Monday 27 June 2016

पहले सीखो फिर करो (Pehle Sikhe Fir Kre)

पहले सीखो फिर करो 


अगर आपको तैरना नहीं आता और आप तालाब में छलांग लगा दे तो क्या होगा ? इसलिए पहले तैरना सीख ले फिर तालाब में छलाग लगाइये इसी प्रकार जीवन कुछ भी नया काम करने से पहले उसे सिख ले फिर उस काम को करें जैसे अगर आप कोई व्यापर करना चाहते हो तो पहले व्यापर करना सीखे फिर व्यापर करें इससे आप के सफल होने की सम्भावना बढ़ जाएगी। 

मन और बुद्धि

 मन और बुद्धि 

मन को नियंत्रित करना आसान नहीं है क्योकि मन बहुत शक्तिशाली है। मन को केवल बुद्धि (विवेक ) द्वारा वस में किया जा सकता है  

मानव मशीन (Human Machine)

मानव मशीन 


यह कितना अजीब है  परन्तु सच है की मानव खुद एक मशीन है और यह मशीन गजब की मशीन है। और यह मशीन ऑटोमेटिक चलती है , जी हा।  मानव के खुद के हाथ में क्या है वह खुद इस बॉडी पर कितना नियंत्रण कर सकता है श्वास लेना और श्वास छोड़ना भी उसके हाथ में नहीं है यह स्वतः होता है खाना खाते हम अपने अनुसार है परन्तु उसके बाद वह खाना कैसे पचता है कैसे उस भोजन से खून बनता है कैसे खून ह्रदय के माध्यम से बॉडी के प्रत्येक नाड़ी तक पहुंचता है यह सब कुछ स्वतः होता है।  अच्छा है कि यह सब कुछ मानव के नियंत्रण में नहीं है वरना मानव अपने शरीर को तहस नहस करें देता। 

देखने का नजरिया (Dekhne ka njriya)

यथा दृष्टि तथा सृष्टि 

इस छोटे से वाक्य में जीवन का सार है जिस व्यक्ति की दुनिया देखने की जैसी नजर होगी दुनिया उसे वैसी ही दिखेगी अगर कोई कोई व्यक्ति सिर्फ बुराइयो की ओर नजर गाडे बैठा रहेगा तो उसे चारो तरफ बुराइया ही दिखेगी परन्तु यदि कोई व्यक्ति केवल हर तरफ अच्छाइयो पर नजर रखेगा तो उसे हर तरफ अच्छाइया नजर आएगी। 

पशुता की निशानी है (Pasuta Ki Nishani)

यदि आपको देखकर सामने वाला इंसान भयभीत हो जाये डर जाये तो यह आपकी बहादुरी नहीं बल्कि पशुता की निशानी है। 

Saturday 25 June 2016

सफल होने का तरीका (Sfal Hone Ka tarika )

सफल होने का तरीका 


एक विचार लो , उस विचार को अपना जीवन बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो अपने मस्तिष्क , मांशपेशियों , नशो , शरीर के हर हिस्से लो उस विचार में दुब जाने दो  और  बाकी विचारों को किनारे रख दो यही सफल होने का तरीका है।
                                                                              स्वामी विवेकान्नद 

Friday 24 June 2016

एक बच्चे का मन (Ek Bache Ka Man)

          एक बच्चे का मन 

सागर जो की एक 5-6 वर्ष का बच्चा  है ! अपने पड़ोस में दूसरे बच्चो के साथ मिलकर खेल रहा था ! बच्चे मन लगाकर खेल रहे थे तभी सागर के पिता जी वहा आते है सागर के पिता जी का नाम राम है !
पिता :- बेटे सागर चलो घर चलो दिन के २ बज गए है  और गर्मी भी बहुत               है मेरे साथ चलो घर चल कर थोड़ी देर सो जाते है !
सागर :- कुछ नही बोलता बस  पिता जी की बात सुनकर चुप हो जाता है 
पिता :-  बेटे अभी चलो शाम को वापस खेलने आ जाना !
सागर:-  पापा , मुझे और खेलना है !
पिता :-   बेटे चलो मेरे साथ (थोड़ा गुस्से से )
सागर उठता है और अपने पिता जी के साथ-साथ चलता है दोनों अपने घर की ओर जाते है आगे सागर और पीछे पिता जी दोनों घर के दरवाजे तक पहुँचते है ! परन्तु सागर का मन बिल्कूल घर जाने का नही था इसका मन तो खेलने में था !
पिता :- चलो बेटे अंदर चलो !
सागर :- मासूम सा मुह बनाकर एकदम भोला बनकर बोला पापा आप पहले अंदर चलो फिर मै आपके पीछे अंदर आता हु !
पिता :- चलो ठीक है !
            पिता दरवाजा खोलकर जैसे ही अंदर की तरफ मुड़ते है और अंदर चले जाते है ! पीछे देखते है तो सागर वहा नही दिख रहा था पिता जी वापस बाहर आकर इधर-उधर देखते है  परन्तु सागर उन्हें कही दिखाई नही देता है !
            परन्तु रेगिस्तान की मिट्टी में पेरो के निशान बहुत साफ दिखाई दे रहे थे  कि छोटे-छोटे पाँव कही जा रहे थे यह सागर के पेरो के ही निशान थे ! पिता जी पेरो के निशान पर चलते हुए उसी पड़ोस के घर में पहुंच जाते है  जहा से वह सागर को थोड़ी देर पहले लेकर आये थे !
            पिता वहाँ जाकर देखते है तो वह हँसने लगते है क्योकि सब बच्चे उनमे सागर भी शामिल था बड़े मजे से खेल रहे थे ! पिता जी सागर को खेलता देख मुस्कराते हुए बिना कुछ कहे घर आ जाते है !
            इससे हमें यह सिख मिलती है की बड़ो का मन भी बच्चो जैसा होना चाहिए तभी हम जिस काम में हमारा मन लगेगा उसे सफलतापूर्वक कर पायेगे और अपनी मंजिल को पा सकेंगे तो दोस्तों अगर सफल होना है अपनी मंजिल को पाना है  तो बच्चे बन जाओ !