Friday, 24 June 2016

संगत का असर (Sangat Ka Asar)

   संगत का असर

  1. एक समय की बात है ! एक राहगीर भारत - भर्मण पर था ! मार्ग में उसे प्यास लगी ! काफी चलने पर उसे एक छोटा सा घर दिखाई दिया ! उसने सोचा की वहा  पानी जरूर मिलेगा , लेकिंग नजदीक पहुंचा तो उसे गालियो की आवाजे सुनाई देने लगी ! रुक कर उसने देखा कि  बरामदे के भीतर से एक तोता उसकी और देखकर उसे गालियां दे रहा है ! वह कह रहा है, की तू क्या सोचता है  की मेरा मालिक यहाँ नही है , इसलिए तू चोरी करेगा ? वह आएगा और तेरा सिर अभी काट देगा ! मै पिंजरे में बंद हु , नही तो तेरी आँखे ही नोच डालता ! राहगीर घबरा गया और सोचने लगा की यही इतना क्रूर है  तो इसका मालिक कितना क्रूर होगा ?  वह वहा  से चला आया ! कुछ दूर चलने पर उसे एक कुटिया नजर आई ! वह उसके पास पंहुचा तो वहा  पर भी उसे एक तोता पिंजरे में मिला ! घबराहट में वह उलटे कदम मुड़ने लगा ! राहगीर को वापस जाता देख कर बड़े प्यार से तोते ने कहा , हे पथिक, आइए ! थोड़ी देर में मेरे मालिक आने वाले है! आप को देखकर लगता है कि आप प्यासे है ! मै तो पिंजरे में बंद हु , आपको स्वयं ही कष्ट करना होगा ! उधर मटकी में शीतल जल है ! आप पानी पीकर आराम करे ! राहगीर असमजस्य में पड़ गया ! अभी थोड़ी देर पहले ऐसे ही पिंजरे में बंद तोते ने कितने अपशब्द कहे और एक यह तोता है  कितना मीठा बोल रहा है ! तभी तोता बोला, घबराइये मत ! हो सकता है आपने कुछ देर पहले मेरे ही जैसा तोता देखा हो, जिसने अपशब्द कहे हो और आपका अपमान किया हो ! लेकिन इसमें उसका कोई दोष नहीं ! असल में वह मेरा भाई है ! उसे कसाई ले गया और मुझे इस कुटिया में साधु अपने साथ ले आये ! मेरा भाई सारा दिन उस घर में मार काट की बाते और गालिया सुनता रहता है ! उसका स्वभाव भी वैसा ही हो गया ! मै यहॉ सत्संग सुनता रहता हूँ और संत का सम्मानजनक व्यवहार देखता रहता हु ! यह सब संगति  प्रभाव है !

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