अगर आपको तैरना नहीं आता और आप तालाब में छलांग लगा दे तो क्या होगा ? इसलिए पहले तैरना सीख ले फिर तालाब में छलाग लगाइये इसी प्रकार जीवन कुछ भी नया काम करने से पहले उसे सिख ले फिर उस काम को करें जैसे अगर आप कोई व्यापर करना चाहते हो तो पहले व्यापर करना सीखे फिर व्यापर करें इससे आप के सफल होने की सम्भावना बढ़ जाएगी।
यह कितना अजीब है परन्तु सच है की मानव खुद एक मशीन है और यह मशीन गजब की मशीन है। और यह मशीन ऑटोमेटिक चलती है , जी हा। मानव के खुद के हाथ में क्या है वह खुद इस बॉडी पर कितना नियंत्रण कर सकता है श्वास लेना और श्वास छोड़ना भी उसके हाथ में नहीं है यह स्वतः होता है खाना खाते हम अपने अनुसार है परन्तु उसके बाद वह खाना कैसे पचता है कैसे उस भोजन से खून बनता है कैसे खून ह्रदय के माध्यम से बॉडी के प्रत्येक नाड़ी तक पहुंचता है यह सब कुछ स्वतः होता है। अच्छा है कि यह सब कुछ मानव के नियंत्रण में नहीं है वरना मानव अपने शरीर को तहस नहस करें देता।
इस छोटे से वाक्य में जीवन का सार है जिस व्यक्ति की दुनिया देखने की जैसी नजर होगी दुनिया उसे वैसी ही दिखेगी अगर कोई कोई व्यक्ति सिर्फ बुराइयो की ओर नजर गाडे बैठा रहेगा तो उसे चारो तरफ बुराइया ही दिखेगी परन्तु यदि कोई व्यक्ति केवल हर तरफ अच्छाइयो पर नजर रखेगा तो उसे हर तरफ अच्छाइया नजर आएगी।
एक विचार लो , उस विचार को अपना जीवन बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो अपने मस्तिष्क , मांशपेशियों , नशो , शरीर के हर हिस्से लो उस विचार में दुब जाने दो और बाकी विचारों को किनारे रख दो यही सफल होने का तरीका है। स्वामी विवेकान्नद