Thursday 13 August 2015

15 August 1947








चाहत



आज तू अपने आप से एक प्रश्न पूछ कि क्या तुझमे 'चाहत' है :-

अगर तुझमे चाहत है कुछ करने की तो बिना एक पल रुके शुरू हो जा !

अगर तूझमें चाहत है कुछ पाने की तो बिना एक पल देर किये उसकी तरफ एक कदम बड़ा दे !

अगर तूझमें चाहत है कुछ बनने की तो दुनिया को बनके दिखा दे !

अगर तूझमें चाहत है तेज दौड़ती दुनिया के साथ दौड़ने की तो उस रफ़्तार के साथ दौड़ के दिखा दे !

अगर तुझमे चाहत है आसमान छूने की तो किसका इंतजार कर रहा है !

अगर तुझमे चाहत है  दुनिया बदलने की तो जा बदल दे दुनिया क्योंकि दुनिया इंतजार कर रही है  बदलाव का !

अगर तुझमे चाहत है दुनिया से बुराई मिटाने की तो तू शुरुवात तो कर फिर देख तेरी चाहत कितने लोगो की चाहत बनती है !

तू चाहत रख किसी को अपना बनाने की , तू चाहत रख किसी का बनने की !


तू चाहत रख अपने तन मन में कुछ करने की जिस दिन तुझमे यह चाहत नही रही उस दिन तेरा इस दुनिया में होना  या न होना कुछ मायने नही रखेगा इसलिए चाहत रख अपनी पहचान बनाने की !

Friday 7 August 2015

छोटा और बड़ा दुख

         
एक बार एक नवयुवक अपने गुरु से बोला, ' गुरु जी मै अपनी जिंदगी से बहुत परेशान हूँ , कृपया इस परेशानी से निकलने का उपाय बताए ! गुरूजी बोले, ' पानी से भरे इस लोटे में एक मुठी नमक डालो और उसे 
पियो !' युवक ने ऐसा ही किया ! 'इसका स्वाद कैसा लगा ? ' गुरु ने पूछा ! युवक थूकते हुए बोला बहुत ही खारा ! गुरूजी मुस्कराते हुए बोले, ' एक बार फिर अपने हाथ में एक मुठी नमक लेलो और मेरे पीछे-पीछे आओ !' दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी झील के सामने रुक गए ! 'चलो अब इस नमक को पानी में डाल दो !' गुरूजी ने निर्देश दिया ! युवक ने ऐसा ही किया ! गुरूजी बोले अब इस झील का पानी पियो ! युवक पानी पिने लगा ! एक बार फिर गुरूजी ने पूछा, 'बताओ इसका स्वाद कैसा है ? क्या अब भी तुम्हे ये खारा लग रहा है ?'  युवक बोला, 'नही ,ये तो मीठा है , बहुत अच्छा है। ' गुरूजी युवक का हाथ थामते हुए बोले 'जीवन के दुख बिलकुल नमक की तरह है।  न इससे कम और न ज्यादा !'  ये इस पर निर्भर करता है कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे है।  इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते हो कि खुद को बड़ा कर लो !लोटा मत बने रहो, झील बन जाओ। 

मेटी मेकोनेंन एसएमएस सर्विस के जनक

                 26 अप्रैल 1952 को जन्मे मेटी को मोबाइल नेटवर्क के जरिये एसएमएस (शॉर्ट मैसेज सर्विस ) शुरू करने का विचार 1984 में पहली बार आया ! उन्होंने यह कॉन्सेप्ट लंच के दौरान पिज्जा खाते -खाते टेलीकॉम एक्स्पर्ट के सामने रखा ! हालाँकि पहला टेक्स्ट मैसेज 3 दिसम्बर 1992 को भेजा गया था ! वे एसएमएस का विकास एक सयुक्त प्रयास मानते थे ! इस सेवा को लोकप्रिय बनाने में वे नोकिआ का योगदान मानते थे क्योंकि एसएमएस लिखने की सुविधा वाला पहला फ़ोन (नोकिया 2010 ) 1994 में इसी कंपनी ने पेश किया था ! इनका 30 जून 2015 को 63 वर्ष की उम्र में निधन हो गया ! वे 1989 में दूरसंचार फिनलैंड मोबाइल संचार इकाई के अध्यक्ष रहे !

Thursday 6 August 2015

गरीब बच्चो के लिए छोड़ दी 6.37 करोड़ की नौकरी

       टाइटेनिक , ब्रेवहार्ट , एक्समैन ,इंडिपेंड्स डे और ऐसी ही सेकड़ो ब्लॉकबस्टर फिल्मो की प्रोडक्शन कम्पनी फॉक्स इंटरनेशनल के एग्जक्यूटिव रह चुके और सोनी पिक्चर के लिए काम कर चुके स्कॉट नेसन ने साल 2003 में अपने एशिया दौरे के दौरान कंबोडिया में बच्चों की गरीबी देख कुछ इस तरह विचलित हुए की उन्होंने लौटने के बाद अपनी एक मिलियन डॉलर लगभग 6 करोड़ 37 लाख रुपए सालाना की नौकरी छोड़ दी ! वह कंबोडिया में जाकर बस गए ! वहा गरीब बच्चो को भोजन, घर और शिक्षा मुहैया कराने के लिए कम्बोडियन चिल्ड्रन फण्ड बनाया !

कूड़े में पड़े तीन बच्चो को देख बदली सोच 

     53 वर्षीय स्कॉट को एशिया दौर के दौरान युद्ध की मार झेल रहे कंबोडिया में एक 86 वर्षीय महिला एक ऐसी जगह ले गई जहाँ तीन छोटे बच्चे कूड़े में पड़े हुए थे और टाइफाइड से बीमार थे ! वही दूसरे बच्चे कूड़े से खाना उठाकर खा रहे थे ! तभी अचानक उनके फ़ोन की घंटी बजी जिस पर दूसरी ओऱ उनकी फिल्म का एक बड़ा अभिनेता प्राइवेट जेट प्लेन में पीने और खाने की चीजो न होने की शिकायत कर रहा था ! इसके बाद ही उनकी जिंदगी बदल गई और उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ इन गरीब बच्चो की मदद करने की ठान ली !

     स्कॉट इसे अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा फैसला मानते है ! उनका कहना है कि इन बच्चो की जिंदगी में बदलाव लाना मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे कामो में से एक है ! उनका संगठन फ़िलहाल 1500 बच्चो को कपड़े , भोजन, शिक्षा और रहने की सुविधा दे रहा है, उनके स्वास्थ्य के लिए क्लीनिक और कम्युनिटी सेंटर भी खोला है !

ऐसे महान स्कॉट को मेरा सलाम !  

ईश्वर हमे देखता है

       एक गुरु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम में से सबसे अधिक योग्य को मै अपनी कन्या सौपना चाहता हु ! अतः पन्द्रह दिन के भीतर तुम में से जो मेरी पुत्री के लिए उसकी पसन्द का कपड़ा और गहना लेकर लौटेगा , उसी के हाथ में अपनी कन्या का हाथ सौप दुगा ! परन्तु एक शर्त यह की इस कपड़े और गहने लाने का पता केवल लाने वाले को छोड़कर किसी और को यहाँ तक तुम्हारे माता - पिता को भी न चले !" सभी शिष्य उत्साह में भरकर गर्दन हिलाते हुए चल पड़े !

      पन्द्रह दिन बाद सभी शिष्य सुन्दर - सुन्दर कपड़े और कीमती आभूषण लेकर गुरु जी के सामने उपस्थित हो गए ! सबने विश्वास दिलाया की इस सामान के विषय में माता-पिता को रती भर ज्ञान नहीं है ! किन्तु यह क्या कि एक शिष्य खाली हाथ लोट रहा है ! गुरु जी ने उसी से पहले पूछा , " तुम तो खाली हाथ आये हो ! क्या तुम्हारे घर में कुछ नही था !" शिष्य बोला , " गुरुदेव  घर में तो बहुत कुछ है ! माता - पिता से छिपाकर बहुत कपड़े और आभूषण ला सकता था किन्तु आप ने तो कहा था कि ईश्वर सर्वत्र है , वह हमारे प्रत्येक काम को देखता है ! उससे हमारा कुछ छिपा नहीं है ! तो यदि मै चुराकर लाता तो माता -पिता भले ही न देखते , वह ईश्वर देख ही लेता ! इसलिए में कुछ नहीं  ला सका  !

     गुरूजी ने कहा , " यह पाठ तो इन शिष्यों को भी पढ़ाया था ! ये तो पाठ को भूल गए ! किन्तु तुम्हे याद रहा ! तो अपनी कन्या का हाथ मै तम्हे ही सौपता हूँ !"
  

नशा INTOXICATION

   
   'नशा ' बीसवीं शताब्दी का सबसे लोकप्रिय शब्द जिसने करोड़ो व्यक्तियों को दीवाना बना रखा है ! धनी-निर्धन  बालक-वृद्ध, शिक्षित- अशिक्षित, स्त्री- पुरुष और मालिक- मजदूर सभी इसके शिकंजे में ऐसे फसे हुए है कि उनका बाहर निकलना संभव नही ! 
  
      नशे के अनेक साधन है ! जैसे शराब , गांजा , अफीम , चरस आदि ! कुछ नशे के इंजेक्शन भी प्रचलित है ! इसके अलावा स्प्रिट, अल्कोहल से तैयार कई प्रकार की विषैली मदिरा भी खूब उपयोग में लाई जाती है ! और इसको पीने से कई बार कई लोगो की एक साथ मोत हो जाती है !

     नशा बड़ा विचित्र होता है ! इसमें अपार आकर्षण होता है ! आरम्भ में व्यक्ति शोक से पीते है किन्तु धीरे-धीरे इसके आदि हो जाते है ! एक बार अगर लत लग गई तो समझो बेचारा गयासे  काम ! कुछ घर में खाने को हो या न हो, नशा अवश्य होना चाहिए ! घर में बच्चे भूखे ही क्यों न रहे , श्रीमान जी तो जरूर पियेंगे ! न जाने कितने घर इस नशे के कारण तबाह हो चुके है और कितने ही रोज घर तबाह हो रहे है किन्तु फिर भी नशेड़ी शाम आने पर अपने सारे वादे भूलकर फिर उस पाप की भटी में कूदकर अपने दिल-दिमाग़ को जला डालते है ! जेब में पैसे होने पर नशेबाज बादशाह होता है और जेब खली होने पर यही बादशाह भिखारी ,चोर ,डाकू ,जेबकतरा यहाँ तक की कभी - कभी खुनी तक बन जाता है ! कई लोग अपने नशे की आदत के कारण अपनी बीवी और बेटी की इज्जत को बेच डालते है ऐसे लोगो के साथ क्या किया जाये ? मेरे देश का भविष्य इस नशे के कारण केसा होगा?

    वैसे तो सारे नशे एक से बढ़कर एक है जो इंशान को हैवान ही नही बल्कि शैतान बना देती है , परन्तु इन सब में शराब अव्वल है ! क्योकि यह एक ऐसा नशा है जिसकी मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है और धीरे -धीरे इन्शान का पूरा विनाश हो जाता है !

    आज के युग में नशे की गोलियों का प्रचलन बड़ी तीव्र गति से बढ़ रहा है ! कितने ही युवा इसकी चपेट में आ चुके है ! वाह रे नशे तूने मेरे भारत के नागरिको का सर्वनाश कर डाला है ! 
     
        संभलो  मेरे देशवाशियो ! छोड़ो इस राक्षश नशे की मित्रता ! रक्षा करो इस बहुमूल्य जीवन की जो कि तुम्हे परमात्मा ने दिया है ! कल के भारत की कल्पना करो हे मेरे देश के युवाओ तुम में दुनिया बदलने की ताकत है तुम इस ताकत को नशे में मत गवाओ ! आगे बढ़ो और इस देश को नशे से मुक्ति दिलाओ ! इसमें ही हम सब का कल्याण है !

धन्यवाद