परमात्मा वही है जहा तुम हो। हम परमात्मा के सागर की मछलिया है। मछली , सागर को खोजने निकलेगी तो बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगी। कैसे खोज पायेगी ? खोजना नही है परमात्मा को जीना है। परमात्मा को पियो। परमात्मा को ही नाचो। परमात्मा में ही तुम हो। तुम्हारी श्वास श्वास में रमा है कहा नही है ? ऐसा कोई स्थान खोज सकते हो जहा परमात्मा नही हो ? सर्व्यापक का नाम ही परमात्मा है। दोहराते हो तोते की तरह की परमात्मा सर्वव्यापक है और पूछते हो परमात्मा कहा है ?
आचार्य रजनीश
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