एक ही फूंक से ठंडा और गर्म करना
एक बार एक आदमी घने जंगल में रास्ता भटक गया ! यहाँ- वहा रास्ता ढूंढ़ते उसे बहुत रात हो गई ! सर्दी का मौसम था ! वह भूखा और प्यासा ठंड से ठिठुरता हुआ अँधेरे में ठोकरे खाता रहा ! कहीं दूर उसे रौशनी दिखाई दी ! वह इस और यह सोचकर चल दिया की उसे लगा की किसी लकड़हारे की झोपडी होंगी ! रौशनी एक गुफा के भीतर से आ रही थी ! वह आदमी गुफा के भीतर घुस गया ! उसने देखा की यह एक राक्षस की गुफा थी ! " मै इस जंगल में रास्ता भटक गया हु और बहुत थक गया हु ! " आदमी ने राक्षस से कहा , क्या मै आपकी गुफा में रातभर के लिए ठहर सकता हु !" राक्षस ने कहा , आओ यहाँ आग के पास बैठ जाओ ! आदमी आग के पास जाकर बैठ गया ! उसकी अंगुलिया ठण्ड से नीली पड़ गई थी ! वह अपनी अंगुलियों पर मुह से गर्म हवा फूंककर उन्हें गर्म करने लगा ! राक्षस ने पूछा , तुम अपनी अंगुलियों और क्यों फूंक रहे हो ? आदमी बोला क्योकि मेरी अंगुलिया बहुत ठंडी है , इसलिए मै फूंक मारकर उन्हें गर्म कर रहा हुँ ! राक्षस ने पूछा , की क्या ये इससे गर्म हो जायंगी ? आदमी ने बोला , हम मनुष्य लोग ऐसा ही करते है ! राक्षस ने कुछ नही कहा !
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