Tuesday, 30 June 2015

Mind (दिमाग)

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दिमाग हमारी शरीर रूपी गाड़ी का ड्राइवर है जब हम जाग रहे होते है तो दिमाग हमारे निर्देशानुसार गाड़ी चलाता है और जब हम नींद में होते है तो दिमाग अपनी इच्छानुसार गाड़ी चलाता है !

आकर्षण का नियम

आकर्षण का नियम अपने दिमाग के विचारो के आधार पर काम करता है जिस चीज को आप सोचोगे वह आपकी और आकर्षित होगी ! आकर्षण का नियम "नहीं " शब्द को नहीं समझता जो आप सोचोगे वैसा आप के साथ होगा !

अगर आप दुखी होगे और दुःख के बारे में सोचोगे  दुख आप के पास आएगा अगर आप कुछ सोचकर खुश होते हो तो आप के साथ अच्छा ही होगा यही आकर्षण का नियम है  !

एहसास के माध्यम से पता चल जाता है  कि क्या सोचना अच्छा है  और क्या सोचना बुरा !

महसूस कीजिए की आप सेहतमंद है

महसूस कीजिए की आप दौलतमंद है

महसूस कीजिए की आप खुसनुमा है

तो आप के यह सब हो जायेगा !

जो दिमाग सोचता है वही शरीर करता है !

जीवन का सार

मन की सारी व्रतियों को रोककर एक हो केंद्र पर मन का ध्यान लगाने को योग कहते है ! योग से मन काबू में आता है  अगर योग से मन पे काबू पा लिया जाये तो सारी सिद्धिया मिल जाती है  क्योकि मन ही इस संसार में सबसे बलवान है ! वही इंसानो के बंधन और मोक्ष का कारण होता है वही पाप और पुण्य का कर्ता है !

किसी जीव का दुःख दूर करना उसे सुख पहुचना उससे प्रेम करना यही पुण्य है यही धर्म है और किसी का मन दुखाना किसी को पीड़ा पहुचाना यही अधर्म है यही पाप है प्रेम ही पुण्य है घिर्णा ही पाप है !

इन्ही पाप पुण्यो में घिरा हुआ जीव एक योनि से दूसरी योनि में जन्म लेता मरता और फिर जन्म लेता रहता है !

प्राणी जब किसी शरीर में आता है तो उसे जन्म कहते है  और इस शरीर को छोड़कर किसी और स्थान पर चला जाता है  तो उसे मरण कहते है ! असल में केवल शरीर मरता है आत्मा नही मरती !

हमारे अंदर जो जीवित है वह जीव आत्मा है हम सब जीव आत्मा ज्योति कणो की तरह समय की अनंत लहरो पर बहते चले जा रहे है बहते चले जा रहे है !

असल में हर जीव आत्मा इस अनंत पथ पर अकेली ही सफर करती है  रस्ते में दिव्पो की तरह कई धरतीया कई लोक आते है जहाँ हम जन्म लेते है और दूसरे जीवो के साथ मिलने-बिछड़ने ,दोस्ती -दुश्मनी का खेल खेलते है  ! फिर एक दिन वहाँ का शरीर भी छोड़कर हम समय की लहरो पर अकेले ही आगे चल देते है ! बिछडने वालो का मोह थोड़ी दूर तक पिछा करता है परन्तु जीव तो नये नये रूप धारण कर लेता है ! लोको के बीच वह अकेला ही भटकता रहता है , भटकता रहता है !

इसका अंत केवल मुक्ति है और इंसान मुक्ति तभी पा सकता है  जब वह पाप और पुण्य दोनों से परे हो जाये ! क्योंकि पाप और पुण्य दोनों जी जंजीरे है एक लोहे की और एक सोने की ! परन्तु जब कर्म निष्काम कर्म हो जाता है फल की इच्छा से रहित हो जाता है तो जीव इस कर्म फल से मुक्त हो जाता है !


 IN ENGLISH


To stop the mind wandering and concentrate all faculties on one point is called yoga. When yoga controls the mind, all power can be gained becase the mind is the most powerful force in the world, IT binds as well as liberates man. IT is the doer of virtuous action or sin.

 

To relieve the pain of any being to give happiness and love this is virtue and Dharma and to injure someone and cause emotional pain is sin and againt Dharma.

SO LOVE IS VIRTUE AND HATRED IS SIN

 

A soual caught in the cycle of sin and virtue dies and reborn again and again in various wombs. When a soul enters any body it is called taking birth , when the soul departs from the body to go else where is death. In truth , only the body dies not the soul.

 

What is alive in us is the soul all individual souls are like atoms of light flow etenally on the stream of time. In truth each individual soul on this infinite path journeys alone like islands in the stream pass many worlds , many earths where we are born to meet others souals and part from them and play out games of friendship and enemity . And then the soul leaves this body too , to journey alone on the stream of time again love for those left behing again love for those left behind follows in its wake awhile the soul takes many new forms . Till it is reborn, it wanders among new beings the soul keeps wandering in loneliness the soul keeps wandering.

Only the souls salvation is the end man finds salvation only when he is free of sin and virtue because both sin and virtue are chains that bind one is Iron, the other is Golden. But when the action is deviod of desire for reward it is freed from desire the being is freed from the results of karma. 

सुर्य वन्दना


 

सुर्य वन्दना आध्यात्मिक  भी है और वैज्ञानिक भी सूर्य उदय के  समय  सुर्य  की  तरफ  मुँह करके वंदना करने से शरीर सवस्थ होता है  मन में प्रकाश आता है और जीव के अंदर ऊर्जा बढ़ती है ! यही समय योगसाधना के लिए भी उत्तम होता है !



Friday, 19 June 2015

Ye khuda tu baata tera kya naam h

    Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai
Kya Hai Teri Hakikat Jo Gumnaam Hai
Tujhpe Khud Ko Chhupane Ka Ilzaam Hai



Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai
Kya Hai Teri Hakikat Jo Gumnaam Hai
Tujhpe Khud Ko Chhupane Ka Ilzaam Hai

Tune Duniya Banayee Kyu Maksad Bata
Tune Duniya Banayee Kyu Maksad Bata

Roohe Isme Basai Kyu Matalab Jata
Roohe Isme Basai Kyu Matalab Jata

Tere Jalwo Se Roshan Zameen Aasma
Kyu Kisi Ko Nazar Tu Naa Aata Yaha

Teri Pardanaseeni Ka Anzaam Hai
Doodhta Aaj Bhi Tujhko Insaan Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai

Dharmo Mazahab Me Hai Tere Charche Baya
Shaan Me Teri Likhte Hai Parche Vaha
Dharmo Mazahab Me Hai Tere Charche Baya
Shaan Me Teri Likhte Hai Parche Vaha

Sabke Bhagwan Apne Hi Apne Jaha
Naa Samajh Tujh Ko Samjhe Ladke Yaha
Tu Samjhadar Ho Ke Bhi Anjaan Hai
Hai Badi Karte Insaan Ko Badnaam Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai

Tune Jannat Banane Ki Mehant Bhi Ki
Phir Ye Dojakh Ko Laane Ki Jahamat Kyu Ki
Tune Jannat Banane Ki Mehant Bhi Ki
Phir Ye Dojakh Ko Laane Ki Jahamat Kyu Ki

Khel Kaisa Sa Gajab Tha Gajab Dhaa Diya
Nekiyo Ko Badi Se Mila Jo Diya

Lena Kab Tak Tumhe Sab Ka Imtihaan Hai
Ab Sabhi Ke Dilo Me Ye Armaan Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Tu Hai Rahta Kaha Tera Kya Kaam Hai

Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai
Aye Khuda Tu Bata Tera Kya Naam Hai

Very good song plz watch on YouTube 

Monday, 15 June 2015

Nature Taught The Love

Su-vichar:- Nature taught the love example where mother an child, brother and brother and waves of the sea learn to love the moon. In life, the father and son or brotherly relationship are not decided by men they pre-destined. Similarly, the one destination to be your wife. When and how will meet her. All this is pre determined by GOD. That is why a man must when he meets her offer up to her all his love and complete trust. So, that, afterwards you don't even think of another in all life.
Thanks.

प्रेम करना प्रकति सिखाती है जैसे माँ को बालक से , भाई को भाई से और सागर की लहरो को चन्द्रमा से ! संसार में पिता -पुत्र का नाता इंसानो के बनाने से नहीं बनता यह पहले से ही निर्धारित होता है उसी प्रकार जीवन में किसे तुम्हारी पत्नी बनंना ह और कब और कहा उस से भेट होनी है यह भी विधाता पहले से ही निश्चित का देता है ! इसलिए इंसान को चाहिए की जब उससे भेट हो तो अपना सम्पूर्ण विश्वास सम्पूर्ण प्रेम उसे सौप दे जिससे उसके पश्चात जीवन में किसी दूसरी और ध्यान ही न जाये।
धन्यवाद !

Duty of Son

Su-vichar:- The duty of every son is such that even if the father has not spoken but wishes for something in his heart. A son must fulfil event at the cost of life.
Thanks

हर पुत्र का यह धर्म है की पिता मुख से न भी कुछ कहे फिर भी अपने पिता के मन में इछा हों तो उसे प्राण देकर भी पूरी करे !
        

Friday, 12 June 2015

God (Bhagwan) ka Awtar

सु विचार

हर एक इंसान भगवान का अवतार है पर इंसान अपने ही मायाजाल में फस कर उलज कर अपने आप को नही पहचान पाता !

Kisi Insan Ko Dhan (Money) Ke Alawa Bhi Kuch Diya Ja Sakta h....

Su-vichar:-     Aap kisi ko Dhan (money) ke alawa bhi kuch de sakte ho wo h ek payar bhra akhsar(word) ek mithi muskan (smile) or iska mol to Dhan se bhi jayda h
Thanks.

Achi Baat (अच्छी बात )

पत्थर पर लिखा कभी नही मिटता परन्तु पानी पर लिखा पल भर भी नही ठहरता इसलिए मन में क्रोध और दुश्मनी को उतनी देर ही रखना चाहिए जितनी देर पानी पर लिखा रह सकता है ! 

Thanks.

Gyan Ka Effect Har Ek Insan Per Alag Rup Se Padta h.


जैसे वर्षा का पानी सब पेड़ पोधो पर एक समान गिरता है पर किसी के लाल फूल निकलते है तो किसी के पीले पते , इसी प्रकार से एक ही ज्ञान का अलग अलग इंसानो पर उनके संस्कारो और भावनाओ के अनुसार अगल अलग प्रभाव पड़ता है !

KARMA

Su-vichar :-    Apne karm ki achai or burai ko har time parkhte rehna chahiye Aapne karam ko perkhne ke liye insano ke pass ek hi ksoti(upaye) h ki we yah soche ki me agar Abhi Mar jayu to mera yah karam Kis ginti (category) me aayega. Isliye koi bhul ho jaye to use usi time sudhar leni chahiye yah kbhi n soche ki aaj ki bhul kal sudhar lunga kyoki kbhi kbhi kaal kal ka time nhi deta.
Thanks 

Man Ki Sakti

Su-vichar :-  Sbse badi sakti man ki hoti h per man ek ghode ki tarh hamesa bhagta rehta h YOGA ki help se jo man pe kabu kar leta h wah sansar ki sabhi saktiyo per adhikar kar leta h.

सिद्ध पुरुष


    जैसे धुप में बैठने से सूरज की किरणे हमारे शरीर में आ जाती है उसी प्रकार से ज्ञानी पुरुष सिद्ध पुरुष के पास बैठने से उनके आत्म ज्ञान उनकी भावनाए , उनकी शक्तियों का प्रकाश हमारे शरीर में सूक्ष्म रूप से प्रवेश करता है ऐसे ज्ञानी पुरुष  बिना कुछ कहें ही बहुत कुछ दे देते है !

MUKTI

Su-vichar:-  Jaha jiveen h wahi mirtiyu h Jaha mngal h waha Amangal bhi sath khda hota h. Kewal sukh pakdne jaoge to usi ki chaya me dukh ko bhi pakda paoge isliye jo sukh or dukh dono ko chodkar aatma me leen hota h wahi saswat aanand ko pata h usi ko mukti kehte h

दुःख और सुख


  1.  वस्तु दुःख नही देती अज्ञानता दुःख देती है ! 

   2.  इस दुनिया में दुःख- सुख जैसी कोई वस्तु नही होती ,
       दुःख सुख तो इंसानो की भावनाओ का खेल है 
       क्योकि एक ही वस्तु एक इन्शान के सुख का कारन 
       बन जाती है और वही वस्तु दूसरे के दुःख का कारण बनती है !

Thursday, 11 June 2015

VAQT

                                          VAQT (TIME)

 SU-VICHAR:-   Iss duniya me sbse kimati hota h VAQT (TIME)

                               ( kyoki gujra hua ek second bhi hum waps nhi la sakte ).                                     Dear Frinds ,
                       Me waqt ki impotance aap ko iss poem ki help se batane ki kosish kruga

Vaqt ki raftar ko apno to,
                                Nihal kar dega Vaqt .
Vaqat se pichad jaoge to,
                                Behal kar dega ye Vaqt.
Vaqt ki yaaarrii agar ho jati h,
                               Aap ke sath dosto.
To chand taro ki ser aapko,
                               Kara layega ye vaqt.
Yaha vaqt ki njakqt ko ,
                               Pehchan kar jo chalta h.
Gulam bankar unki khidmat me ,
                               Lag jata h vaqt.
Vaqt ke sath agar n jamta ho,
                              Aapka mel kbhi to.
Bana banaya khel aapka ,
                               Nakam kar deta h vaqt
Vaqt ka lihaj karna sikha ,
                               Aapne agar to
Har din aap per khusiya ki ,
                              Barish kar deta h vaqt.
Vaqt ki kimat agar pehchani nhi,
                              Aap ne kabhi to
Duniya se aap ki pehchan ,
                              Kam kara dega ye vaqt.
Vaqt isu h, vaqt Rub  h, vaqt hamara,
                              Khuda h.
Vaqt ke rup me bhgwan ne hame tofa,
                              Diya h vaqt.
Vaqt chabi h us khjane ki jo,
                              Mehnat se najar aata h .
Vaqt ko psine se nehlo to,
                              Malamal kar deta h vaqt.

Sacha Guru

Su-vichar :- Humari galtiya hame dikhane lag jaye, fir kisi guru ki aawskata nhi. 



Dear friends,
             Aap ka Sacha guru aap khud hi h bs aap ki galtiya aap ko dikhane lag jaye to fir kisi guru ki aawskata nhi hoti h.
            Hamare pehle guru to Hamare mata pita hote h uske baad jo humare guru hote h unka swbhaw sarel hona chahiye unme krodh, moh, maya, lobh nam ki koi chij nhi honi chahiye or jo har musibat me hame rasta dikhaye yese guru hi sache guru hote per aaj ke time me sache guru ko pehchan pana muskil h per agar aap ko apni galtiya dikhane lag jaye to fir kisi guru ki aawskata nhi hoti kyoki iswar ne hame bhi sahi or galt ko perchance ki sakti di h.
Thanks.

Wednesday, 10 June 2015

SANSAR KA NIYAM

Su-vichar:-    Jesa do wesa lo.

Dear friends 

                   Iss sansar ka niyam h Jesa aap doge wesa aap ko waps mileage 100 percent milega isliye agar koi insan aap ko gali de ya thpad mare to  use apne account me credit kar dijiye  kyoki Aapne jo diya h wahi aap ko waps mila h aap jo kuch Iss sansar ko denge wo waps mile bina nhi rahega isliye kisi ko kuch dene se pehle 100 bar soch lijiye kyoki jo aap de rahe h wo aap ko waps jaru milega. Ab ye aap per depend karta h ki aap ko kya chahiye jo aap ko chahiye wo hi dusro ko dijiye.
Yah sansar bura nhi h or n hi hum sansar ko sudhar sakte h hum ise ek example se smaj sakte h man lo aap ke bal bikhre huye h or ab aap darpan ke samne jakr khade ho jao aap ke bal jese bikhre huye h aap ko wese hi dikhenge ab agr aap bal sahi karna chahte ho to kya aap darpan per kanga ghumayenge ? Nhi n aap ko bal sahi krne ke liye apne sir pe kanga ghumana padega. 
 Yah sansar ek darpan h jise hum suthar nhi sakte per hum apne aap ko jarur sudhar  sakte h or agr aap apne aap ko sudhar Le to sansar apne aap sudhr jayega.
 Thanks
          

Sangati ka asar

Su-vichar:- Jiska sang bigda, Uska sb kuch bigda.



Dear friends kusangati ek jehar h kusangati se hamesa bhot dur rehna chahiye. Kusangati ka asar man per hota h, dimag per hota h, chit per hota h, puri body per hota h.
Kusangati se dil bigdta h, dil bigdta h to dimag bigdta h or is se us insan ka present to bigdta h hi future bhi bigdta h isliye kusangati se dur rahiye.
Kusangati or bura rasta dikhane wale to bhot mil jayenge unse bachiye or un insano ke sath jakr judiye jinka sang sudhra hua h kyoki jiska sang sudhra uska sb kuch sudhra..
Thanks



My First Blog

su-vichar

Aavaskta hi Aaviskar ki Janni hoti h

 

 

ye upper likhi line bhot choti si h per rukiyo thoda isko dhayn se padiye muje yakin h aap dhyan se padke iske bare me thoda vichar karoge to aap ko pura smaj me aa jayega ki pura world is choti si line ke adhar se hi bana hua h kyoki insan ne apni Aavaskra ko pura karne ke liye hi Aaviskar kiye h or yah abhi bi jari h to aap bhi jara sa sochiye mind devlop kijiye or apni Aawsktao ki purti ke liye Aawiskar kijiye ....In this world everything is possible so please thing about and change your life .