Wednesday 29 June 2016

सम्मान पद से नहीं बल्कि अपने स्वभाव से मिलता है।

एक बार सिकंदर किसे कारण से अपने सेनापति से नाराज हो गया। उसने उसे सूबेदार बना दिया। सिकंदर ने सोचा कि इतने छोटे पद पर आने से उसका सेनापति अपमानित महसूस करेगा और घुट- घुटकर मर जायेगा। 
                                              एक दिन उसने सेनापति को बुलवाया।  ताकि यह देख सके कि उसकी क्या हालत है। सिकंदर उसे खुश देखकर हैरान रह गया। उसने उसे पूछा, तुम इतना खुश कैसे दिखाई दे रहे हो ? सेनापति से बनने का तुम्हे कोई दुःख नहीं है ? सेनापति ने कहा, 'बिल्कुल नहीं। पहले जब में सेनापति था, तो सैनिक मुझसे बात करने से कतराते थे।  में भी अपने पद की मर्यादा का ध्यान रखकर उनसे बात करने से कतराता था। पर अब तो कोई संकोच रहा ही नहीं।  अब मै उनसे खुलकर बात करता हु  वे भी मुझसे एकदम सहज रहते है , वे अब भी मेरा सम्मान करते है , और हम एक-दूसरे की सेवा में लगे रहते है। में समझ गया कि सम्मान पद से नहीं बल्कि अपने स्वभाव से मिलता है।  जिसमे थोड़ी भी मानवीयता होगी उसे सारी दुनिया आदर देगी।  दुःख तो उन्हें होता है , जो पद के अभिमानी  होते है।  सिकंदर इस जवाब से बेहद प्रभावित हुआ।  उसने उसे फिर से अपना सेनापति बना लिया।
यह उस समय की बात है जब धार में राजा भोज का शासन था उस राज्य में एक गरीब विद्वान रहता था। आर्थिक तंगी से घबराकर एक दिन

Tuesday 28 June 2016

अपना रास्ता खुद चुनिये

भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान लगता है , लेकिन इसका मतलब यह नहीं की भीड़ हमेशा सही रास्ते पर ही चलती है , अपना रास्ता खुद चुनिये क्योकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता।

 

मार्ग

किसी दिन , जब आपके सामने कोई समस्या न आये तो आप सुनिश्चित हो सकते है कि आप गलत मार्ग पर चल रहे है।

Monday 27 June 2016

मानव एक अभिनेता है

मानव एक अभिनेता है 


इस धरती पर प्रत्येक मनुष्य अपना किरदार निभा रहा है परन्तु सबसे अच्छा अभिनय वह मानव करेगा जिसे यह पता हो की उसे कोनसा किरदार निभाना है। 

पहले सीखो फिर करो (Pehle Sikhe Fir Kre)

पहले सीखो फिर करो 


अगर आपको तैरना नहीं आता और आप तालाब में छलांग लगा दे तो क्या होगा ? इसलिए पहले तैरना सीख ले फिर तालाब में छलाग लगाइये इसी प्रकार जीवन कुछ भी नया काम करने से पहले उसे सिख ले फिर उस काम को करें जैसे अगर आप कोई व्यापर करना चाहते हो तो पहले व्यापर करना सीखे फिर व्यापर करें इससे आप के सफल होने की सम्भावना बढ़ जाएगी। 

मन और बुद्धि

 मन और बुद्धि 

मन को नियंत्रित करना आसान नहीं है क्योकि मन बहुत शक्तिशाली है। मन को केवल बुद्धि (विवेक ) द्वारा वस में किया जा सकता है