फिर देख तेरी चाहत कितने लोगो की चाहत बनती है !

तू चाहत रख किसी को अपना बनाने की , तू चाहत रख किसी का बनने की !


तू चाहत रख अपने तन मन में कुछ करने की जिस दिन तुझमे यह चाहत नही रही उस दिन तेरा इस दुनिया में होना  या न होना कुछ मायने नही रखेगा इसलिए चाहत रख अपनी पहचान बनाने की !

Friday 7 August 2015

छोटा और बड़ा दुख

         
एक बार एक नवयुवक अपने गुरु से बोला, ' गुरु जी मै अपनी जिंदगी से बहुत परेशान हूँ , कृपया इस परेशानी से निकलने का उपाय बताए ! गुरूजी बोले, ' पानी से भरे इस लोटे में एक मुठी नमक डालो और उसे 
पियो !' युवक ने ऐसा ही किया ! 'इसका स्वाद कैसा लगा ? ' गुरु ने पूछा ! युवक थूकते हुए बोला बहुत ही खारा ! गुरूजी मुस्कराते हुए बोले, ' एक बार फिर अपने हाथ में एक मुठी नमक लेलो और मेरे पीछे-पीछे आओ !' दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी झील के सामने रुक गए ! 'चलो अब इस नमक को पानी में डाल दो !' गुरूजी ने निर्देश दिया ! युवक ने ऐसा ही किया ! गुरूजी बोले अब इस झील का पानी पियो ! युवक पानी पिने लगा ! एक बार फिर गुरूजी ने पूछा, 'बताओ इसका स्वाद कैसा है ? क्या अब भी तुम्हे ये खारा लग रहा है ?'  युवक बोला, 'नही ,ये तो मीठा है , बहुत अच्छा है। ' गुरूजी युवक का हाथ थामते हुए बोले 'जीवन के दुख बिलकुल नमक की तरह है।  न इससे कम और न ज्यादा !'  ये इस पर निर्भर करता है कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे है।  इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते हो कि खुद को बड़ा कर लो !लोटा मत बने रहो, झील बन जाओ। 

मेटी मेकोनेंन एसएमएस सर्विस के जनक

                 26 अप्रैल 1952 को जन्मे मेटी को मोबाइल नेटवर्क के जरिये एसएमएस (शॉर्ट मैसेज सर्विस ) शुरू करने का विचार 1984 में पहली बार आया ! उन्होंने यह कॉन्सेप्ट लंच के दौरान पिज्जा खाते -खाते टेलीकॉम एक्स्पर्ट के सामने रखा ! हालाँकि पहला टेक्स्ट मैसेज 3 दिसम्बर 1992 को भेजा गया था ! वे एसएमएस का विकास एक सयुक्त प्रयास मानते थे ! इस सेवा को लोकप्रिय बनाने में वे नोकिआ का योगदान मानते थे क्योंकि एसएमएस लिखने की सुविधा वाला पहला फ़ोन (नोकिया 2010 ) 1994 में इसी कंपनी ने पेश किया था ! इनका 30 जून 2015 को 63 वर्ष की उम्र में निधन हो गया ! वे 1989 में दूरसंचार फिनलैंड मोबाइल संचार इकाई के अध्यक्ष रहे !

Thursday 6 August 2015

गरीब बच्चो के लिए छोड़ दी 6.37 करोड़ की नौकरी

       टाइटेनिक , ब्रेवहार्ट , एक्समैन ,इंडिपेंड्स डे और ऐसी ही सेकड़ो ब्लॉकबस्टर फिल्मो की प्रोडक्शन कम्पनी फॉक्स इंटरनेशनल के एग्जक्यूटिव रह चुके और सोनी पिक्चर के लिए काम कर चुके स्कॉट नेसन ने साल 2003 में अपने एशिया दौरे के दौरान कंबोडिया में बच्चों की गरीबी देख कुछ इस तरह विचलित हुए की उन्होंने लौटने के बाद अपनी एक मिलियन डॉलर लगभग 6 करोड़ 37 लाख रुपए सालाना की नौकरी छोड़ दी ! वह कंबोडिया में जाकर बस गए ! वहा गरीब बच्चो को भोजन, घर और शिक्षा मुहैया कराने के लिए कम्बोडियन चिल्ड्रन फण्ड बनाया !

कूड़े में पड़े तीन बच्चो को देख बदली सोच 

     53 वर्षीय स्कॉट को एशिया दौर के दौरान युद्ध की मार झेल रहे कंबोडिया में एक 86 वर्षीय महिला एक ऐसी जगह ले गई जहाँ तीन छोटे बच्चे कूड़े में पड़े हुए थे और टाइफाइड से बीमार थे ! वही दूसरे बच्चे कूड़े से खाना उठाकर खा रहे थे ! तभी अचानक उनके फ़ोन की घंटी बजी जिस पर दूसरी ओऱ उनकी फिल्म का एक बड़ा अभिनेता प्राइवेट जेट प्लेन में पीने और खाने की चीजो न होने की शिकायत कर रहा था ! इसके बाद ही उनकी जिंदगी बदल गई और उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ इन गरीब बच्चो की मदद करने की ठान ली !

     स्कॉट इसे अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा फैसला मानते है ! उनका कहना है कि इन बच्चो की जिंदगी में बदलाव लाना मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे कामो में से एक है ! उनका संगठन फ़िलहाल 1500 बच्चो को कपड़े , भोजन, शिक्षा और रहने की सुविधा दे रहा है, उनके स्वास्थ्य के लिए क्लीनिक और कम्युनिटी सेंटर भी खोला है !

ऐसे महान स्कॉट को मेरा सलाम !  

ईश्वर हमे देखता है

       एक गुरु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम में से सबसे अधिक योग्य को मै अपनी कन्या सौपना चाहता हु ! अतः पन्द्रह दिन के भीतर तुम में से जो मेरी पुत्री के लिए उसकी पसन्द का कपड़ा और गहना लेकर लौटेगा , उसी के हाथ में अपनी कन्या का हाथ सौप दुगा ! परन्तु एक शर्त यह की इस कपड़े और गहने लाने का पता केवल लाने वाले को छोड़कर किसी और को यहाँ तक तुम्हारे माता - पिता को भी न चले !" सभी शिष्य उत्साह में भरकर गर्दन हिलाते हुए चल पड़े !

      पन्द्रह दिन बाद सभी शिष्य सुन्दर - सुन्दर कपड़े और कीमती आभूषण लेकर गुरु जी के सामने उपस्थित हो गए ! सबने विश्वास दिलाया की इस सामान के विषय में माता-पिता को रती भर ज्ञान नहीं है ! किन्तु यह क्या कि एक शिष्य खाली हाथ लोट रहा है ! गुरु जी ने उसी से पहले पूछा , " तुम तो खाली हाथ आये हो ! क्या तुम्हारे घर में कुछ नही था !" शिष्य बोला , " गुरुदेव  घर में तो बहुत कुछ है ! माता - पिता से छिपाकर बहुत कपड़े और आभूषण ला सकता था किन्तु आप ने तो कहा था कि ईश्वर सर्वत्र है , वह हमारे प्रत्येक काम को देखता है ! उससे हमारा कुछ छिपा नहीं है ! तो यदि मै चुराकर लाता तो माता -पिता भले ही न देखते , वह ईश्वर देख ही लेता ! इसलिए में कुछ नहीं  ला सका  !

     गुरूजी ने कहा , " यह पाठ तो इन शिष्यों को भी पढ़ाया था ! ये तो पाठ को भूल गए ! किन्तु तुम्हे याद रहा ! तो अपनी कन्या का हाथ मै तम्हे ही सौपता हूँ !"
  

नशा INTOXICATION

   
   'नशा ' बीसवीं शताब्दी का सबसे लोकप्रिय शब्द जिसने करोड़ो व्यक्तियों को दीवाना बना रखा है ! धनी-निर्धन  बालक-वृद्ध, शिक्षित- अशिक्षित, स्त्री- पुरुष और मालिक- मजदूर सभी इसके शिकंजे में ऐसे फसे हुए है कि उनका बाहर निकलना संभव नही ! 
  
      नशे के अनेक साधन है ! जैसे शराब , गांजा , अफीम , चरस आदि ! कुछ नशे के इंजेक्शन भी प्रचलित है ! इसके अलावा स्प्रिट, अल्कोहल से तैयार कई प्रकार की विषैली मदिरा भी खूब उपयोग में लाई जाती है ! और इसको पीने से कई बार कई लोगो की एक साथ मोत हो जाती है !

     नशा बड़ा विचित्र होता है ! इसमें अपार आकर्षण होता है ! आरम्भ में व्यक्ति शोक से पीते है किन्तु धीरे-धीरे इसके आदि हो जाते है ! एक बार अगर लत लग गई तो समझो बेचारा गयासे  काम ! कुछ घर में खाने को हो या न हो, नशा अवश्य होना चाहिए ! घर में बच्चे भूखे ही क्यों न रहे , श्रीमान जी तो जरूर पियेंगे ! न जाने कितने घर इस नशे के कारण तबाह हो चुके है और कितने ही रोज घर तबाह हो रहे है किन्तु फिर भी नशेड़ी शाम आने पर अपने सारे वादे भूलकर फिर उस पाप की भटी में कूदकर अपने दिल-दिमाग़ को जला डालते है ! जेब में पैसे होने पर नशेबाज बादशाह होता है और जेब खली होने पर यही बादशाह भिखारी ,चोर ,डाकू ,जेबकतरा यहाँ तक की कभी - कभी खुनी तक बन जाता है ! कई लोग अपने नशे की आदत के कारण अपनी बीवी और बेटी की इज्जत को बेच डालते है ऐसे लोगो के साथ क्या किया जाये ? मेरे देश का भविष्य इस नशे के कारण केसा होगा?

    वैसे तो सारे नशे एक से बढ़कर एक है जो इंशान को हैवान ही नही बल्कि शैतान बना देती है , परन्तु इन सब में शराब अव्वल है ! क्योकि यह एक ऐसा नशा है जिसकी मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है और धीरे -धीरे इन्शान का पूरा विनाश हो जाता है !

    आज के युग में नशे की गोलियों का प्रचलन बड़ी तीव्र गति से बढ़ रहा है ! कितने ही युवा इसकी चपेट में आ चुके है ! वाह रे नशे तूने मेरे भारत के नागरिको का सर्वनाश कर डाला है ! 
     
        संभलो  मेरे देशवाशियो ! छोड़ो इस राक्षश नशे की मित्रता ! रक्षा करो इस बहुमूल्य जीवन की जो कि तुम्हे परमात्मा ने दिया है ! कल के भारत की कल्पना करो हे मेरे देश के युवाओ तुम में दुनिया बदलने की ताकत है तुम इस ताकत को नशे में मत गवाओ ! आगे बढ़ो और इस देश को नशे से मुक्ति दिलाओ ! इसमें ही हम सब का कल्याण है !

धन्यवाद 










सच्चा तपस्वी

        एक साधु थे ! तप करते- करते बाल भी सफेद हो चुके थे ! एक दिन वे एक पेड़ के निचे बैठे अपने शिष्यों को उपदेश दे रहे थे , " मनुष्य में अहंकार अर्थात घमंड नही होना चाहिए ! उसका सच्चा रूप तो विनम्रता है !" कुछ देर बाद एक शिष्य ने पूछा , "गुरूजी , कहते है - ज्ञान की कोई सीमा नही है ! आप से ज्ञान प्राप्त करने के बाद हमे ऐसे कौन से तपस्वी के पास जाना चाहिए जो आपसे अधिक ज्ञानी हो !
    
         साधु को शिष्य की यह वाणी कड़वी लगी , बोले " मैने जीवन भर तप किया है ! मेरे सूखे और सफेद बालो से तुम इसका अनुमान लगा सकते हो ! फिर भला मुझसे बढ़कर तपस्वी और ज्ञानी और कौन हो सकता है ?

          जिस वृक्ष के नीचे यह साधु उपदेश दे रहे थे , उस पर तोता-मैना भी बैठे साधु की यह बात सुन रहे थे ! बोले - "यह कैसा साधु है ? अभी कह रहा थे की घमंड कभी नही करना चाहिए जबकि स्वयं की तपस्या पर इतना घमण्ड है ! शायद इसे पता नही कि विनम्रता क्या होती है ? अगर यह पुष्कर साधु के पास जाए तो पता चल जाए कि कौन सच्चा और बड़ा तपस्वी है ?"

           यह साधु पक्षियों को बोली समझते थे ! सुनते ही क्रोध में पुष्कर के साधु से मिलने चल पड़े जब यह साधु पुष्कर के उस आश्रम में पहुंचे तो देखा की वह साधु एक चबूतरे पर बैठे शिष्यों को उपदेश दे रहे है  ! साधु निकट पहुंचकर क्रोध से बोले , तुम मुर्ख हो , धूर्त और पाखण्डी हो ! एक अनजान साधु के मुख से ये शब्द सुनकर शिष्य तो क्रोधित हो गए परन्तु शिष्य कुछ कहते , इससे से पूर्व ही साधु चबूतरे से नीचे आकर बोले, महात्मन !सचमुच ज्ञानी तो आप है आपने मुझे नया ज्ञान दिया है ! मेरे आसन पर तो आपको बैठना चाहिए ! मेरा स्थान तो नीचे है ! पुष्कर के साधु की विनम्रता को देखकर वह साधु पानी - पानी हो गए और बोले , जो क्रोध में भी ज्ञान का दीप जला ले , उससे महान भला और कौन हो सकता है ? सच्चे तपस्वी तो आप है ! 

खुद में बदलाव लाने का तरीका

दोस्तों आप ने अपनी लाइफ में यह बात कई बार सुनी होगी की पहले खुद सुधर जा फिर दुसरो को सुधारना ! परन्तु आप को यह जानकर ख़ुशी होगी की जब अपन  किसी भी व्यक्ति को कुछ उपदेश देते है या उसे कुछ अच्छी सलाह देते है या फिर उसे गलत रास्ते पर चलने से मना करते है और उसे कहते है की मेरे भाई ऐसा मत कर , ऐसा कर, यह सही है , वो गलत है !बहुत कुछ, हर इन्शान अपनी लाइफ में हर दिन किसी न किसी को उपदेश देता रहता है ! परन्तु अगर किसी अन्य व्यक्ति को अपने में कुछ कमी मिल जाये तो वह सीधा यही कहेगा की पहले खुद तो सुधर जा !
    
         दोस्तों जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कुछ उपदेश देता है और भले ही वह खुद उनका पालन नही करता है तो उसे टोको  मत क्योकि वह व्यक्ति जब किसी को उपदेश दे रहा होता है  तो वह सामने वाले व्यक्ति को समझाने को पूरा प्रयास करता है ऐसा करने से एक बहुत बड़ा फायेदा उपदेश देने वाले को मिलता है  वह यह की सामने वाले व्यक्ति उस उपदेश को सुनकर भले ही थोड़ी देर में भूल जाये परन्तु जो उपदेस दे रहा होता है वह व्यक्ति उन बातो को कभी नही भूलता और वह अपने जीवन में उन उपदेशो पर अमल करता है !

     इस बात को हम एक लाइफ के वास्तविक अनुभव से समझ सकते है !  मेरी रिश्तेदारी में दो व्यक्ति थे एक का नाम था अजय और दूसरे का नाम थे विजय ! दोनों की उम्र लगभग 40 वर्ष थी !  दोनों शराब बहुत पीते थे ! दोनों के परिवार इस बात से बहुत दुखी थे ! पहले तो दोनों रोज रात को शराब पीते थे परन्तु कुछ दिनों से विजय दिन को भी शराब पिने लगा और इस बात से विजय का परिवार  बहुत दुखी था ! अजय और विजय दोनों एक दूसरे के रिश्तेदार थे इसलिए एक दूसरे की इज्जत करते थे ! 

     एक दिन विजय का परिवार अजय के पास गया और अजय को कहा की आप के मित्र विजय सुबह से रात हर समय शराब पीते रहते है और इस बात से हम सब बहुत परेशान है कृपया करके आप विजय को समझाए की वो शराब न पिये परन्तु अजय तो खुद शराब पिता था फिर भी उसने विजय को उसके घर जाकर समझाया खूब समझाया की शराब पीना गलत है अपने परिवार को परेशान मत कर ! अजय के समझाने से विजय तो थोड़ा बहुत समझ पाया ! परन्तु ऐसा करने के बाद अजय की लाइफ में परिवर्तन आने लग गया उसने शराब पीना पहले तो कम कर दिया और फिर बंद कर दिया !

     इसलिए दोस्तों जब अपन किसी व्यक्ति को अच्छी शिक्षा देते है तो सामने वाला समझें या न समझे अपन खुद समझ जाते है और अपने में सुधार होना शुरू हो जाता है ! इसलिए दोस्तों जब किसी को अच्छी शिक्षा देनी हो तो दीजिये क्योकि सामने वाला समझे या न समझें खुद को अक्ल जरूर आ जाती है !

Thanks 













Wednesday 5 August 2015

How To Remove Negative Thought From Your Mind ( अपने दिमाग से नकारात्मक विचार कैसे हटाये)


                    दोस्तों अगर आप को आप के दिमाग से नकारात्मक विचार (Negative Thought ) हटाने है तो आप एक काम कीजिये आप नकारात्मक विचार को अपने दिमाग से हटाने की कोशिश मत कीजिये बिलकुल भी नही क्योकि आप जितना नकारात्मक विचारो को अपने दिमाग से दूर करने की कोशिश करेंगे नकारत्मक विचार उतने ही ज्यादा आप के दिमाग में आयेगे ! इसलिए सबसे पहले तो नकारात्मक विचारो को अपने दिमाग से हटाने की कोशिश बंद कर दीजिये ! अब आप सोच रहे होंगे तो करना क्या है ?  आप को सिर्फ यह करना है  की नकारात्मक विचारो को दिमाग से दूर करने की कोशिशि करने की जगह सिर्फ सकारात्मक विचारो को अपने दिमाग में लेकर आना है और आप उस काम में मन लगाये जिस काम को आप बिना रुके, थके 12 घंटे तक लगातार कॉन्सेंट्रशन के साथ कर सकते हो !
                   ऐसा करते ही आपके नकारात्मक विचार अपने आप गायब हो जायेंगे ! अगर आप हर हाल में खुश रहे , मस्त रहे तो फिर नकारात्मक विचार आने का प्रश्न ही नही उठता इसलिए वह काम करने जो आप दिल से मन लगाकर कई घंटो तक लगातार कर सकते है ! मेरा कहने का मतलब है अपने आप को अपने मनपसंदीदा काम में व्यस्त रखिये !

Thanks       

Concentration Power (एकाग्रता) Motivational

Concentration Power (एकाग्रता ) अपनी लाइफ में होनी बहुत जरूरी है ! जिसकी लाइफ में एकाग्रता नही होती वो अपनी पूरी लाइफ में कोई काम कभी सही और श्रेष्ठ तरीके से न तो कर पाया होगा और न कर पायेगा! इसलिए दोस्तों आप अपनी लाइफ में कोई भी काम करे उसे एकाग्रता के साथ करे आप तभी उसे सफल हो पाओगे !
        
        मै आप को एक Example से समझाता हुँ एक बार एक स्कूल में दो लड़के पढ़ते थे एक ही क्लास में ! दोनों लड़के मेहनती थे दोनों बराबर पढ़ाई करते थे जितने घंटे दिन में पहला पढ़ाई करता थे उतने घंटे दूसरा लड़का भी पढाई करता था और दोनों ने साथ में ही Exam दिए परन्तु जब रिजल्ट आया तब पहला लड़का तो पूरी Class में First आया और दूसरा बहुत कम नंबर्स लाकर पास हुआ ! 
    
          ऐसा क्यों हूआ ? ऐसा इसलिए हुआ क्यों की जब दोनों लड़के पढ़ाई करते थे न तब पहला लड़के का Concentration पूरा उसकी पढाई पर रहता था और दूसरा लड़का पढाई तो करता था पर उसका Concentration पूरी तरह से उसकी पढ़ाई में नही रहता था  वह किताबे सामने रखकर पढ़ाई करता था तब उसके दिमाग में ओर भी कई विचार चलते रहते थे जिसकी वजह से वह पूरी तरह से समझ नही पाता था और उसके नंबर्स पहले लड़के से बहुत काम आये ! मेहनत तो दोनों ने की पर दोनों का रिजल्ट अलग-अलग था क्योंकि एक पूरी कंसंट्रेशन के साथ पढ़ाई करता था और दूसरे का कंसंट्रेशन उसकी पढ़ाई में नही होता था ! इसलिए दोस्तों जब भी कुछ काम करे तो उस काम के अलावा कुछ भी विचार अपने दिमाग में न लाये !

          यही चीज हम सब पर भी लागु होती है आप ने कई लोग देखे होंगे जो बहुत आगे निकल जाते है और कुछ बहुत पीछे रह जाते है लाइफ के किसी भी हिस्से में ! यह अंतर कंसेंट्रेशन की वजह से होता है ! इसलिए दोस्तों कुछ भी काम करो जो भी आपका लक्ष्य है जो भी आप की मंजिल है उसे पाने के लिए जब काम करे मेहनत करे तो Full Concentration के साथ करे ! अगर आप ने ऐसा किया न तो आप अपने आप को कुछ समय बाद सबसे आगे खड़ा पाओगे !

Thanks  

Tuesday 4 August 2015

हार कब होती है ?

"हार तब नही होती जब आप गिर जाते है  हर तब होती है जब आप गिरकर वापस खड़े नही होते !"

इसलिए दोस्तों आप अपनी लाइफ में कभी हारिये मत हमेशा खड़े हो जाइये एक दिन हार खुद ही हार जाएगी  और आप जीत जाओगे और अपनी मंजिल , अपने लक्ष्य को हासिल कर लोगे !

Thanks 

"जब तक जीना , तब तक सीखना ...."  अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है !
                                                                               स्वामी विवेकानन्द 

Thought Power (विचार (सोचने ) की शक्ति)/ Motivational

हेलो दोस्तों में आज आपको Thought Power के बारे में बताउगा ! Thought Power एक ऐसी शक्ति है जिसके माध्यम से आप वो हर वस्तु को प्राप्त कर सकते हो जो आप को चाहिए! आप को सुनने में अजीब लग रहा होगा परन्तु यही सच है 100% सच ! दोस्तों आपने अपने जीवन में कई बार यह महसूस किया होगा की जो आप ने कुछ समय पहले सोचा था वो सोचा हुआ हकीकत बन गया ! ऐसे तो आप कई चीजे सोचते है  पर वो सब आप के साथ होता तो नही है इसका जवाब आपको मेरी ये पोस्ट पूरी पढ़ने के बाद स्वतः ही मिल जायेगा !

यह तो आप मानेगे ही की जब एक इंसान कुछ नई वस्तु का आविष्कार करता है या कोई नया Idea या कोई नई चीज बनाता है तब वो इंसान उस वस्तु को दो बार बनाता है पहली बार अपने दिमाग में और दूसरी बार बाहरी दुनिया के लिए ! तो जब पहली बार उसने दिमाग में वस्तु कैसे बनाई ? विचार करके बनाई उसके दिमाग में खूब  Thought आये और उन  Thought  के माध्यम से ही वह एक नई वस्तु को बना पाया !दोस्तों अगर आप को भी अपनी मंजिल को पाना है अगर आपको अपने लक्ष्य् को पाना है  आपको भी सफल होना है लाइफ में कुछ बनाना है अपने सपने सच करने है तो इसकी शुरुवात आप अभी मेरे साथ कर सकते है !

आप को कुछ नही करना है सिर्फ उठते, बैठते, सोते ,जागते एक ही काम करना है और वो काम है विचार करना आप आज से ही जिस भी मंजिल को पाना चाहते हो उसके बारे में आप को विचार करना है सिर्फ कुछ दिनों तक ! पर इन कुछ दिनों में आप को इस काम के आलावा और कुछ नही करना ! सिर्फ अपनी मंजिल के बारे में सोचना है ! जैसे आप अगर डॉक्टर या वकील या इजीनियर या CA या Business Man या जो भी आपका लक्ष्य् है वो हासिल करना चाहते है तो विचार करे ! आप को अपने लक्ष्य् के बारे में सोचकर उदास बिलकुल नही होना है अगर आपने ऐसा किया तो आपको कुछ भी हासिल नही होगा ! आपको सिर्फ अपनी मंजिल के बारे में अच्छा सोचना है ! और खुश होना है आप ऐसा सोचिये जैसे आप ने अपनी मंजिल को प्राप्त कर लिया है और फिर खुश होइए आप विचार कीजिये की आप डॉक्टर बन गए या इंजीनियर बन गए और फिर सोचिये की अगर आप को आपकी मंजिल मिल जाये तो आप की हर जगह इज्जत बढ़ जाएगी आप के पास पैसा , बंगला , दौलत  सब कुछ होगा जो आपको चाहिए वो सब मिल गया है  

ऐसा सोचते ही आप भावनाये खुशी में बदल जाएगी और कुछ दिनों तक ऐसा सोचिये अब अगर आप ने ऐसा करने में ज्यादा समय लिया या फिर अगर सच में खुश नही हुए तो जो में अब बताने जा रहा हु वो आप के साथ नही होगा परन्तु अगर आप सच में रात- दिन अपने लक्ष्य् के बारे में सोचकर अंदर से खुश हुए हो तो आप के साथ वह सब होगा जो में अब बताउंगा !दोस्तों अगर आप ने पहला पड़ाव पर कर लिया न तो आप का  दिमाग अपना काम करना शुरू कर देगा आप का दिमाग अब आप से बहुत कुछ करवाएंगे ! आप का दिमाग आप के सामने आप की मंजिल को पाने के हजारो तरीके आप के सामने लाकर रख देगा और आप से उन रास्तो पर जाने के लिए प्रोत्साहित करेगा अगर आप उस रास्ते पर नही चल पाये तो आप का दिमाग आप के सामने और नए नए रास्ते लाकर  रख देगा और आप को लालच देगा की अगर तू इसपर चलेगा न तो तुझे तेरी मंजिल मिल जाएगी और आप उन रास्तो पर चलने लग जाओगे जो आप को आपको मंजिल तक ले जायेगे और रास्ते  में आप का दिमाग आप से कई काम करवाएगा जो आपकी मंजिल को पाने के लिए जरुरी होगे अब आपको उस मंजिल तक जाने से कोई नही रोक पायेगा चाहे इसके लिए कितनी ही मेहनत क्यों न करनी पड़े आप अपने लक्ष्य को पाने में लग जाओगे आप बाकि सब भूल जाओगे आप को सिर्फ आप का लक्ष्य दिखाई देगा ! 

दोस्तों और एक दिन आप अपनी मंजिल को प्राप्त कर लोगे जो आप ने विचार किये थे वो सब सच हो जायेगे अगर आप को यकीन नही है  तो करके देखिये क्योकि जो सपने देखता है न उसके ही सपने सच होते है ! यहाँ पर सिर्फ इतना ध्यान रखना है की जितना आप जिस वस्तु के बारे में सोचोगे न उतना ही वह वस्तु आप के पास आती जाएगी ! क्योकि हम खुद ही हर पल विचार करते है कुछ सोचते रहते है और उन्ही विचारो से हमारे भविष्य का निर्माण होता है  यही प्रकृति का नियम है ! तो अब आप निर्णय लीजिये की आप का सोचना चाहते हो अच्छा या कुछ बुरा ! ध्यान रखियेगा इससे आपका भविष्य का निर्माण होगा ! 













Monday 3 August 2015

सुविचार :-

 कोई चीज इंसान दो बार बनाता है पहले अपने दिमाग में और दूसरी बाहर की दुनिया में !


इसे हम एक Example से समझ सकते है किसी इंसान ने हवाई जहाज को पहले अपने दिमाग में बनाया फिर बाहर की दुनिया के लिये !