Thursday, 18 August 2016

परमात्मा वही है जहा तुम हो

परमात्मा वही है जहा तुम हो। हम परमात्मा  के सागर की मछलिया है।  मछली , सागर को खोजने निकलेगी तो बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगी। कैसे खोज पायेगी ? खोजना नही है परमात्मा को जीना है। परमात्मा को पियो। परमात्मा को ही नाचो। परमात्मा में ही तुम हो। तुम्हारी श्वास श्वास में रमा है कहा नही है ? ऐसा कोई स्थान खोज सकते हो जहा परमात्मा नही हो ? सर्व्यापक का नाम ही परमात्मा है। दोहराते हो तोते की तरह की परमात्मा सर्वव्यापक है और पूछते हो परमात्मा कहा है ?

                                                                                      आचार्य रजनीश  

Tuesday, 16 August 2016

इंतजार करने वालो  को सिर्फ उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है। 

                                                                      डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम 

Sunday, 7 August 2016

शिक्षा वह सर्वशक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग करके आप दुनिया बदल सकते हो।                                                                                        नेल्सन मंडेला 

Saturday, 6 August 2016

पुरुषो के जवान और खूबसूरत दिखने के तरीके (Tips for Man to look handsome and young in hindi)

    पुरुष जवान और खूबसूरत दिखने के लिए स्वस्थ खान पान से लेकर ब्यूटी ट्रीटमेंट के साथ साथ न जाने क्या क्या क्या करते है। लेकिन कुछ आसान उपाय आपको यंग और हेंडसम बना सकते है यंग और हेंडसम दिखने के लिए सबसे इम्पोटेंट उपाय है 

1. रोज शेविंग से बचे - रोज शेव करने से आपकी त्वचा की ऊपरी परत पर असर पड़ता है इससे चेहरे की त्वचा खुरदरी हो जाती है इसलिये हर रोज शेव करने से बचे। अगर आप यंग और हेंडसम दखने की चाह रखते है तो यह आपके लिए सबसे अच्छा उपाय है। 

2. त्वचा की नमी को रखे बरकरार -मॉइस्चराइज करना त्वचा को ड्राई होने से रोकता है और ड्राइनेस दूर करने का यह सबसे अच्छा तरीका है 

3. क्लीजिंग करे -  क्लीजिंग करे अपने डेली रूटिंग में क्लीजिंग को शामिल करे। प्रतिदिन दिन में 2 बार अपने चहरे की सफाई करे। 

4. सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करे इससे धुप में त्वचा का बचाव होता है। 

5.दांतो की सफाई अच्छे से करे अगर आप के दांत पिले है तो आपका आकर्षक चेहरा भी सुंदर नही लगेगा। 




अमर बलिदानी नानक भील 15 अगस्त विशेष

                 देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले नानक भील का जन्म बूंदी जिले के धनेश्वर गांव में हुआ था पिता का नाम भेरूलाल भील था।  नानक अपने भाई बहिनो में सबसे बड़े थे। बचपन में ही माँ का साया सिर से उठ गया था।  परिवार की हालत ज्यादा अच्छी नही थी इसलिए नानक का बचपन सघर्स में ही निकला। इसी के साथ देशप्रेम के संस्कार भी उसे बचपन से ही मिल गए थे। वह हाथ में तिरंगा लिए देशप्रेम के गीत गाते हुए गलियो में घूमा करता था।

                उन दिनों देशी रियासतों के लोगो पर दोहरे अत्याचार हो रहे थे। इन रियायतों के राजा जमकर जनता का शोषण करते थे।  अंग्रेज भी उल्टे - सीधे जन -विरोधी आदेश इन रियायतों पर थोपते रहते थे। बूंदी रियासत में भी जनता पर तरह तरह के करो के बोझ लाद दिए गए।  कर लगान आदि न चुकाने पर रियासतों की फ़ौज लोगो पर अत्याचार करती थी।  किसानों का जीना दूभर हो गया था।  उन्ही दिनों क्रांतिकारी विजय सिंह पथिक बिजोलिया और बेंगू में किसानों को अपने हक के लिए लड़ने को प्रेरित कर रहे थे। इसी के साथ वे आजादी का भाव भी जन-मानस में जगा रहे थे।
 
               एक दिन सुबह के समय डाबी गांव में एक बरगद के पेड़ नीचे विशाल जनसभा आयोजित की गई।  जनसभा में सेकड़ो लोग एकत्रित हुए थे।  मंच पर नानक जोशीले नारे लगा रहे थे। वे विजय सिह पथिक द्वारा रचित गीत "प्राण मित्रो भले ही गवाना ,पर न झंडा नीचे झुकना "बुलन्द आवाज में गा रहे थे। गीत के अंत में नानक ने महात्मा गाँधी की जय का उद्घोष किया। पूरी सभा ने बुलंद आवाज में जय-कारा लगाया।

             इतने में बूंदी रियासत की पुलिस के मुखिया इकराम खान ने लोगो को चारो ओर से घेर लिया।  यह देख सभा में बैठे लोग उतेजित हो पुलिस और अंग्रेजी राज के खिलाफ नारे लगाने लगे।  इकराम खान अंग्रेजो का पिटठू था और किसी भी प्रकार किसान आंदोलन को दबाने के आदेश उसे दे दिए गए थे। उनसे आव देखा न ताव , तुरन्त गोली चलाने का हुक्म दे दिया। पहली गोली मंच पर गीत गा रहे नानक भील के सीने पर लगी और वे मंच पर ही शहीद हो गए। इसी समय जूझा भील ने इकराम खा की कनपटी पर जोर से लाठी  प्रहार किया। इकराम वही ढेर हो गया। इस  सभास्थल पर भगदड़ मच गई। इस बीच कुछ लोग नानक का शव चुपचाप पास के जंगल में ले गए। और जंगल में ही नानक के शव का दाह संस्कार कर दिया उस समय भारी सख्या में लोग वह पहुचे। जिस स्थान पर नानक भील को गोली लगी  थी , वहा पर उनकी स्मृति में एक छतरी बनाई गई।

             देश की आजादी की लड़ाई में बूंदी के नानक भील का बलिदान नि:संदेह ऐतिहासिक है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है की इस घटना के बाद इंग्लैंड की संसद में भी 'ट्रेजडी इन बूंदी स्टेट ' पर जोरदार चर्चा हुई थी। 













Friday, 5 August 2016

हौसलो की उड़ान अरुणिमा सिन्हा (Arunima sinha biography in hindi)

                   कृत्रिम पैर  सहारे हिमालय  सबसे ऊँची चोटी "मांउंट एवरेस्ट " फतह करने वाली अरुणिमा सिन्हा कहती है मेरा कटा पाव मेरी कमजोरी था। उसे मेने अपनी ताकत बनाया।

                    अरुणिमा सिन्हा उतर प्रदेश के अम्बेडकरनगर  की रहने वाली है। अरुणिमा सिन्हा मूलतः बिहार की रहने वाली है पिता जी फ़ौज में थे जिस कारण  परिवार सुल्तानपुर आ गया।  चार वर्ष की उम्र में पिता का स्वर्गवाश हो गया। माँ के साथ परिवार अम्बेडकरनगर आ गया। वहा माँ को स्वास्थ्य विभाग में नोकरी मिल गयी पर परिवार चलाना अब भी मुश्किल हो रहा था।  फिर भी अरुणिमा सिन्हा ने इंटर के बाद एलएलबी की पढ़ाई की। खेलो में रुझान होने  कारण राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीवाल व फुटबाल पुरस्कार जीते , लेकिन कुछ खाश हाथ  न लग सका। पर अरुणिमा का एक सपना था कुछ अलग करने का।


                 वह काली रात अरुणिमा सारी उम्र नही भूल सकती। वह दिल्ली जा रही थी। रात के लगभग दो बजे थे। चारो और सन्नाटा था कब उनकी आँख लग गई पता ही नही चला।  तभी बरेली के पास कुछ बदमाश गाड़ी पर चढे। अरुणिमा को अकेला पाकर वे अरुणिमा की चेन छीनने लगे।  अरुणिमा ने भी डटकर सामना किया लुटेरे चेन छीनने में नाकाम हुए तो लुटेरो ने अरुणिमा को चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया। पास के ट्रेक पर आ रही दूसरी ट्रेन उनके बाए पैर के ऊपर से निकल गई जिससे उनका पूरा शरीर खून से लथपथ हो गया कई घंटो तक दोनों ट्रेक पर कई ट्रेने दौड़ती रही सुबह होने पर आसपास के लोगो ने बेहोसी की हालत में अरुणिमा को पास के हास्पिटल पहुचाया।  वे अपना बायां पैर खो चुकी थी और उनके दायें पैर में लोहे की छड़े डाली गई। उनका चार महीने तक दिल्ली के आल इण्डिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में इलाज चला। 

        अगस्त 2011 के अंतिम हफ्ते में जब अरुणिमा को एम्स से छुट्टी मिली तो वे अपने साथ हुए हादसे को भूलकर एक बेहद कठिन और असंभव-से प्रतीत होने वाले लक्ष्य को साथ लेकर अस्पताल से बाहर निकलीं. यह लक्ष्य था विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह करने का. अब तक कोई भी विकलांग ऐसा नहीं कर पाया था. कटा हुआ बायां पैर, दाएं पैर की हड्डियों में पड़ी लोहे की छड़ और शरीर पर जख्मों के निशान के साथ एम्स से बाहर आते ही अरुणिमा सीधे अपने घर न आकर एवरेस्ट पर चढऩे वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बछेंद्री पॉल से मिलने जमशेदपुर जा पहुंचीं.

        प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्होंने एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू की| 52 दिनों की कठिन चढ़ाई के बाद आखिरकार उन्होंने 21 मई 2013 को उन्होंने एवेरेस्ट फतह कर ली| एवेरस्ट फतह करने के साथ ही वे विश्व की पहली विकलांग महिला पर्वतारोही बन गई|

Tuesday, 2 August 2016

15 साल की उम्र में छोड़ा घर , झुग्गी में रहे , अख़बार बेचा अब 10 हजार करोड़ रूपये की एप कंपनी के है मालिक

अम्बरीश पैदा कोलकाता में हुए। बचपन धनबाद में बिता। अम्बरीश का मन पढ़ाई में कम लगता था ,स्कूल में अक्सर फेल हो जाते थे । पिता चाहते थे की बेटा इंजीनियर बने ,लेकिन अम्बरीश को कंप्यूटर पंसद था।  आखिर घर छोड़ने का फैसला कर लिया। पिता के नाम खत लिखा बताया की घर छोड़कर जा रहा हु तब उनकी उम्र 15 वर्ष थी। पिता को बताया था की मुम्बई जा रहा हु पर हीरो बनने नही। परन्तु रास्ते में इरादा बदल गया और मुम्बई की बजाय दिल्ली चले गए। वहा एक झुग्गी में उन्हें ढिकाना मिला। कमरे में 6 लोग रहते थे।  खर्च जुटाने के लिए अम्बरीश अख़बार मैगजीन बेचते थे और रेस्तरां में काम करते थे।  एक दिन अख़बार में विज्ञापन देखा।  उसमे बिजनेस आइडीया मांग गया था। पांच लाख का इनाम था। अम्बरीश ने महिलाओ को मुफ्त में इंटरेनट देने का आइडिया दिया और यह इनाम के लिए चुन लिए गए इसी पैसे से अम्बरीष ने "वुमेन इन्फोलाइन" शुरू किया।  अब 37 वर्ष के अम्बरीश कहते है , 'तब में अच्छा लीडर नही था कंपनी में मुनाफा नही हो रहा था। 2000 में कंपनी छोड़ दी।  वुमन इन्फोलाइन में काम करते जो पैसे जुटाए थे।  उससे इंग्लैंड जाने का फैसला किया।  वहा टेक्नोलॉजी कंपनी शुरू करना चाहते थे लेकिन सफलता नही मिली।  जो पैसे थे , सब खर्च हो गए।

                   फिर एक बीमा कंपनी ज्वाइन की।  इसी दौरान शराब की लत लग गई। एक दिन लंदन के एक पब में शराब पीते - पीते किस्मत ने करवट ली।  दोस्त उमर तैयब के साथ पब में बैठे थे।  आखिरी पैग के लिए अम्बरीश ने काउंटर पर 15 डॉलर रखे और मजाक में कहा , कितना अच्छा होता की नोट से महारानी एलिजाबेथ बाहर आ जाती।  यही मजाक बिजनेस आइडिया बन गया। उमर ने अम्बरीश की फोटो ली और उसे महारानी की फोटो पर सुपरइम्पोज कर दिया। फिर दोनों ने मिलकर इस एप को डेवलप करने की सोची। और इस तरह  "Blippar"   कंपनी का जन्म हुआ। 

                  अम्बरीश ने 2011 में "Blippar" लांच की थी। यह पोकमैन गो की तरह मोबाइल फोन के लिए 'ऑग्मेंटेड रियलिटी' एप्स बनाती है।   "Blippar" एप्स भी काफी लोकप्रिय हो रहे है।  इस कंपनी का 12 जगहों पर ऑफिस है करीब 300 स्टाफ है। कंपनी 650 करोड़ रूपये का निवेश जुटा चुकी है इसने जगुआर ,यूनिलीवर , नेस्ले जैसी कंपनीयो के साथ टाई-अप किया है।