Wednesday, 29 July 2015

एक अटूट सत्य

             आप इस समय जो सोच रहे है , उससे आप अपने भावी जीवन की रचना कर रहे है ! आप अपने विचारो से अपने जीवन का निर्माण कर रहे है ! चूँकि आप हमेशा सोच रहे है , इसलिए आप हमेशा निर्माण कर रहे है ! आप जिसके बारे में सबसे ज्यादा सोचते है या जिस पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करते है , वही आपके जीवन में प्रकट होगा !
प्रकृति के सभी नियमो की तरह ही यह नियम भी बिलकुल सटीक है ! आप अपने जीवन की रचना करते है ! आप जो बोयेंगे , वही काटेंगे ! आपके विचार बीज  है और आप जो फसल काटेंगे , वह आपके बोये बीजो पर निर्भर करेगी !

Thursday, 23 July 2015

सुविचार :-

जिंदगी में इतनी गलतियाँ मत करो की पेन्सिल से पहले रबर घिस जाये और रबर को इतना मत घिसो की जिंदगी का पेज ही फट  जाये !

Thursday, 16 July 2015

सु-विचार :-

सफलता का असली मजा उसी ने लिया है जो असफल होकर सफल हुआ है !

Wednesday, 15 July 2015

सुविचार




हम उन्हे रूलाते हैं, जो हमारी परवाह करते हैं.
(माता पिता)
हम उनके लिए रोते हैं, जो हमारी परवाह नहीं करते...
(औलाद )
और, हम उनकी परवाह करते हैं, जो हमारे लिए कभी नहीं रोयेगें !...
(समाज)
We do care, they are our rulate.
(Parents) we don't care for them are screeching our ...
(Aulad) and, we care, we never for rogen! ...
(Society)

सु-विचार :-

                   सत्य परेशान होता है पराजित नहीं 

Monday, 6 July 2015

सुविचार :-


 सीढ़िया उनके लिए बनी है,जिन्हे सिर्फ छत पर जाना है ! आसमाँ पर हो जिनकी नजर, उन्हें तो रास्ता खुद बनाना है !

सुविचार :-

   लोग शायद ही कभी सफल होते है जब तक की जो वो कर रहे है  उसमे आनदं न ले ! 

Saturday, 4 July 2015

सुविचार :-

               अच्छे से अच्छे इंसान में भी बुराई का कुछ अंश होता है !
               और बुरे से बुरे इंसान में भी कुछ अच्छाई होती है !

Friday, 3 July 2015

सफलता से अधिक विफलता सिखाती है !

 

                   विफलता का मतलब हार कभी नही होता , यदि इंसान इस बात को ठीक से समझ ले , तो जिंदगी में आने वाली छोटी छोटी परेशानियां उसका कुछ भी नही बिगाड़ सकती , बल्कि हर बार इंसान और मजबूत होकर आगे बढ़ता है ! 
                   अपने अंदर हमेशा कुछ न कुछ Improve करने के लिए तैयार रहना चाहिए, अक्सर कुछ नया करने का मौका प्रदान करती है ! जी हा, यह पूरी तरह सच है  कि लोग जितना अपनी सफलता से नही सीखते , उससे ज्यादा उनको अपनी विफलता से सिखने को मिलता है ! आप कोई काम करते है और उसमे विफलता मिलती है , तो इससे आपकी Fiting खत्म नही होती, बल्कि यह आपको दोबारा ऐसी स्थति आने से पहले ही तैयार होने का अवसर प्रदान करती है ! आपको सोचना और समस्या का हल निकालना सिखाती है !

संतोष

            संतोष वह महागुण है , जिसकी साधना से व्यक्ति शिखर तक पहुचता है ! इस पूँजी के आगे धन भी धूल के समान लगता है !
   
            दोस्तों संतोष बहुत आवश्यक है ! हम मनुष्य प्रजाति में संतोष की कमी है ! हम किसी चीज को पाकर संतुष्ट नही होते है ! अगर एक चीज मिल जाती है ! तो दूसरी चीज की तरफ ध्यान चला जायेगा और उसे प्राप्त करने में लग जाते है ! इसी वजह से कुछ चीजो को प्राप्त करने के चककर में हम अपना और हमारी अाने वाली पीढ़ी का नुकसान करने में लगे हुए ! अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारी आने वाले पीढ़ी के लिए बहुत सारे संकट हम पैदा करके रख देंगे ! संतोष आभाव के कारण ही मानव प्रकृति का अंधाधुन दोहन कर रहा है और यही कारण है  कि प्रकृति मानव को भूकप , बाढ़ , तूफान आदि के माध्यम से दंडित भी कर रही है ! 

Thursday, 2 July 2015

ईश्वर

                        




  भगवान महावीर से पूछा गया कि ईश्वर क्या है ?
  उन्होंने कहा कि उसे बताने के लिए शब्द नही है !सारे शब्द वहा से टकराकर लौट आते है ! तर्क वहां ठहरता नहीं, बुद्धि उसे ग्रहण नही कर पाती ! वह न गंध है , न रूप , न रस, न शब्द और न स्पर्श ! ग्रंथो की भाषा में वह नेति-नेति यानि ऐसा , वैसा भी नही !कैसा है, उसे बताया नहीं  जा सकता ! आत्मा-परमात्मा को शब्दों के माध्यम से बताने के प्रयास होते रहे है !

अभिलाषा

1. अभिलाषाओं से उपर  उठ जाओ  तो अभिलाषाएं पूरी हो जाएगी , परन्तु यदि उसे मांगोगे तो उसकी पूर्ति तुमसे और दूर चली जाएगी ! इसलिए अपनी अभिलाषाओं पर अंकुश लगाना सीखो !
                                                                                                                           रामतीर्थ 
2. अभिलाषा घोडा बन सकती तो प्रत्येक मनुष्य घुड़सवार हो जाता !
                                                                                                                           शेक्सपीयर 
3. फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला मनुष्य ही मोक्ष प्राप्त करता है ! कर्म ही जीवन का सार है ! कर्म करने वाला मनुष्य ही सफलता को प्राप्त करता है !
                                                                                                                           गीता 
4. हमारी अभिलाषा जीवन रूपी भाप को इन्द्रधनुष के रंग देती है !
                                                                                                                           टैगोर
5 . गरीब वह है जिसकी अभिलाषाए बढ़ी हुई है ! सुखी और प्रसन्न वह मनुष्य है जो कम अभिलाषाएं रखता है
                                                                                                                           डेनियल