Friday, 24 June 2016

क्रोध (Krodh)

                                    क्रोध 




  • एक बार श्री कृष्ण बलदेव एव सात्यकि रात्रि के समय रास्ता भटक गए ! निर्णय हुआ की घोड़ो को बांधकर यहीं
  • विश्राम किया जाये ! तय हुआ की तीनो बारी -बारी  जाग कर पहरा देंगे ! सबसे पहले सात्यिक जागे बाकि दोनों सो गए ! एक पिशाच पेड़ से उतरा और सात्यिक को मलयुध के लिए ललकारने लगा ! पिशाच की ललकार सुनकर सात्यिक अत्यंत क्रोधित हुए और दोनों में मलयुध होने लगा ! जैसे- जैसे पिशाच क्रोध करता सात्यकि दोगुने क्रोध से लड़ने लगता ! सात्यिक जितना अधिक क्रोध करते उतना ही पिशाच का आकार बढ़ता जाता ! सात्यिक को बहुत चोटे आई ! इस प्रकार एक प्रहर बीत गया अब बलदेव जागे ! सात्यिक ने उन्हें कुछ नही बताया और सो गए ! बलदेव को भी पिशाच को ललकार सुनाई दी ! बलदेव क्रोधपूर्वक पिशाच से भिड़ गए ! उनका भी सात्यिक जैसा हाल हुआ ! अब श्री कृष्ण के जागने की बारी थी ! बलदेव ने भी उन्हें कुछ नही बताया और सो गए ! श्री कृष्ण के सामने भी पिशाच की चुनौती आई ! पिशाच जितने अधिक क्रोध में श्री कृष्ण को सम्बोधित करता श्री कृष्ण उतने ही शांत - भाव से मुस्करा देते पिशाच का आकार घटता जाता ! अंत में पिशाच का आकार  घटते- घटते एक कीड़े जितना रह गया , जिसे श्री कृष्ण ने अपने पटुके के छोर  में बांध लिया ! श्री कृष्ण ने कहा क्रोध का प्रतिकार क्रोध से न देकर शांत -भाव से दिया जाये तो सामने वाला बोखला कर दुर्बल हो जाता है !

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