Thursday 30 June 2016

About

मेरा नाम सुरेश मकवाना है और मुझे लिखना और अच्छी अच्छी बाते शेयर करने का अच्छा लगता है इसलिए मेरा यह शोक में इस ब्लॉग के माध्य्म से पूरा करुगा।  

Wednesday 29 June 2016

विराट कोहली की दीवानगी (Virat Kholi Diwangi In Hindi)

 भारतीय क्रिकेट टीम के सुपरस्टार बेस्टमैन विराट कोहली से पूरी दुनिया परिचित है उनका परिचय देने की जरूरत नहीं है आज वे भारतीय टीम के स्टार बल्लेबाज है।  आज कोहली जिनते मशहूर है आज उनके प्रति लोगो का जितना प्यार है और जितना शानदार तरिके से वे खेलते है इन सबके पीछे सबसे बड़ा हाथ उनकी क्रिकेट के प्रति दीवानगी का है।  उनकी कई वर्षो की मेहनत और लगन का नतीजा आज उनके सामने निकलकर आया है। और आज वे सुपरस्टार बल्लेबाज है।  क्रिकेट के प्रति दीवानगी तथा समर्पण विराट का कितना है यह अंदाजा आप इस घटना से लगा सकते हो। 
                               कोहली कैरियर की शुरुआत में एक रणजी ट्रॉफी मैच दिल्ली में कर्नाटक के खिलाफ खेल रहे थे।  मैच के दौरान उन्हें खबर मिली की उनके पिता जी की मृत्यु हो चुकी है फिर भी उनका क्रिकेट के प्रति इतना समर्पण भाव था की वे अपनी  बल्लेबाजी  पूरी करने के बाद ही उस मेदान से बाहर गए।  कोहली से एक जबरदस्त सीख हमे मिलती है कि हम जीवन में जो कुछ हासिल करना चाहते है जो कुछ बनना चाहते है तो उसके प्रति हमारा पूर्ण समर्पण होना चाहिए तभी हम भी विराट कोहली की तरह अपनी मंजिल तक पहुंच सकेंगे और अपने परिवार के सपनो को पूरा कर सकेंगे। 
                                                 थैंक्स दोस्तों अगर आप को मेरी यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे SHARE जरूर करें और सलाह  देने के लिए COMMENT भी जरूर करें 

असफलता नाम की बीमारी को दूर करने की दवाई

Confidence and Hard work is the best
medicine to kill the disease called failure
It will make you successful person
                       A.P.J. Abdual Kalam

 असफलता नाम की बीमारी को दूर करने की 
 सर्वोत्तम दवाई है आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम। 
 यह दवाई इंसान को सफल बनाती है।

सम्मान पद से नहीं बल्कि अपने स्वभाव से मिलता है।

एक बार सिकंदर किसे कारण से अपने सेनापति से नाराज हो गया। उसने उसे सूबेदार बना दिया। सिकंदर ने सोचा कि इतने छोटे पद पर आने से उसका सेनापति अपमानित महसूस करेगा और घुट- घुटकर मर जायेगा। 
                                              एक दिन उसने सेनापति को बुलवाया।  ताकि यह देख सके कि उसकी क्या हालत है। सिकंदर उसे खुश देखकर हैरान रह गया। उसने उसे पूछा, तुम इतना खुश कैसे दिखाई दे रहे हो ? सेनापति से बनने का तुम्हे कोई दुःख नहीं है ? सेनापति ने कहा, 'बिल्कुल नहीं। पहले जब में सेनापति था, तो सैनिक मुझसे बात करने से कतराते थे।  में भी अपने पद की मर्यादा का ध्यान रखकर उनसे बात करने से कतराता था। पर अब तो कोई संकोच रहा ही नहीं।  अब मै उनसे खुलकर बात करता हु  वे भी मुझसे एकदम सहज रहते है , वे अब भी मेरा सम्मान करते है , और हम एक-दूसरे की सेवा में लगे रहते है। में समझ गया कि सम्मान पद से नहीं बल्कि अपने स्वभाव से मिलता है।  जिसमे थोड़ी भी मानवीयता होगी उसे सारी दुनिया आदर देगी।  दुःख तो उन्हें होता है , जो पद के अभिमानी  होते है।  सिकंदर इस जवाब से बेहद प्रभावित हुआ।  उसने उसे फिर से अपना सेनापति बना लिया।
यह उस समय की बात है जब धार में राजा भोज का शासन था उस राज्य में एक गरीब विद्वान रहता था। आर्थिक तंगी से घबराकर एक दिन

Tuesday 28 June 2016

अपना रास्ता खुद चुनिये

भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान लगता है , लेकिन इसका मतलब यह नहीं की भीड़ हमेशा सही रास्ते पर ही चलती है , अपना रास्ता खुद चुनिये क्योकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता।

 

मार्ग

किसी दिन , जब आपके सामने कोई समस्या न आये तो आप सुनिश्चित हो सकते है कि आप गलत मार्ग पर चल रहे है।

Monday 27 June 2016

मानव एक अभिनेता है

मानव एक अभिनेता है 


इस धरती पर प्रत्येक मनुष्य अपना किरदार निभा रहा है परन्तु सबसे अच्छा अभिनय वह मानव करेगा जिसे यह पता हो की उसे कोनसा किरदार निभाना है। 

पहले सीखो फिर करो (Pehle Sikhe Fir Kre)

पहले सीखो फिर करो 


अगर आपको तैरना नहीं आता और आप तालाब में छलांग लगा दे तो क्या होगा ? इसलिए पहले तैरना सीख ले फिर तालाब में छलाग लगाइये इसी प्रकार जीवन कुछ भी नया काम करने से पहले उसे सिख ले फिर उस काम को करें जैसे अगर आप कोई व्यापर करना चाहते हो तो पहले व्यापर करना सीखे फिर व्यापर करें इससे आप के सफल होने की सम्भावना बढ़ जाएगी। 

मन और बुद्धि

 मन और बुद्धि 

मन को नियंत्रित करना आसान नहीं है क्योकि मन बहुत शक्तिशाली है। मन को केवल बुद्धि (विवेक ) द्वारा वस में किया जा सकता है  

मानव मशीन (Human Machine)

मानव मशीन 


यह कितना अजीब है  परन्तु सच है की मानव खुद एक मशीन है और यह मशीन गजब की मशीन है। और यह मशीन ऑटोमेटिक चलती है , जी हा।  मानव के खुद के हाथ में क्या है वह खुद इस बॉडी पर कितना नियंत्रण कर सकता है श्वास लेना और श्वास छोड़ना भी उसके हाथ में नहीं है यह स्वतः होता है खाना खाते हम अपने अनुसार है परन्तु उसके बाद वह खाना कैसे पचता है कैसे उस भोजन से खून बनता है कैसे खून ह्रदय के माध्यम से बॉडी के प्रत्येक नाड़ी तक पहुंचता है यह सब कुछ स्वतः होता है।  अच्छा है कि यह सब कुछ मानव के नियंत्रण में नहीं है वरना मानव अपने शरीर को तहस नहस करें देता। 

देखने का नजरिया (Dekhne ka njriya)

यथा दृष्टि तथा सृष्टि 

इस छोटे से वाक्य में जीवन का सार है जिस व्यक्ति की दुनिया देखने की जैसी नजर होगी दुनिया उसे वैसी ही दिखेगी अगर कोई कोई व्यक्ति सिर्फ बुराइयो की ओर नजर गाडे बैठा रहेगा तो उसे चारो तरफ बुराइया ही दिखेगी परन्तु यदि कोई व्यक्ति केवल हर तरफ अच्छाइयो पर नजर रखेगा तो उसे हर तरफ अच्छाइया नजर आएगी। 

पशुता की निशानी है (Pasuta Ki Nishani)

यदि आपको देखकर सामने वाला इंसान भयभीत हो जाये डर जाये तो यह आपकी बहादुरी नहीं बल्कि पशुता की निशानी है। 

Saturday 25 June 2016

सफल होने का तरीका (Sfal Hone Ka tarika )

सफल होने का तरीका 


एक विचार लो , उस विचार को अपना जीवन बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो अपने मस्तिष्क , मांशपेशियों , नशो , शरीर के हर हिस्से लो उस विचार में दुब जाने दो  और  बाकी विचारों को किनारे रख दो यही सफल होने का तरीका है।
                                                                              स्वामी विवेकान्नद 

Friday 24 June 2016

एक बच्चे का मन (Ek Bache Ka Man)

          एक बच्चे का मन 

सागर जो की एक 5-6 वर्ष का बच्चा  है ! अपने पड़ोस में दूसरे बच्चो के साथ मिलकर खेल रहा था ! बच्चे मन लगाकर खेल रहे थे तभी सागर के पिता जी वहा आते है सागर के पिता जी का नाम राम है !
पिता :- बेटे सागर चलो घर चलो दिन के २ बज गए है  और गर्मी भी बहुत               है मेरे साथ चलो घर चल कर थोड़ी देर सो जाते है !
सागर :- कुछ नही बोलता बस  पिता जी की बात सुनकर चुप हो जाता है 
पिता :-  बेटे अभी चलो शाम को वापस खेलने आ जाना !
सागर:-  पापा , मुझे और खेलना है !
पिता :-   बेटे चलो मेरे साथ (थोड़ा गुस्से से )
सागर उठता है और अपने पिता जी के साथ-साथ चलता है दोनों अपने घर की ओर जाते है आगे सागर और पीछे पिता जी दोनों घर के दरवाजे तक पहुँचते है ! परन्तु सागर का मन बिल्कूल घर जाने का नही था इसका मन तो खेलने में था !
पिता :- चलो बेटे अंदर चलो !
सागर :- मासूम सा मुह बनाकर एकदम भोला बनकर बोला पापा आप पहले अंदर चलो फिर मै आपके पीछे अंदर आता हु !
पिता :- चलो ठीक है !
            पिता दरवाजा खोलकर जैसे ही अंदर की तरफ मुड़ते है और अंदर चले जाते है ! पीछे देखते है तो सागर वहा नही दिख रहा था पिता जी वापस बाहर आकर इधर-उधर देखते है  परन्तु सागर उन्हें कही दिखाई नही देता है !
            परन्तु रेगिस्तान की मिट्टी में पेरो के निशान बहुत साफ दिखाई दे रहे थे  कि छोटे-छोटे पाँव कही जा रहे थे यह सागर के पेरो के ही निशान थे ! पिता जी पेरो के निशान पर चलते हुए उसी पड़ोस के घर में पहुंच जाते है  जहा से वह सागर को थोड़ी देर पहले लेकर आये थे !
            पिता वहाँ जाकर देखते है तो वह हँसने लगते है क्योकि सब बच्चे उनमे सागर भी शामिल था बड़े मजे से खेल रहे थे ! पिता जी सागर को खेलता देख मुस्कराते हुए बिना कुछ कहे घर आ जाते है !
            इससे हमें यह सिख मिलती है की बड़ो का मन भी बच्चो जैसा होना चाहिए तभी हम जिस काम में हमारा मन लगेगा उसे सफलतापूर्वक कर पायेगे और अपनी मंजिल को पा सकेंगे तो दोस्तों अगर सफल होना है अपनी मंजिल को पाना है  तो बच्चे बन जाओ !






संगत का असर (Sangat Ka Asar)

   संगत का असर

  1. एक समय की बात है ! एक राहगीर भारत - भर्मण पर था ! मार्ग में उसे प्यास लगी ! काफी चलने पर उसे एक छोटा सा घर दिखाई दिया ! उसने सोचा की वहा  पानी जरूर मिलेगा , लेकिंग नजदीक पहुंचा तो उसे गालियो की आवाजे सुनाई देने लगी ! रुक कर उसने देखा कि  बरामदे के भीतर से एक तोता उसकी और देखकर उसे गालियां दे रहा है ! वह कह रहा है, की तू क्या सोचता है  की मेरा मालिक यहाँ नही है , इसलिए तू चोरी करेगा ? वह आएगा और तेरा सिर अभी काट देगा ! मै पिंजरे में बंद हु , नही तो तेरी आँखे ही नोच डालता ! राहगीर घबरा गया और सोचने लगा की यही इतना क्रूर है  तो इसका मालिक कितना क्रूर होगा ?  वह वहा  से चला आया ! कुछ दूर चलने पर उसे एक कुटिया नजर आई ! वह उसके पास पंहुचा तो वहा  पर भी उसे एक तोता पिंजरे में मिला ! घबराहट में वह उलटे कदम मुड़ने लगा ! राहगीर को वापस जाता देख कर बड़े प्यार से तोते ने कहा , हे पथिक, आइए ! थोड़ी देर में मेरे मालिक आने वाले है! आप को देखकर लगता है कि आप प्यासे है ! मै तो पिंजरे में बंद हु , आपको स्वयं ही कष्ट करना होगा ! उधर मटकी में शीतल जल है ! आप पानी पीकर आराम करे ! राहगीर असमजस्य में पड़ गया ! अभी थोड़ी देर पहले ऐसे ही पिंजरे में बंद तोते ने कितने अपशब्द कहे और एक यह तोता है  कितना मीठा बोल रहा है ! तभी तोता बोला, घबराइये मत ! हो सकता है आपने कुछ देर पहले मेरे ही जैसा तोता देखा हो, जिसने अपशब्द कहे हो और आपका अपमान किया हो ! लेकिन इसमें उसका कोई दोष नहीं ! असल में वह मेरा भाई है ! उसे कसाई ले गया और मुझे इस कुटिया में साधु अपने साथ ले आये ! मेरा भाई सारा दिन उस घर में मार काट की बाते और गालिया सुनता रहता है ! उसका स्वभाव भी वैसा ही हो गया ! मै यहॉ सत्संग सुनता रहता हूँ और संत का सम्मानजनक व्यवहार देखता रहता हु ! यह सब संगति  प्रभाव है !

एक ही फूंक से ठंडा और गर्म करना

एक ही फूंक से ठंडा और गर्म करना 


एक बार एक आदमी घने जंगल में रास्ता भटक गया ! यहाँ- वहा रास्ता ढूंढ़ते उसे बहुत रात हो गई ! सर्दी का मौसम था ! वह भूखा और प्यासा ठंड से ठिठुरता हुआ अँधेरे में ठोकरे खाता रहा ! कहीं  दूर उसे रौशनी दिखाई दी ! वह इस और यह सोचकर चल दिया की उसे लगा की किसी लकड़हारे की झोपडी होंगी ! रौशनी एक गुफा के भीतर से आ रही थी ! वह आदमी गुफा के भीतर घुस गया ! उसने देखा की यह  एक राक्षस की गुफा थी !  " मै  इस जंगल में रास्ता भटक गया हु और बहुत थक गया हु ! " आदमी ने राक्षस से कहा , क्या मै आपकी गुफा में रातभर के लिए ठहर सकता हु !"  राक्षस ने कहा , आओ यहाँ आग के पास बैठ जाओ ! आदमी आग के पास जाकर बैठ गया ! उसकी अंगुलिया ठण्ड से नीली पड़ गई थी ! वह अपनी अंगुलियों पर मुह से गर्म हवा फूंककर उन्हें गर्म करने लगा ! राक्षस ने पूछा , तुम अपनी अंगुलियों और क्यों फूंक रहे हो ? आदमी बोला क्योकि मेरी अंगुलिया बहुत ठंडी है , इसलिए मै फूंक मारकर उन्हें गर्म कर रहा हुँ !  राक्षस ने पूछा , की क्या ये इससे गर्म हो जायंगी ? आदमी ने बोला , हम मनुष्य लोग ऐसा ही करते है ! राक्षस ने कुछ नही कहा !

                              कुछ देर बाद वह गुफा के भीतर गया और आदमी के लिए कटोरे में खाने की कोई चीज लेकर आया ! खाना इतना गर्म था की आदमी उसे खा नही सकता था ! वह कटोरे में फूंक  मारकर उसे ठंडा करने लगा ! राक्षस ने पूछा क्या खाना गर्म है ? आदमी बोला नही खाना तो बहुत गर्म है ! राक्षस ने पूछा , तो तुम फूंक क्यों दे रहे हो ? आदमी बोला , इसे ठंडा करने के लिए ! राक्षस चिलाया और बोला , तुम फौरन मेरी गुफा से बाहर निकल जाओ मुझे तुम से डर लगता है क्योकि तुम एक ही  फूंक से गर्म और ठंडा कर सकते हो !  


         

सभी जीव इस सृष्टि में एक दूसरे पर निर्भर है

सभी जीव इस सृष्टि में एक दूसरे पर निर्भर है 


बहुत समय पहले की बात है ! एक राज्य के नागरिक पक्षियों से बहुत परेशान थे ! वे उनके खेत- खलियान बर्बाद कर देते थे ! एक दिन नागरिक अपना दुखड़ा लेकर राजा के पास गए ! सुनकर राजा भी क्रोधित हुआ और उसके एलान कर दिया की राज्य के सारे पक्षियों को मार दिया जाये ! आदेश का पालन हुआ और धीरे - धीरे राज्ये के सारे पक्षि समाप्त हो गए ! अगले वर्ष जब लोगो ये अपने - अपने खेतो में अनाज बोया तो एक दाना भी नही उगा ! उसका कारण था की मिट्टी में जो कीड़े थे उन्होंने बीज खा लिए ! पहले तो पक्षी ऐसे कीड़ो को खा जाया करते थे और फसल की रक्षा होती थी ! फसल पैदा न होने से राज्य में त्राहि - त्राहि मच गयी ! नागरिको को जब इसका ज्ञान हुआ तो वे अपनी करनी पर पछताने लगे और फिर राजा के पास जा पहुंचे ! सर्वसमति से यह तय किया गया कि दूसरे राज्ये से पक्षी मंगवाए जाये ! बड़ी संख्या में पक्षियों के आ जाने से स्थिति में सुधार होना शुरू हुआ ! खेत -खलियान लहलहाने लगे ! अब लोग समझ गए कि सभी जीव इस सृष्टि में एक दूसरे पर निर्भर है !

                   

परमात्मा का पता (Prmatama Ka Pata)

        परमात्मा का पता  




स्वामी रामतीर्थ विदेश यात्रा से लोटे ! गढ़वाल के राजा उनके भक्त थे ! उन्होंने स्वामी रामतीर्थ से प्राथना की , कोई ऐसा मार्ग बताये जिससे मुझे परमात्मा के दर्शन हो जाये ! रामतीर्थ ने कहा आपको परमात्मा के दर्शन करवा दुगा ! बस  आप अपना नाम और पता दे दें  ताकि में वह परमात्मा तक पंहुचा सकु ! राजा ने अपना नाम और पता लिख कर उन्हें दे दिया ! तब रामतीर्थ ने पूछा , "क्या आप साठ साल पहले यही थे , और क्या पचास साल बाद भी आपका पता यही रहेगा ? " राजा ने हैरान होकर कहा , क्या बात करते है  आप , साठ साल पहले तो मेरा जन्म ही नही हुआ था !और पचास साल बाद में रहुगा की नही यह कौन जनता है ! स्वामी जी ने कहा, " जब आपको अपना ही पता नहीं , तब परमात्मा का पता कैसे पाएंगे ? पहले अपना पता कर ले, परमात्मा दर्शन अपने आप हो जायेगे !"

क्रोध (Krodh)

                                    क्रोध 




  • एक बार श्री कृष्ण बलदेव एव सात्यकि रात्रि के समय रास्ता भटक गए ! निर्णय हुआ की घोड़ो को बांधकर यहीं
  • विश्राम किया जाये ! तय हुआ की तीनो बारी -बारी  जाग कर पहरा देंगे ! सबसे पहले सात्यिक जागे बाकि दोनों सो गए ! एक पिशाच पेड़ से उतरा और सात्यिक को मलयुध के लिए ललकारने लगा ! पिशाच की ललकार सुनकर सात्यिक अत्यंत क्रोधित हुए और दोनों में मलयुध होने लगा ! जैसे- जैसे पिशाच क्रोध करता सात्यकि दोगुने क्रोध से लड़ने लगता ! सात्यिक जितना अधिक क्रोध करते उतना ही पिशाच का आकार बढ़ता जाता ! सात्यिक को बहुत चोटे आई ! इस प्रकार एक प्रहर बीत गया अब बलदेव जागे ! सात्यिक ने उन्हें कुछ नही बताया और सो गए ! बलदेव को भी पिशाच को ललकार सुनाई दी ! बलदेव क्रोधपूर्वक पिशाच से भिड़ गए ! उनका भी सात्यिक जैसा हाल हुआ ! अब श्री कृष्ण के जागने की बारी थी ! बलदेव ने भी उन्हें कुछ नही बताया और सो गए ! श्री कृष्ण के सामने भी पिशाच की चुनौती आई ! पिशाच जितने अधिक क्रोध में श्री कृष्ण को सम्बोधित करता श्री कृष्ण उतने ही शांत - भाव से मुस्करा देते पिशाच का आकार घटता जाता ! अंत में पिशाच का आकार  घटते- घटते एक कीड़े जितना रह गया , जिसे श्री कृष्ण ने अपने पटुके के छोर  में बांध लिया ! श्री कृष्ण ने कहा क्रोध का प्रतिकार क्रोध से न देकर शांत -भाव से दिया जाये तो सामने वाला बोखला कर दुर्बल हो जाता है !

Study Planing

Dear friends, 

                         Me mere experience ke base per aap ko study planning kaise kare taki aap ka result bhot hi Acha rhe ke bare me batuga.

 Mene study planning ko class wise categary me bata h jo iss type se h: -

 

1. Class 1 to 5th

2. Class 6 to 8th

3. Class 9 to 10th

4. Class 11 to12th

 

1. Class 1 to 5th :-

     Class 1 se 5th me study karne wale bacho ko study iss type se karwaiye ki bacho ko study ek khel (game) lage n ki borring lage .
     agar aap chahte ho ki aap ka bacha school me ache number laker aaye to aap ko kuch baato ka dhyan rakhjna padega jo ki is niche likh raha hu:-
     (1) apne bache ko yesa kabhi bhi mat kahiye ki study karna muskil h kyoki start me agar aapne apne bache ke mind me yah baat dal di ki study muskil h to fir uske man me study ko lekar dar beth jayega aap apne bache ko payar se smjhaye ki study karna bhut aasan h or study karne me bhot maja aata h 
     (2) Aap apne bache ko study iss type se kanwaiye ki study use mnorjan ke rup me lage n ki bhoj .
     (3) Aap apne bache ko roj 1-2 hours uske pass bethkar study karwaye uska homework complete karne me uski help kare.
     (4) Use thoda dusre bacho ke sath khelne de .
     (5) Aap apne bache ko computer or mobile per jayda game khelne n de iss se uski eye or mind pe bura asar padta h .
     (6) Agar aap ko apne bache ko koi baat samjani h to use payar se samjaye n ki gusse se payar se samjoge to bache jaldi smj jate h.


2. Class 6 to 8th :-


       Jab aap ka bacha class 6th se 8th me hota h h to use dhire -dhire smaj aane lag jati h or wo study me interest lene lag jata h
       (1) Aap apne bache ka ek shedule banye or use smaja de ki subh udhkar kya karna h ,school se waps aakar kya karna h, khelene kab jana h ,TV kab dekhni h etc.
       (2) Aap apne bache ke sath jayda time spend kare or uski study me help karne .


3. Class 9th to 10th:-

  
      Jab ek bacha class 9th se 10th me hota h tab use dhire-dhire duniyadari ki smaj aane lag jati h. yah ek yesi age hoti h jisme bache me mansik or saririk rup se changes aana start ho jate h or aap ke bache kusngati me jane ki problitiy bhi jada ho jati h ab aap agar chahte ho ki aap aap ka bacha ekdam sahi sangat me jaye or board exam me ache number lakar pass hoye to aap niche di gai baato pe dhyn jarur de:-
      (1) Aap apne bache ke sath ek friend jesa behaviour kare .
      (2) Kabhi Kabhi ( weak me 1 bar) use payuar se sahi or galt me kya diference hota h bataye or uske aage jake kya effect ho sakte h use jarur bataye .
      (3) Aap apne bache ko ek question jarur puche ki aage jakr woi kya banna chata h jese Doctor , CA etc or jo wo banna chahta h aap use kahe ki ha tu jarur banega bs sbse pehle tuje 10th ache percent se pass hona padega or iske liye ache se study karni padegi or ye sb kanr "BHOT HI AASAN H" use motivate karte rahe .
      (4) Aap apne bache ke dosto ke bare me time to time jankari lete rahe ki kahi uski sangati galt to nhi h .
      (5) Aap apne bache ko roj 4-5 hours study karwaye .
      (6) Aap use T.V dekhne de per limt rakhe.
      (7) Jis subject me uski ruchi h wah subject to wo self hi prepare kar sakta h per jis subject me uski ruchi nahi h to aap us subject ki prepartion kane me uski help kare .
      (8) Aap apne bache pe jayda rok tok n kare balki use payar se smajaye .
      (9) Agar aap ke bache ki study se jyda kisi khel (game) me ruchi ho to aap use us khel ko khelne de ho sakta h wo us khel me aap ka or khud ka name rosan kare . isliye use moka jarur de.
      (10) Aap apne bache ko age ke hisab se jesa jaruri ho information dete rahe .
        

4.   Class 11 to 12

         Jb aapka bacha 10th board exam pass krke aage badhta h to uske ache %bne ho to uski ruchi anusar subject dilvaye or agr uske ache % n bane ho to ho to use himt mat harne de use motivate kare . mera yah anubhv h adhiktar bache 10th padai me ruchi nhi lete prntu 11 me aate hi unme change aa jata h or ve pdhai me ruchi lene lag jate h bs aap use motivate kre or uski ruchi anusar subject dilva de . aap us se kahiye beta tere pass me board exam me ache % lane ka ek or moka h or wo h 12th board . or use motivate kijiye yakin maniye wah aap ko 12th baord me bhot ache % lakr dikha dega .
   agr ek 11 or 12 class ka student niche di gai baato pr aml kre to uske 12th board exam me 80% se jyada banege :-

1. Agr 12th board me 80% se jyada lane h to aapko subject ka base bhut acha hona chahiye matlb niv paki honi chahiye .

2. yah niv h 11th class aap 11th class me mehnt krke har ek subject me perfect ho jaye iska profit 12th board me milega.

3. Aap roj school jaye , homework or class work note book me complete rakhe .

4. Gar pe daily 4 hrs study kre.

5. tv or filmy, mobile , whatsaap , facebook , games me bilkul time khrab n kre agr game khelne ho to park jaye .

6. School me hone wale daily test me full marks lane ka koshis kare . ek bar agr pure number aagye to fir jo kushi milegi uska alg hi maja hota h or fir aap ka fir se full marks lane ka man krega . or yese bar bar full marks lane pr aap ka confidence bad jayga .

7. Hamesa achi sangti me rhe kyoki jiska sang bigda uska sb kuch bigda or jiska sang sudhra uska sb kuch sudhra .

8. Morning me jaldi uth jaye or night me time pe soye .